झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

एक अकेला सब पे भारी

एक अकेला सब पे भारी
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हुई घोषणा ये सरकारी
एक अकेला सब पे भारी

जो सवाल शासन से पूछे
झट कहते, करता गद्दारी

लोकतंत्र के सभी तंत्र की
छीनी सत्ता ने मुख्तारी

धन – कुबेर, सत्ताधीशों की
अपनी अपनी हिस्सेदारी

कुचल रहे जो संविधान को
उसकी कैसी जय जयकारी

आम लोग ही चुनते शासक
मत भूलो, ऐ! सत्ताधारी

लोक जागरण करते रहना
सुमन कलम की जिम्मेवारी

श्यामल सुमन