समस्त सुविधाओं से युक्त अस्पताल की स्थापना
जमशेदपुर सिटीजन फोरम अध्यक्ष ए के श्रीवास्तव ने पत्र में उल्लेख किया है कि आजकल किसी शहर का मापदंड में लगातार बिजली अच्छी पानी की व्यवस्था सुविधाजनक सड़कें खानपान की व्यवस्था बड़े अस्पताल की स्थापना जहां मरीजों को सारी सुविधा और बहुत कष्टदायक बीमारी का भी इलाज हो सके इस संबंध में अपने अनुभव के अनुसार कुछ बातें आपके सामने रखना चाहता हूं मैंने अपने जीवन के आठ महीने सेवाग्राम वर्धा में खादी और ग्राम उद्योग के प्रशिक्षण में बिताया था इसलिए सेवाग्राम और वर्धा में जाने का काफी मौका मिलता था सेवाग्राम तो प्रतिदिन क्योंकि हमारा प्रशिक्षण केंद्र ही वहां था आठ महीने तक अपना कपड़ा धोना उसको प्रेस करना या सब्जी काटना, खाना बनाने में मदद करना यह अपने प्रशिक्षण का एक अंग था और समय पर खाना समय पर सोना समय पर जगना और नाश्ता और खाने का समय के अतिरिक्त क्या खाना चाहिए जो सुपाच्य हो उसका भी विवरण था और यही उपलब्ध था प्रशिक्षण के दौरान दादा धर्माधिकारी ,काका कालेलकर ,नारायण दास जाजू एवं श्री हाते जैसे विद्वान शिक्षकों से मिलने सुनने और जानने का मौका लगता था| समय पर खाना समय पर उठाना और संतुलित भोजन करना इस पर काफी जोर था
मतलब की सूर्यास्त के पहले रात का भोजन समाप्त 9:00 बजे आपके रूम की बत्ती बंद सो जाना, 4:00 बजे भोर में उठना भगवान का प्रार्थना, सूत काटना कुछ व्यायाम आवश्यक था| कभी सर्दी खांसी जुखाम हो तो देशी विधि से तैयार किया जड़ी बूटियां की दवाई प्रशिक्षण केंद्र में उपलब्ध थी पुदीना, काली तुलसी की पत्ती, दालचीनी, लौंग, इलाइची, तेज पत्ता, हरी मिर्च, हल्दी, प्याज खाना या इसको सब्जी में डालना बहुत आवश्यक था मात्रा बहुत महत्वपूर्ण था अस्पताल के नाम पर छोटा से केंद्र था स्वास्थ्य केंद्र जहां प्रतिदिन नियमित रूप से शुगर की जांच ब्लड प्रेशर और सर्दी खांसी की दवा उपलब्ध थी लेकिन आठ महीने के अंदर किसी आदमी को ब्लड प्रेशर और शुगर की बीमारी से पीड़ित नहीं पाया आजकल ऐसी परिस्थिति हो गई कि छोटे-छोटे जगह पर कम पैसे में घरेलू नुक्से पर आधारित दवाइयां मुश्किल है एम्स के सुविधा के आधार पर बड़े-बड़े हॉस्पिटल 1000-2000 बेड का अस्पताल जहां अंग प्रत्याप्रधाण की सुविधा से ज्यादा हो उस तरह की अस्पताल की मांग बढ़ गई है और हर शहर अपने आप में गौरव महसूस करता है या वहां के रहने वाले बहुत शान से बोलते हैं कि मेरे शहर में एम्स खुल रहा है या एम्स से भी बढ़िया अस्पताल खुल रहा पैरों की घुटने बदलने, हार्ट का ऑपरेशन, सांस की बीमारी इत्यादि बहुत ही किफायती दर पर सुविधा उपलब्ध है| अभी किसी मरीज को कोलकाता, दिल्ली, मुंबई जाने की जरूरत नहीं है मेरा अपना मानना है की पास में पैसा है और जो शौक से इलाज करना चाहता है उसके लिए तो ये सुविधा बहुत अच्छा है लेकिन जो पैसा वाला आदमी नहीं है पैसा उपलब्ध कराने में उसकी मजबूरी है वह तो ऐसे ही बीमार पड़े रह जाएंगे उसको इस अस्पताल में भर्ती होने लायक पैसा नहीं है जहां बड़े अस्पताल खुलती हैं वहां बीमा कंपनी भी ज्यादा खुलती है और बीमार पड़ने पर हवाई की सुविधा मिल रही है और हवाई स्तर पर बाहर ले जाने की सुविधा जो कंपनियां अपने इंश्योरेंस में देती है उसको कारोबार में काफी बढ़ोतरी हो रही है मुझे लगता है की बड़ा-बड़ा अस्पताल होने से बड़ी-बड़ी बीमारियां भी अपने आप हो रही है और आदमी सब के कारण पैसा खर्च करता है मैं जिस वातावरण में था सेवाग्राम वर्धा में वहां पर संत महात्माओं का जो जड़ी बूटी परंपरागत सुविधाओं से इलाज की बात करते थे| वह तो बयान देते थे कि जी बड़े शहर में मल्टी स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल नहीं हो वह बहुत ही भाग्यवान शहर है अस्पताल बनाने से बीमारी आ जाती है यानी बड़ा हॉस्पिटल बड़ा बीमारी का आमंत्रण है मैं व्यक्तिगत रूप से इसका विरोध नहीं करता हूं लेकिन जो अस्पताल खोले जहां स्पेशल रोग की दावा करने का सुविधा हो अस्पताल का प्रशासन और सरकार को भी सोचना चाहिए कि आम आदमी कैसे वहां दवा कराएगा| इसलिए जो-जो सुविधा निम्न वर्ग के लोगों को है उस तरह की सुविधा के लिए स्पेशल कक्ष भी रहना चाहिए और दवा भी सरकार से रियायती दर पर उपलब्ध कराना चाहिए| अन्यथा जिसको बड़ी बीमारी होती है या फिर बड़ी बीमारी होने की आशंका है उसकी बीमारी और बढ़ जाती है क्योंकि उसके पास साधन उपलब्ध नहीं है क्यों दवा कर सके इसमें सरकार को और बड़ी-बड़ी जो कंपनियां है या सुविधा उपलब्ध है उनको एक साथ गहन चिंता कर जो गरीब आदमी के लिए जरूर कोई उपाय निकालना चाहिए|
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