विश्व कविता दिवस – दो मुक्तक
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हृदय की भावनाओं की कलम को बात कहने दो
जगह खुद शब्द चुन ले जो बिना छेडे ही रहने दो
कवि तलवार पे चल कर सजाते भावना कोमल
सदा सरिता सी कविता को सहजता से ही बहने दो
नहीं कविता को तुम यारों कभी नारा बना देना
हकीकत से जुडे जनवाद की धारा बना देना
नहीं पूजा करे कविता किसी की चापलूसी ही
उपस्थित भाव शब्दों को जरा प्यारा बना देना
श्यामल सुमन
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