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राज्यपाल से मिलें पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी हेमंत सरकार द्वारा पिछली सरकार की नियोजन नीति रद्द करने के मामले में सौंपा ज्ञापन

राज्य की संवैधानिक प्रमुख महामहिम राज्यपाल झारखंड सरकार द्वारा नियोजन नीति रद्द करने के निर्णय पर दें पुनर्विचार का निर्देश : कुणाल षाड़ंगी

पूर्व विधायक सह प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने गुरुवार को झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से शिष्टाचार भेंट किया। इस दौरान उन्होंने मसलन हेमंत सरकार द्वारा पिछली सरकार (रघुवर सरकार) की नियोजन नीति को रद्द करने के अविवेकपूर्ण निर्णय के विरुद्ध असंतोष ज़ाहिर करते हुए राज्यपाल से हस्तक्षेप का आग्रह किया। इस बाबत कुणाल षाड़ंगी ने कई बिंदुओं को महामहिम राज्यपाल के संज्ञान में लाते हुए युवाओं और राज्य हित में त्वरित हस्तक्षेप का आग्रह किया। कुणाल षाड़ंगी ने आग्रह किया कि राज्यपाल के स्तर से झारखंड सरकार को पिछली सरकार की नियोजन नीति पर पुनर्विचार करने सम्बंधित आदेश जारी किये जायें। कहा कि नई नीति के अभाव में पुरानी नियोजन नीति को रद्द कर देना राजनीतिक पूर्वाग्रह युक्त निर्णय है जिससे हज़ारों योग्य एवं चयनित अभ्यर्थियों का हित प्रभावित हो रहा है। बातचीत के क्रम में पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने राज्यपाल महोदया के संज्ञान में लाया की जब पूर्व के विज्ञापन और नियोजन नीति के आधार पर सैकड़ों लोग नौकरी कर रहे हैं तो उसी विज्ञापन से हुई उसी परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के ख़िलाफ़ यह शासकीय अन्याय क्यों? अगर नियोजन नीति गलत थी तो राज्य सरकार ने हाइकोर्ट में उसके पक्ष में बात क्यों रखी? फिर हाइकोर्ट में हारने के बाद सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज क्यों किया?

कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि सरकार बनने के बाद से महीनों तक कोर्ट से बिना स्टे ऑर्डर लिए नौ महीनों तक बहाली रोकी गई है और साल भर के बाद पूरी सूचि ख़त्म कर दी गई। यह सरासर विभेदपूर्ण और अमानवीय निर्णय है। 11-13 ज़िलों के इतिहास, संस्कृत तथा संगीत के शिक्षक , पीआरटी शिक्षक, पंचायत सचिव अभ्यर्थी, रेडियो ऑपरेटर, स्पेशल ब्रांच और उत्पाद सिपाही के हज़ारों अभ्यर्थी जिनका डॉक्यूमेंट वेरिफ़िकेशन होकर बस नियुक्ति बाकी थी, उनके साथ यह अन्याय हुआ है। जबकि उसी परीक्षा को पास कर कई लोग नौकरी कर रहे हैं। कैबिनेट सचिव छठी जेपीएससी का कट ऑफ़ डेट 1 अगस्त 2016 बता कर गुमराह कर रहे हैं, जबकि वास्तविक रूप से वह 1 अगस्त 2010 था। सातवीं जेपीएससी का कटऑफ उस हिसाब से अगस्त 2011 होना चाहिए। उसे 2016 रखा गया हैं पिछले बार सातवीं जेपीएससी की जो विज्ञापन निकली थी उसमें भी कट ऑफ़ का वर्ष 2011 निर्धारित थी।

पूर्व विधायक सह भाजपा प्रवक्ता ने राज्यपाल के समक्ष यह प्रश्न भी रखा कि पिछली सरकार के समय की सारी नियुक्तियां यदि गलत थी तो छठी जेपीएससी के परिणाम को जारी करते हुए कैसे नियुक्तियां कर दी गई? कुणाल षाड़ंगी ने बताया कि उन्होंने राज्य की संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल महोदया से अविलंब इस विषय पर राज्य सरकार को दिशा निर्देश देने का आग्रह किया है।

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