झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

नैन बोले जो नैना से

नैन बोले जो नैना से
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अगर तू बूँद स्वाती की, तो मैं इक सीप बन जाऊँ
बनो तुम प्रेम की पाती, तो मैं इक गीत बन जाऊँ
अंधेरे और नफरत को मिटाता प्रेम का दीपक
कहीं बन जाओ तुम बाती, तो मैं इक दीप बन जाऊँ

तेरी आँखों में गर कोई, मेरी तस्वीर बन जाये
मेरी कविता भी जीने की, नयी तदबीर बन जाये
बडी मुश्किल से पाता है कोई दुनियाँ में अपनापन
बना लो तुम अगर अपना, मेरी तकदीर बन जाये

भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ

कई लोगों को देखा है कि छुपकर के गजल गाते
बहुत हैं लोग दुनियाँ में, जो गिरकर के संभल जाते
इसी सावन में अपना घर जला है क्या कहूँ यारो
नहीं रोता हूँ फिर भी आँख से, आँसू निकल आते

है प्रेमी का मिलन मुश्किल, भला कैसी रवायत है
मुझे बस याद रख लेना, यही क्या कम इनायत है
भ्रमर को कौन रोकेगा सुमन के पास जाने से
नजर से देख भर लूँ फिर, नहीं कोई शिकायत है

श्यामल सुमन