झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

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मुखौटा

रात के एक बज चुके थे। सोहन अपने बिस्तर पर करवटें बदल रहा था। मन विचलित हो रहा था ।समझ में नहीं आ रहा था कि अपने दिल को कैसे समझाऊं कि दुनिया में रहना है ,तो दुनियादारी भी समझनी होगी ।मां ने कहा था बेटा जब तुम अपने पांव पर खड़ा हो जाओगे, तब तुम जिस से कहोगे ,मैं तुम्हारी शादी उस लड़की से कर दूंगी। अगर वह अपनी जाति की हो, तो अच्छा रहेगा ,नहीं भी रहेगी, फिर भी तुम्हारी पसंद को मैं अपनी बहू बनाने को तैयार हूं।

 समय बीतता गया। सोहन ने शिक्षण को अपना करियर बनाया ।पहले एम ए करने के बाद B.Ed किया। कुशाग्र बुद्धि के सोहन का लोहा सभी छात्र छात्राएं मानते थे। विद्यार्थियों के बीच उनकी गहरी पैठ थी। ठेठ देहाती और बिहारी परिवार में जन्मे सोहन ने अपनी परंपरा और संस्कृति को बनाए और बचाए रखा। वैसे घर से बाहर कहीं भी देखने और उससे बातचीत करने वालों को यह पता नहीं चलता था कि वह किस परिवार से है, क्योंकि उसकी भाषा और उच्चारण में कहीं भी दोष नहीं था ।वह परिष्कृत हिंदी और फराटे दार अंग्रेजी बोलता था। उसके मधुर व्यवहार से सभी लोग प्रसन्न रहते थे। जिस स्कूल में वह पढ़ा रहा था ,उसी स्कूल की एक शिक्षिका को मन ही मन चाहने लगा। वह शिक्षिका भी बेहद आत्मीयता पूर्वक सोहन से बात करती थी। दोनों के संबंध परवान चढ़ने लगे। मौका मिलते ही वह गीता के पास कुछ बहाने लेकर बातचीत करने पहुंच जाता था। हां उस शिक्षिका का नाम गीता था। वह एक बंगाली परिवार से थी। काफी मृदुभाषी ,शांत ,हसमुख चेहरा और सभी की समस्या सुलझाने को हमेशा तत्पर ।मां ने गीता के बारे में सुना ।गीता से मिलने की इच्छा जगी और उसने सोहन से कहा- बेटा मुझे भी गीता से मिलवाओ। सोहन ने कहा जरूर मिलवा लूंगा मां, लेकिन कुछ दिन और ठहर जाओ। मां ने कहा कि बेटा तुम्हारे मुंह से गीता के बारे में इतना कुछ सुन चुकी हूं कि मैं उसे अपने मन में बहू स्वीकार कर चुकी हूं ।अब जल्दी से उस से मिलवा दो। उसके माता-पिता कहां रहते हैं? क्या करते हैं ?गीता कितने भाई बहन हैं? मां, मैंने तो कभी गीता से उसके माता-पिता और घर परिवार के बारे में पूछा ही नहीं ?वह कहां रहती है? माता-पिता कहां है और क्या करते हैं? लेकिन एक बार वह बताई थी कि वह केवल दो बहने हैं ।बड़ी गीता है और एक छोटी बहन है। वह एक बंगाली परिवार से है। मां ने कहा- बंगाली परिवार से है तो क्या हुआ? पढ़ी-लिखी सुंदर सुशील है, यही मेरे लिए सब कुछ है। लेन-देन दहेज की कोई बात तो है नहीं ,मुझे सबसे खुशी इस बात की है कि वह तुम्हारी पसंद की है।
