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भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी ने पंचायत चुनाव बहिष्कार करने का किया आहवान

भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी ने पंचायत चुनाव बहिष्कार करने का किया आहवान

भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर झारखंड पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है. प्रेस रिलीज में उन्होंने आरोप लगाया है कि ग्रामीण इलाकों में किसी तरह का विकास नहीं हुआ है. जो पंचायत चुनाव के बाद जो जीत कर आते हैं वे भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते हैं.
चाईबासा: भाकपा माओवादी संगठन के दक्षिणी जोनल कमेटी के प्रवक्ता अशोक ने 2022 पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने का ग्रामीणों से आहवान किया है. इसके विकल्प में गांव-गांव, इलाके इलाके में जनता की जनसत्ता और सरकार के निकाय क्रांतिकारी जन कमेटी का निर्माण करने की बात कही है.
माओवादियों ने पत्र में कहा है कि ‘ग्राम पंचायत के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य पद पर खड़े होने वाले प्रत्याशी झूम उठे होंगे. झूमेंगे क्यों नहीं क्योंकि चुनाव जीतने से तो पांच साल तक उनके पांचों ऊंगलियां घी में होंगी. हर महीना वेतन मिलेगा विकास के नाम पर खर्च के लिए अब मुखिया प्रमुख और जिला परिषद सदस्य को लाखों-करोड़ों रुपए फंड मिलेगा. पंचायत चुनाव कितने ही बार हो चुके और मुखिया, सरपंच या पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य बदले गये, उनकी तो तकदीर बदल गई.
माओवादियों के प्रेस रिलीज में लिखा है कि ‘ग्रामीण गरीब जनता की तकदरी तो और भी बदतर हुई. इसलिए हम इस पंचायत चुनाव में क्यों हिस्सा लें! यह मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य किस काम के ना तो पीने को स्वच्छ पानी की व्यवस्था है, आज भी गांवों की जनता नाले और चुंआं के ही पानी पीते हैं. फसल उत्पादन के लिए ना तो तालाब, चैक डैम और नहर बनाकर सिंचाई की व्यवस्था करते हैं, ना तो खाद-बीज, कीटनाशक दवा की व्यवस्था करते हैं. ना तो इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र ही है. कहीं अपवाद में स्वास्थ्य केन्द्र है भी तो केवल दिखावे के लिए है. वहां न डॉक्टर आते हैं और न तो कोई दवा उपलब्ध है. स्कूल है तो शिक्षक नहीं, शिक्षक हैं भी तो केवल अपनी हाजिरी बनाने आते हैं. बच्चों को पढ़ाते नहीं हैं. केवल मध्याह्न भोजन बच्चों को खिलाकर छुट्टी कर देते हैं.