झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

भात कतहु के थारी हमरे

भात कतहु के थारी हमरे
******************
हम्मर आँगन बारी हमरे
भात कतहु के थारी हमरे

अखन रहय छी भने महल मे
सुतय छलहुँ गोरथारी हमरे

भूल जिनक वो रूसल बैसल
उनटे सब परचारी हमरे

सोचक सीमा पैघ करब तऽ
जग मे सब नर नारी हमरे

आसपास घर जोड़ैत जोड़ैत
टूटि रहल एकचारी हमरे

कर्महीनता विफल बनेलक
तर्क गढ़ू लाचारी हमरे

प्राण सुमन संतान मे पैसल
भने गोर या कारी हमरे

श्यामल सुमन