 मां से स्वीकृति मिलते ही सोहन ने एक दिन स्कूल के छुट्टी के समय गीता से शादी की बात करने की सोची और धड़कते दिल को काबू कर, अपने कलेजा को मजबूत किया। सोहन मन ही मन सोच रहा था कि वह अपने दिल की बात किस तरह गीता से कहेगा ?कहीं गीता उसकी बात सुनकर हंस ना दे, हंस भी दे और शरमा कर जल्दी से निकल जाए, तो इसका मतलब वह शादी के लिए तैयार है, क्योंकि मौन स्वीकृति का लक्षण माना गया है। क्या गीता अपने मुंह से शादी की बात को स्वीकारएगी ,पता नहीं? सोहन को अपने आप में ही घबराहट हो रही थी। वैसे तो गीता से वह काफी खुलकर बात करता था और गीता भी हर बात का जवाब मुस्कुरा कर देती थी, लेकिन शादी के बाद कभी कर नहीं सका था ।अब तो मां से भी स्वीकृति मिल चुकी है। अगर गीता शादी की बात सुनकर गुस्सा हो गई तो वह क्या करेगा ?फिर गीता से दोबारा वह कभी बात कर पाएगा? खैर जो होगा, देखा जाएगा। पहले सभी विद्यार्थियों को स्कूल से निकल जाने देते हैं ,फिर गीता से बात करेंगे ।एक-एक कर स्कूल के सभी विद्यार्थी और शिक्षक शिक्षिका स्कूल से निकल गए। स्कूल परिसर में केवल सोहन और गीता ही बचे थे। गीता शांतिपूर्वक स्कूल के अंदर चबूतरे पर बैठी थी। सोहन को देखकर पूछी- क्या बात है सोहन जी ?अभी तक आप गए नहीं ?क्या गाड़ी खराब हो गई? सोहन अंदर से जरा घबराया और अपने ऊपर काबू रखते हुए कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, लेकिन आप यहां चबूतरे पर बैठ कर क्या कर रही है? सोहन ने देखा गीता अपने आप को सजा संवार रही है। छुट्टी के बाद उसने मुंह को साफ पानी से धोया ,चेहरे पर एक बिंदी लगाई। बाल और जुड़ा को ठीक किया ।रुमाल से अच्छी तरह अपने चेहरे गर्दन और हाथ को पोछा ।बिना किसी मेकअप की भी गीता कितनी सरल और सुंदर लगती है। उसकी सादगी पर ही सोहन उसका दीवाना बन चुका था। गीता ने गौर से सोहन को देखा और बिना किसी भूमिका के कहा कहा -मैं अपने पति का इंतजार कर रही हूं ।अभी थोड़ी देर में ही हुए मुझे लेने आएंगे। सोहन कुछ समझ नहीं पाया। उसने पूछा कौन है आपका पति ?अगर आप शादीशुदा हैं ,तो आप की मांग में सिंदूर क्यों नहीं है? तब गीता ने बताया कि वह कोर्ट मैरिज की है, इसलिए सिंदूर नहीं लगाती है। कोई सिंह जी ठेकेदार हैं ,उसकी वह दूसरी पत्नी है। पहली पत्नी के रहते वह अपने ससुराल में नहीं रह सकती है, इसलिए मायके में रह रही है। जल्द ही उसका पति उसे एक फ्लैट खरीद कर देने वाला है ।फिर वह फ्लैट में रहेगी ।पति काफी अच्छा है। उसका काफी ध्यान रखता है ।तब तक गीता का पति एक मोटरसाइकिल में आ चुका था ।गीता ने अपने पति से सोहन का परिचय करवाया। सोहन ने हाथ जोड़कर उसे नमस्कार किया। देखने में वह अधेड़ व्यक्ति गीता से 12 -14 साल बड़ा लगा ।गीता जा चुकी थी ,लेकिन सोहन के कानों में अभी गीता की बातें पटाखों के समान गूंज रही थी। मैं अपने पति का इंतजार कर रही हूं। कोर्ट मैरिज की  हूं ,इसीलिए सिंदूर नहीं लगाती हूं। सोहन को ऐसा लग रहा था ,मानो कोई कान में पिघला शीशा डाल दिया हो ।