रूप बदल बदलकर,
हर युग में भस्मासुर आता है,
और अपनी कार्यशैली बदलकर,
अपना किरदार भी निभाता है।
सुना है, पहले के भस्मासुर को
वरदान मिला था कि
वह जिसके सर पे हाथ रखेगा,
वह भस्म हो जाएगा।
खुद के भस्म होने का डर,
हर किसी को लगता है,
लेकिन आखिरी में तो
सबको भस्म ही होना है,
ऐसा सोचकर,
कुछ बेखबर भी लगता है।
लेकिन आज के भस्मासुर?
उसने वरदान के नाम पर,
नया तरीका इजाद किया है
वह झुक के जिसे प्रणाम किया,
उसे ही बर्बाद किया है।
लोग-बाग घोर चिंता में हैं कि
अबकी बार उसने झुककर
राज्य-सभागार की सीढ़ी और
कानूनी पोथी को प्रणाम कर लिया।
श्यामल सुमन
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