झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

ससुराली कौवे तलक

ससुराली कौवे तलक
****************
सीखा अनुभव से बहुत, खोल रहा वह राज।
खुशियाँ दे आँसू सहित, पत्नी और पियाज।।

बाल बड़े, कपड़े फटे, समझें नहीं गरीब।
शादी के कुछ बाद ही, दिखते पुरुष अजीब।।

रावण सम ससुराल से, आ जाए गर द्वार।
मान राम उसका तुरत, शुरू करें सत्कार।।

ससुराली कौवे तलक, बोले मीठे बोल।
घर की खुशियों के लिए, बने रहें बकलोल।।

खोट दिखे पर चुप रहें, दिखे नहीं अवसाद।
इक जैसे दोनों सुमन, पत्नी या परसाद।।

श्यामल सुमन