जमीं मुहब्बत की बच गयी तो
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हमें किताबों ने जो सिखाया, उसी पे चल के करम करेंगे
नहीं झुके हैं, नहीं झुकेंगे, भले वो जितना सितम करेंगे
मुहब्बतों के ही रास्ते पर, बढ़ी है दुनिया, बढ़ेगी आगे
जलाओ दीपक मुहब्बतों के, सदा हिफाजत भी हम करेंगे
दशक दशक से है सिर्फ वादा, करेंगे रौशन सभी घरों को
मकां जलाकर जो रौशनी दे, उसी चलन को खतम करेंगे
तुम्हारे सर पे है ताज हमसे, जिसे सम्भालो भलाई खातिर
जहाँ पे बेबस सताए जाते, वहीं वो ताकत नरम करेंगे
चढ़ा जो ऊँचा सदा उतरता, जमीं पे आना भी है जरूरी
जमीं मुहब्बत की बच गयी तो, सभी सुमन पे रहम करेंगे
श्यामल सुमन
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