झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

वादा सब छूमन्तर है

वादा सब छूमन्तर है
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अपने सोने, उनके सोने में यारों कुछ अन्तर है
प्यासी अपनी आँखें हैं पर दूजा ओर समन्दर है

सदियों से हमने सीखा तब दुनिया में कुछ सभ्य हुए
अबतक कहते, कहने वाले, पूर्वज अपना बन्दर है

किसे नहीं है भूख प्यार की ढंग सभी के अलग अलग
कोई रोता प्यार की खातिर, कोई बना सिकन्दर है

काबिज हो जाते सत्ता पर लोक लुभावन नारों से
वक्त निभाने का जब आया, वादा सब छूमन्तर है

ऊँच नीच जीवन के जितने, उसे मिटाना मिलकर के
जो कर सकता सुमन करेगा, आदत मस्त कलन्दर है

श्यामल सुमन