कैसे तुझसे प्रीत करूँ?
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वो तेरा सपनों में आना,
आकर मुझको रोज सताना।
मगर हकीकत में लगता क्यूँ,
झूठा तेरा प्यार जताना।
दिल में है संदेह तुझे मैं, दुश्मन या मनमीत कहूँ?
ऐसे जब हालात सामने, कैसे तुझसे प्रीत करूँ?
लोग प्यार में अक्सर खोते,
बोझ बनाकर खुद को ढोते।
बात मुहब्बत की जो करते,
वही मुहब्बत पर क्यूँ रोते?
सोच रहा दिन रात इसे मैं, हार कहूँ या जीत कहूँ?
ऐसे जब हालात —–
आसानी से प्यार जाताना,
कितना मुश्किल इसे निभाना।
चाहत पूरी, बढ़ती दूरी,
सुमन खोजता नया बहाना।
ये लोगों का छोटापन या, इसे जगत की रीत कहूँ?
ऐसे जब हालात —–
श्यामल सुमन
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