इस उलझन से सजता आँगन *********************** जबतक जीवन तबतक उलझन। इस उलझन से सजता आँगन।।…
ब्लॉग
बिल्कुल गंगाजल होता है ******************* अब तो वही सफल होता है जिसके भीतर छल होता…
हमें गुलाम बनाना पसंद है ******************** सभी को अपना हक बुनियादी चाहिए। अपने ढंग से…
ससुराली कौवे तलक **************** सीखा अनुभव से बहुत, खोल रहा वह राज। खुशियाँ दे आँसू…
चोरों के घर जश्न ************* चोरी कैसे रुक सके, उठा सामने प्रश्न। थाना ज्यों बनना…
आयु-भर तो जीने दो। ***************** एक मजदूर और कृषक की तरह, एक बागबां और अभिभावक…
पर दिल से कंगाल हुए हैं ****************** यूँ तो मालामाल हुए हैं पर दिल से…
आन्दोलन-जीबी ************* युद्ध और क्रांति में फर्क है। कुछ वैसा ही फर्क जैसे, माॅब लिंचिंग…
मिलन, प्रेम की पूर्णता ***************** दिल टूटा, आँसू बहे, संचित है वह नीर। पटक रहा…
ऐ दिल तू प्यार नहीं करना ******************** ऐ दिल तू प्यार नहीं करना, धोखे कितने…
भात कतहु के थारी हमरे ****************** हम्मर आँगन बारी हमरे भात कतहु के थारी हमरे…
विश्व कविता दिवस – दो मुक्तक ************************** हृदय की भावनाओं की कलम को बात कहने…
कैसे तुझसे प्रीत करूँ? ***************** वो तेरा सपनों में आना, आकर मुझको रोज सताना। मगर…
संभव हो फिर जीत यहाँ ******************* (१) सतरंगी होली की दुनिया, खोये लोग उमंग में…
कौवा कुचरै आँगन ************** कान्हा! फागुन मास सुहावन। ठंढ, गरम समतूल एहेन जे, पल पल…
सुमन, सु-मन से बाहर झाँको ********************** विविध-भाव के मुक्तक “””””””””””””””””””””””””””””” (1) कृषक-श्रमिक के काम अलग…
जमीं मुहब्बत की बच गयी तो *********************** हमें किताबों ने जो सिखाया, उसी पे चल…
आईना जब तुझे चिढ़ाने लगे ********************** तेरे हर गम को बेअसर कर दूँ अपने जज्बात…
आमलोग का जीवन कद्दू ******************* नये नये परिधान पहनकर, वे मुस्काते टी वी में बेबस…
साँसें रुक जाएंगी कब? ****************** कब तलक ताकत का ये, होगा तमाशा, क्या पता? साँसें…