हर रोज की भांति नेफ्रोलॉजी( वृक विभाग )में आज भी काफी भीड़ थी। भारत ही नहीं बल्कि पूरे एशिया में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल वेल्लोर का नाम है। हार्ट ,किडनी एवं ब्रेन ट्यूमर का इलाज अन्य अस्पतालों की तुलना में यहां ज्यादा अच्छा माना जाता है। किडनी से संबंधित बीमारियों का इलाज नेफ्रोलॉजी में होता है। हर दिन कई नए मरीजों को लेकर उनके रिश्तेदार घबराए हुए आते हैं। फिर धीरे-धीरे यहां के माहौल के अनुसार ढल जाते हैं। हर रोज की तरह आज भी पुराने मरीज या उनके रिश्तेदार नए मरीज एवं उनके रिश्तेदारों को यहां के इलाज के बारे में बता रहे हैं। दरअसल इस रोग के इलाज में समय के साथ साथ काफी पैसा खर्च होता है ।परेशानी चिंता तथा पैसा का भाव प्रायः सभी लोगों के चेहरे से झलकता है।
आज हम धर्म जाति भाषा आदि बातों के लिए झगड़ते हैं ।हिंदू कहता है हमारा मंदिर ऊंचा रहे, तो मुसलमान का कहना है कि मेरा मस्जिद ऊंचा रहे। सिख और ईसाई अपने अपने गुरु और देवता को सर्वशक्तिमान बताते हैं। परंतु मेरे विचार से इन सभी से ऊंचा है अस्पताल। जहां सभी जाति धर्म के लोगों का इलाज समान रूप से किया जाता है। वहां बीमारी देखी जाती है, जाति नहीं। आज हमारी स्थिति यह हो गई है कि दिनोंदिन अस्पतालों की संख्या घटती जा रही है और श्मशानों की संख्या बढ़ती जा रही है।
जहां सुख एक दूसरे व्यक्तियों के बीच खाई पैदा करती है ,वही दुख दो अनजान व्यक्ति के बीच प्रेम पैदा करती है ।आज मेरी नजर एक धोती कुर्ता पहने हुए सज्जन पर पड़ी। कंधे पर एक साफ लाल गमछा भी था ।पहनावा देखकर मैं समझ गया यह बिहार का रहने वाला है। मैं उसकी ओर मुखातिब होकर पूछा ‘आपका कौन भर्ती है और आप कहां के रहने वाले हैं।’ उस सज्जन ने बताया कि मैं पूर्णिया का रहने वाला हूं। मेरी पत्नी का इलाज चल रहा है। मेरे 5 छोटे-छोटे बच्चे हैं ।सबसे बड़ा लड़का अभी इंटरमीडिएट में पढ़ रहा है। गांव में काफी खेती है। लगभग आधा खेत बेचकर ₹चालीस हज़ार लाया था, सोचा था कि इस ₹चालीस हजार में अपनी पत्नी का इलाज अच्छी तरह से करवा लूंगा, परंतु मात्र 15 दिनों के अंदर ही पूरा पैसा इलाज में लग गया। अब जो खेत और मकान बचा है ,उसका अस्सी हजार ₹ से ₹ एक लाख तक मिलने की संभावना है। परंतु मेरी पत्नी कहती है कि इलाज में लगभग ₹तीन लाख लगेंगे और खेत मकान सभी कुछ मेरे खातिर बेच दोगे ,तो आप और मेरे बच्चे खाएंगे क्या और रहेंगे कहां? मुझे यहां से वापस ले चलो, मुझे मेरे बच्चे से मिला दो ।मैं अपने बच्चों के पास ही मरूंगी ,तभी मुझे शांति मिलेगी। आज मैं अपनी पत्नी को वापस घर ले जा रहा हूं ,डॉक्टरों का कहना है कि बिना इलाज के 15 दिन से ज्यादा नहीं बचेगी और मरने के लिए ,मैं अपनी पत्नी को वापस ,अपने गांव ,अपने घर अपने बच्चों के पास ले जा रहा हूं ।
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