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नियोजन नीति को लेकर भाजपा का हेमंत सरकार पर जुबानी हमला तेज़, पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी का तंज-यह सरकार है या सर्कस

यू-टर्न के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही झारखंड सरकार :कुणाल षाड़ंगी

रघुवर सरकार की नियोजन नीति को असमय बिना तैयारियों के रद्द करने के निर्णय के बाद से विरोध झेल रही मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड सरकार को एकबार फ़िर सूबे की मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा ने आड़े हाथों लिया है। नियोजन नीति को लेकर असमंजस और भ्रम में डूबी झारखंड कैबिनेट का भारतीय जनता पार्टी पहले ही विरोध जता चुकी है। वहीं शनिवार को भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी की ट्वीट ने सरकार के विरोध को और हवा दे दिया। नियोजन नीति के मसले पर एकबार फ़िर झारखंड सरकार की तीखी आलोचना होने लगी है। शनिवार सुबह पूर्व विधायक और भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने ट्वीट से झारखंड सरकार पर आक्रामक तंज कसते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सवाल किया कि राज्य में सरकार चल रही है या सर्कस। यह फ़र्क़ करना कठिन हो रहा है। यू-टर्न के सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं और मूलवासियों के उम्मीदों का सफ़ाया करने की दिशा में सरकार लगातार तेज़ी से कदम बढ़ा रही है। दरअसल कुणाल षाड़ंगी का तंज झारखंड सरकार के उस संकल्प को लेकर था जिसमें रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द करने के मंत्रिमंडल के सामूहिक निर्णय को राज्य की कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग ने संकल्प द्वारा वापस ले लिया है। वहीं नियुक्तियों के लिए 2016 से पूर्व की नियोजन नीति को अस्तित्व में लाने पर सरकार विचार कर रही है। ऐसे में सरकार के पास अब फ़िलहाल नई नियोजन नीति का कोई प्रस्ताव नहीं है। इसी प्रकरण पर भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित झारखंड सरकार पर तीखा हमला बोला है। यह तय है कि झारखंड मंत्रिमंडल नियोजन नीति को लेकर पूर्णतया भ्रम और असमंजस में है। उन्हें ठोस ज्ञान का अभाव है। पहले रघुवर सरकार की नियोजन नीति को रद्द करना, फ़िर विरोध के बाद विभागीय संकल्प द्वारा उस निर्णय को वापस लेना। और अब 2016 से पूर्व की नियोजन नीति के आधार पर नौकरी देने पर विचार करना सरकार की अपरिपक्वता को दर्शाती है। सवाल उठ रहे हैं कि जब विसंगति बताकर रघुवर सरकार की नियोजन नीति को हेमंत सरकार ने रद्द कर दिया तो उस निर्णय को पलटने की नौबत क्यों आन पड़ी। वहीं जब नियोजन नीति को रद्द करने की निर्णय वापस ली जा चुकी है, ऐसे में नियुक्तियों के लिए 2016 से पहले की नीति को आधार क्यों बनाया जा रहा है? हेमंत सरकार को ऐसे ही कई गंभीर सवालों के जवाब देने होंगे। सरकार अपने ही निर्णयों से लगातार आलोचनाओं और विरोध की शिकार हो रही है। भाजपा प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा की मंत्रिमंडल की सामूहिक जिम्मेदारी से चलने वाली सरकार में ऐसी अनिर्णय की स्थिति राज्य के इतिहास में पहली बार है। सरकार के अल्पज्ञान, भ्रम और अधूरी तैयारियों से मूलवासियों के उम्मीदों का सफ़ाया तय है। कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि रघुवर सरकार की नियोजन नीति में झारखंडियों के हित और अधिकारों की चिंता साफ़ दिखाई देती थी। वहीं वर्तमान सरकार मूलवासियों को अधिकारों से वंचित रखने की ओछी राजनीति कर रही है। भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अविलंब स्थिति स्पष्ट करने की माँग की है। भाजपा प्रवक्ता ने सरकार को नसीहत दिया है कि राज्य में नियोजन नीति को लेकर पसरे भ्रम और असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए सीएम को स्वयं नैतिक जिम्मेदारी लें। उन्हें सामने आकर सरकार का रुख स्पष्ट करना चाहिए।