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जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने आज विधान सभा में शून्यकाल के दौरान पूर्वी सिंहभूम में विगत सात माह से उप विकास आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने का मामला उठाया

जमशेदपुर के विधायक सरयू राय ने आज विधान सभा में शून्यकाल के दौरान पूर्वी सिंहभूम में विगत सात माह से उप विकास आयुक्त की नियुक्ति नहीं होने का मामला उठाया और सरकार से जानना चाहा कि इसका कारण क्या है ? क्या कोई योग्य अधिकारी इस पद के लिए सरकार को उपलब्ध नहीं हो पा रहा है ?
उन्होंने कहा कि उप विकास आयुक्त का पद रिक्त रहने के कारण जिला के उपायुक्त इस पद के प्रभार में है। जिस कारण से उपायुक्त के ऊपर कार्य का काफी बोझ बढ़ा है और आवश्यक कार्य समय पर निष्पादित नहीं हो पा रहे हैं। उन्होंने विशेषकर के जिला परिषद के सदस्यों द्वारा उनके कार्य लंबित रहने का उल्लेख किया और कहा कि पंचायती राज्य के कार्यों के निष्पादन के हित में और विकास कार्यों को त्वरित गति से अंजाम देने के हित में उप विकास आयुक्त की नियुक्ति अंत्यत आवश्यक है। उन्होंने सरकार से पूर्वी सिंहभूम में उप विकास आयुक्त की नियुक्ति शीघ्र करने की मांग सदन से की। जिस पर सभाध्यक्ष ने नियमन दिया कि सरकार इस मामले का संज्ञान ले और यथोचित कार्रवाई करे।

जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने पत्र लिखकर अध्यक्ष झारखण्ड विधान सभा सदन में गलत बयानी करने और सदन को गुमराह करने के लिए स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के विरूद्ध सदन की अवमानना की कार्रवाई चलाने के संबंध में अतिरिक्त तथ्य‌ की मांग की है
आज सदन में स्वास्थ्य विभाग द्वारा दवाओं के खरीद में अनियमितता पर कार्रवाई करने के सबंध में मेरा अल्पसूचित प्रश्न सूचीबद्ध था। आसन द्वारा मूझे पूरक पूछने का निर्देश दिया गया। मैं एक ही पूरक प्रश्न कर सका कि ‘‘भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय तथा स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा भारत सरकार के लोक उपक्रमों से दवाएँ खरीदने का दिशा-निर्देश सरकार के लिए बाध्यकारी है या सलाहनुमा है। मंत्री ने उत्तर दिया कि बाध्यकारी है। तदुपरांत अव्यवस्था हो जाने के कारण आसन द्वारा सदन की कार्यवाही आज 12 बजे दिन तक स्थगित कर दी गई। मैं शेष पूरक प्रश्न नहीं पूछ सका। परंतु मेरे एक ही पूरक प्रश्न का जो उत्तर माननीय मंत्री ने दिया वह सरासर गलत है। इस उत्तर से उन्होंने सदन को गुमराह किया है, सदन के सामने असत्य कहा है और अपना भ्रष्टाचार छुपाने की कोशिश की है।
मैं सभा अध्यक्ष के समक्ष भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय का पत्र संख्या- F.No.50(9)/2010-PI-IV, दिनांक 31.03.2014 की प्रति प्रस्तुत कर रहा हूँ। इसमें रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय, ने स्पष्ट कहा है कि सरकारी संस्थाओं से ही दवा खरीद करना बाध्यकारी नहीं है। यह उन्होंने रेलवे की पृच्छा के उत्तर में दिया है। स्पष्ट है कि स्वास्थ्य मंत्री ने इस बारे में सदन को गुमराह किया है और असत्य कहा है। इसके अतिरिक्त मैं निम्नांकित सूचनाएं भवदीय के समक्ष रखना चाहता हूँ:-

1.Cefoperazone inj. 1 gm vial को सरकार ने भारत सरकार की कंपनी कर्नाटका एंटिबायोटिक्स से रू. 41.56 प्रति भॉयल की दर से खरीदा है और उसी को निविदा के माध्यम से पुष्कर फार्मा से रू. 24.60 की दर पर खरीदा है।

2.मेरी पक्की सूचना है कि माननीय मंत्री के नजदीकी और उनके दल के प्रदेश स्तर के एक नेता के पास कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स का झारखण्ड राज्य का सीएनएफ है।

3.कर्नाटका एंटीबॉयोटिक्स ने राँची की यूनिक फार्मा से एक एग्रीमेंट किया है, जिसके अनुसार उसे 12 से 15 प्रतिशत कमीशन दवाओं की बिक्री पर कंपनी देगी। यूनिक फार्मा का राज्य के स्वास्थ्य मंत्री से क्या संबंध है और कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स ने इसके माध्यम से माननीय मंत्री को कितना उपकृत किया है, यह जाँच का विषय है।

4.भारत सरकार के उर्वरक मंत्रालय एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के निर्देशानुसार जिन दवाओं को खरीदने की सलाह राज्य एवं केन्द्र सरकार के संबंधित विभाग को दिया गया है, उनका निर्माण वे स्वयं करेंगे। परंतु पैरासिटामोल सिरप कर्नाटका एंटिबॉयोटिक्स ने एमबोलिक लैब प्राईवेट लिमिटेड, कंुबलगुडू, बैंगलोर की कंपनी से बनवाया गया है और झारखण्ड सरकार को बेचा है। इसी तरह से गोवा एंटिबॉयोटिक्स जो भारत सरकार की कंपनी है, ने क्रमशः अजमेर के श्री विष्णु चौधरी की कंपनी से तथा भोपाल के उपकरण फार्मा में निर्मित आयुर्वेदिक दवाएँ सरकार को बेचा है और ऊँचे दाम पर बेचा है।

5.स्वास्थ्य विभाग, झारखण्ड सरकार के तत्कालीन संयुक्त निदेशक (औषधि), श्री सुरेन्द्र प्रसाद ने पकड़ा कि भारत सरकार की कंपनियाँ जिन दवाओं की आपूर्ति कर रही हैं उनका जाँच प्रतिवेदन उनका नहीं बल्कि जिन प्राईवेट निर्माताओं से इन्हंे उन्होंने खरीदा है, का है, जिसे उनके पास जमा किया गया है। उनका यह कथन सही साबित हो गया तो स्वास्थ्य विभाग की ओर से उनसे स्पष्टीकरण पूछा गया। उनकी शक्ति छीन ली गई। अब वे अधिकारी सेवानिवृत हो गये हैं।

उपर्युक्त के अतिरिक्त कई ऐसे प्रमाण हैं जिन्हें मैं सदन के सामने रखना चाहता था, परन्तु मेरे एक पूरक के बाद से सदन अव्यवस्थित हो जाने के कारण आसन द्वारा सदन को स्थगित कर दिया गया। परन्तु मेरा एक पूरक प्रश्न का ही जो उत्तर स्वास्थ्य विभाग ने दिया वह सदन को गुमराह करने वाला है।
श्री राम ने उपर्युक्त के आलोक में स्वास्थ्य मंत्री के विरूद्ध अवमानना की कार्रवाई चलाने का सविनय अनुरोध किया है

जल संसाधन विभाग द्वारा सदन में अस्पष्ट एवं भ्रामक उत्तर देने पर सरयू राय द्वारा संसदीय कार्य मंत्री को लिखे गए पत्र के आलोक में मंत्री द्वारा उपलब्ध कराया गया उत्तर प्रतिवेदन।