सारा शरीर सुन्न पड़ता मालूम हो रहा था। गला सूख रहा था। माथे पर पसीना छल छला कर चु रहा था । बदन अंदर से कांप रहा था। किसी तरह उसी चबूतरे में सोहन बैठ गया। माथे पर हाथ रखकर वह सोच रहा था कि वह मां को क्या जवाब देगा? वह कैसे बता पाएगा कि उसका सपना शीशे के समान चूर-चूर हो गया। सोहन को यह बड़ा अजीब लगा कि शादी के बाद भी गीता ने सिंदूर क्यों नहीं लगाया? क्या कोर्ट मैरिज करने वाले सिंदूर नहीं लगाते? ऐसी बात तो नहीं है। संभवत सामाजिक भय रहा हो, दूसरी पत्नी या दूसरे जात या फिर सामाजिक मान मर्यादा का भय, ऐसा ही कुछ रहा हो ,लेकिन यही सिंदूर तो उस गेहूं फटकने वाली शांति के लिए सामाजिक सुरक्षा का पर्याय बन गया है।
 सोहन को अपनी बचपन के वे दिन याद आने लगे, जब वह 13- 14 वर्ष का रहा होगा। गेहूं पीसने वाली चक्की पर जाता, तो उसकी मुलाकात गेहूं फटकने वाली शांति से जरूर होती ।गोरी चिट्टी लगभग 50 वर्षीय शांति के सिर पर मांग में भरा चमकता सिंदूर उसके चेहरे पर काफी खिलता था। बातूनी शांति कहा करती थी -सोहन बाबू ,अपनी शादी में मुझे भूल मत जाइएगा, मुझे पहले बता दीजिएगा, घर की साफ-सफाई और अन्य कामों में हाथ  बटाऊंगी , लेकिन हां एक अच्छी सी साड़ी जरूर लूंगी। तब मैंने कहा- अच्छी बात है, तुम सब परिवार मेरे घर पर आ जाना ।मैं तुम्हें अवश्य बुला लूंगा ।अपने पति और बच्चों के साथ दो दिन पहले से आ कर रहना ।शांति उदास हो गई ।उसने बताया कि उसके बच्चे है। नहीं पति ने आज से 25 वर्ष पहले ही मुझे छोड़कर दूसरे को अपने घर बिठा लिया। अब तो वह इस दुनिया में भी नहीं है ।तभी मेरी नजर शांति के सिंदूर पर टिक जाती है और मैं पूछता हूं ,लेकिन तुम्हारा यह सिंदूर? शांति ने गहरी सांस लेकर कहा कि बाजार में गेहूं फटकने का काम उसी समय से कर रही हूं। सभी की गिद्ध दृष्टि मेरे ऊपर से होकर गुजरती थी, लेकिन मेरे मांग का सिंदूर मेरी रक्षा, किसी कवच की तरह करता था ।मुझे लगा कि शांति अभी जब इतनी सुंदर दिखती है, तो आज से 25 वर्ष पहले कितनी सुंदर दिखती होगी? आज वह विधवा होकर भी सामाजिक सुरक्षा के लिए सिंदूर लगाती है, वहीं गीता शादी करने के बाद ही सामाजिक भय के कारण सिंदूर नहीं लगाती है। चेहरे पर लगाया मुखौटा कभी न कभी जरूर उतरेगा। शायद ना भी उतरे। क्या फर्क पड़ता है, सभी को अपनी जिंदगी अपने ढंग से जीने का अधिकार है। तभी चबूतरे के पास स्कूल का चपरासी आकर कहा- सर ,आप घर नहीं जाइएगा क्या ?अकेले यहां क्यों बैठे हैं?
 सोहन का गला सूख रहा था। सभी बातें चलचित्र की भांति एक-एक कर गुजर रही थी। मन बड़ा अशांत था। किसी तरह बिस्तर पर उस ने करवट बदली। घड़ी में रात के 3बजकर10 हो रहे थे। उठकर सोहन ने पानी पी। मन को थोड़ा सुकून मिला ।फिर उसने तय किया कि भले ही लोगों के चेहरे पर कई चेहरे हो, पर वह मुखौटा नहीं लगाएगा। मां जहां कहेगी, वही शादी करेगा। फिर वह निश्चिंत होकर चादर तानकर ,मीठे सपने में खो गया।