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राँची के मोरहाबादी मैदान में 10 दिवसीय (22 फरवरी से 3 मार्च) पर्यावरण मेला के सफल आयोजन में सक्रिय रूप से सहयोग देने हेतु मेला के संयोजक, सह-संयोजक, युगान्तर भारती, नेचर फाउंडेशन एवं एन.एस.एस. के स्वयंसेवक को आज वरिष्ठ पर्यावरणविद् एवं झारखण्ड विधान सभा के सदस्य, सरयू राय ने एक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें सम्मानित करते हुए उनका उत्साहवर्द्धन किया

राँची के मोरहाबादी मैदान में 10 दिवसीय (22 फरवरी से 3 मार्च) पर्यावरण मेला के सफल आयोजन में सक्रिय रूप से सहयोग देने हेतु मेला के संयोजक, सह-संयोजक, युगान्तर भारती, नेचर फाउंडेशन एवं एन.एस.एस. के स्वयंसेवक को आज वरिष्ठ पर्यावरणविद् एवं झारखण्ड विधान सभा के सदस्य, सरयू राय ने एक कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें सम्मानित करते हुए उनका उत्साहवर्द्धन किया। इस अवसर पर युगान्तर भारती के कार्यकारी अध्यक्ष एवं पर्यावरण मेला के आयोजन सचिव, अंशुल शरण ने उन सभी का आभार जताते हुए कहा कि आप सबके महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही पर्यावरण मेला का सफल आयोजन संभव हो पाया है, इसके लिए आप सभी बधाई के पात्र है।
उन्होंने कहा कि युगांतर भारती और नेचर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 10 दिवसीय मेले में प्रत्येक दिन लोगों की भीड़ लगी रही। मेला अवधि में अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम, नाटक, गायन कार्यक्रम हुए। ऑन स्पॉट चित्रकारी एवं निबंध प्रतियोगिता का भी आयोजन हुआ। पर्यावरण विषय पर आर्ट कैम्प एवं झारखण्ड के नागवंशी राजाओं के शासनकाल को दर्शाने वाली आर्ट गैलेरी ने भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया। पर्यावरण एवं संबद्ध विषयों पर विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। इस मेला का पूरे भारत में पर्यावरणविद एवं प्रकृतिप्रेमियों, कलाप्रेमियों ने प्रशंसा किया साथ ही आम लोगों ने भी पर्यावरण जैसे गंभीर विषय को समझने का प्रयास किया। अंशुल शरण ने कहा कि हमारे संरक्षक, सरयू राय के कुशल मार्गदर्शन में यह मेला हमारी उम्मीदों से काफी अधिक सफल रहा।
श्री शरण ने बताया कि मेले के विभिन्न दिवस में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, विधानसभा अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो, झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, डॉ. एस.एन. पाठक; अंबुजनाथ, वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, सांसद गीता कोड़ा, विधायक सी.पी. सिंह, बिनोद कुमार सिंह, कुमार जयमंगल, समरी लाल, डॉ लंबोदर महतो के अलावा भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा, भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारीगण, सीसीएल के सीएमडी, पी.एम. प्रसाद आदि की गरीमामयी उपस्थिति रही। साथ ही पदमश्री प्रो. एस.ई. हसनैन, पदमश्री प्रो. आर.के. सिन्हा, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ओ.एन. सिंह, राँची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजीत कुमार सिन्हा, चितरंजन कैंसर इंस्टिच्यूट के सहायक निदेशक डॉ. मानस रंजन रे, झारखण्ड के पूर्व पीसीसीएफ डॉ. संजय कुमार, रिसाईक्लिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक डॉ. आर.पी. शर्मा, विटी रिसर्च फाउंडेशन के निदेशक कुंदन कुमार लाल, आई-फॉरेस्ट के अध्यक्ष चन्द्रभूषण, सर्वोच्च न्यायालय के वरीय अधिवक्ता, संजय उपाध्याय, रित्विक दत्ता, लाईफ, नई दिल्ली के ट्रस्टी डॉ. आर.के. सिंह, एनएचएआई के क्षेत्रीय प्रभारी एस.के. मिश्रा आदि ने विभिन्न विषयों पर अपना व्याख्यान दिया।
मेला में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बारे में श्री शरण ने बताया कि कवियों में पदम अलबेला, अखिलेश द्विवेदी, खुशबू शर्मा, शैल सिंह ने लोगों को हंसाया तो नाट्यकार संजय लाल, राजीव सिन्हा ने सामायिक विषयों पर नाट्य मंचन कर लोगों को जागरूक किया। वहीं पदमविभूषण तीजन बाई, संतुर वादक दिव्यांश हर्षित श्रीवास्तव, शहनाई वादक संजीव एवं अश्विनी शंकर, बनारस घराना के भोजपुरी गायक, दीपक सिंह, सुलेखा रमैया सरीखे कलाकारों ने प्रस्तुती दी और अपनी कलाओं से लोगों को मोहित किया। इसके साथ ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड के प्रसिद्ध लोकनृत्यों में कालबेलिया, कलसा, पाईका, छउ का भी मेला में आये हुए लोगों ने आनन्द लिया।
सम्मान कार्यक्रम के पूर्व मेला समीक्षा बैठक सरयू राय की अध्यक्षता में हुई। समीक्षा बैठक में मेला समिति के सभी संयोजकों एवं सह-संयोजकों ने भाग लिया और मेला संचालन के लिए मिले अपने जिम्मेदारियों के निर्वहन पर अपने-अपने अनुभव साझा किया। सम्मान कार्यक्रम में बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति, डॉ. ओ.एन. सिंह, राँची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. रमेश पाण्डेय, डॉ. एम.के. जमुआर, डॉ. ज्योति प्रकाश, रवीन्द्र सिंह, आर.पी. सिंह, राकेश सिंह, निरंजन सिंह, सुधीर कुमार, रामानुज शेखर, वीरेन्द्र सिंह, तापेश्वर केशरी, धर्मेन्द्र तिवारी, अशोक गोयल, आशुतोष राय, जयनंदु, मनोज सिंह, शिवानी लता, अंशुल शरण, आशीष शीतल के साथ युगान्तर भारती, नेचर फाउंडेशन एवं एन.एस.एस. के सैकड़ों स्वयंसेवक उपस्थित थे।