झारखण्ड वाणी

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जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने पत्र लिखकर अध्यक्ष झारखण्ड विधान सभा राँची दिनांक 16.03.2023 को मेरे ध्यानाकर्षण सूचना पर सदन में माननीय मंत्री स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग बन्ना गुप्ता की ग़लतबयानी पर स्पष्टीकरण पूछने और स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं होने पर उनके विरूद्ध सदन के अवमानना की कार्रवाई आरम्भ करने के संबंध में मांग की है

जमशेदपुर पूर्वी विधायक सरयू राय ने पत्र लिखकर अध्यक्ष झारखण्ड विधान सभा राँची दिनांक 16.03.2023 को मेरे ध्यानाकर्षण सूचना पर सदन में माननीय मंत्री स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग बन्ना गुप्ता की
ग़लतबयानी पर स्पष्टीकरण पूछने और स्पष्टीकरण संतोषप्रद नहीं होने पर उनके विरूद्ध सदन के अवमानना की कार्रवाई आरम्भ करने के संबंध में मांग की है

रांची -श्री राय ने पत्र में उल्लेख किया है कि उपर्युक्त विषय में मेरे प्रश्न एवं पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने सदन के सामने लिखित एवं मौखिक ग़लतबयानी की है। इसके बारे में कल 16.03.2023 को सदन की कार्यवाही की दूसरी पाली में मैंने भवदीय का ध्यान आकृष्ट किया और निवेदन किया कि जिन कागजातों के आधार पर माननीय मंत्री सदन में वक्तव्य दे रहे हैं, उन्हें सदन पटल पर रखने का निर्देश उन्हें दिया जाए। इस संदर्भ में मैंने विधानसभा की कार्यवाही/नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों को भी उद्धृत किया। परंतु भवदीय द्वारा इसका संज्ञान नहीं लिया गया।
आज समाचार पत्रों में माननीय मंत्री का सदन में दिए गए वक्तव्य का प्रासंगिक अंश प्रमुखता से प्रकाशित हुआ है। इसलिये निवेदन कर रहा हूँ कि स्वास्थ्य मंत्री को निर्देशित किया जाय कि वे सदन के समक्ष दिये गये अपने वक्तव्य से संबंधित दस्तावेज सदन पटल पर रखें अथवा ग़लतबयानी के लिए सदन से क्षमायाचना करें। अन्यथा उनके विरूद्ध सदन की अवमानना की कार्रवाई आरम्भ की जाए। इस संबंध में निम्नांकित बिन्दुओं की ओर भवदीय का ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूँ:-

1.मेरे ध्यानाकर्षण का मर्म यही था कि मंत्री महोदय ने अपने कार्यकाल में अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर थोक के भाव से स्थानांतरण, पदस्थापन, प्रतिनियुक्तियाँ की हैं जो झारखंड सरकार की कार्यपालिका नियमावली के प्रासंगिक प्रावधानों का उल्लंघन है। ऐसा उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बग़ैर किया है और बड़ी संख्या में किया है। अपने लिखित उत्तर में उन्होंने सदन को बताया कि ऐसे सभी मामलों में माननीय मुख्यमंत्री का अनुमोदन लिया गया है। मैंने उनके जवाब को सदन में चुनौती दिया, उसे असत्य बताया और कहा कि मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव द्वारा माँगे जाने पर भी स्वास्थ्य विभाग संचिकाएँ नहीं भेजता है। वास्तव में स्वास्थ्य मंत्री की सदन के समक्ष गलतबयानी के लिए उनपर सदन की अवमानना की कार्रवाई होनी चाहिए और मंत्रिपरिषद के सामुहिक दायित्व का पालन नहीं करने के लिए, कार्यपालिका नियमावली के प्रावधानों का बार-बार उल्लंघन करने के लिए और मुख्यमंत्री/मुख्य सचिव के यहाँ से माँगे जाने पर भी संचिका नहीं भेजने के लिये माननीय मुख्यमंत्री को चाहिए कि स्वास्थ्य मंत्री को मंत्रिपरिषद से बर्खास्त करें। परंतु सदन में इस मामले पर वाद-विवाद के समय माननीय मुख्यमंत्री वहाँ मौजूद रहे, पूरा समय चुप्पी साधे रहे। तदुपरांत भवदीय का नियमन हुआ कि स्वास्थ्य मंत्री संबंधित संचिका माननीय मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत करेंगे और माननीय मुख्यमंत्री इसपर निर्णय लेंगे। अब मामला मुख्यमंत्री के पाले में है।

2.इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य मंत्री द्वारा सदन में दिये गये जिस वक्तव्य की ओर मैं भवदीय का ध्यान खींचना चाहता हूँ और जिसे आज के समाचार पत्रों ने प्रमुखता से छापा है वह मंत्री जी द्वारा स्वयं अपनी गलती मान लेने का है। अपनी गलती को उचित ठहराने के लिए उन्होंने परंपरा का हवाला देते हुए मेरे बारे में कहा कि जब मैं मंत्री था तब मैंने भी स्थानांतरण/पदस्थापन में ऐसी ही गलती की थी। अर्थात् मंत्री जी मान रहे हैं कि उन्होंने गलती की है। सवाल है कि मुझसे यदि कोई गलती हुई तो क्या इस गलती को आधार बताकर स्वास्थ्य मंत्री अपनी गलती को सही ठहरा सकते हैं ? ऐसा कहकर उन्होंने सदन में स्वीकार कर लिया कि उन्होंने इस मामले में ग़लत किया है। अपनी गलती को सही ठहराने के लिए किसी दूसरे की गलती को आधार बनाकर मंत्री जी अपनी ज़िम्मेदारी से नहीं भाग सकते, उन्हें अपनी गलती का ख़ामियाज़ा भुगतना ही चाहिए। अब मैं स्वास्थ्य मंत्री जी की इस थोथी दलील, जिसे सामान्य शब्द में गलथेथरइ कहा जाता है, की असलियत उजागर करना चाहता हूँ जिसे वे अपनी गलती छिपाने के लिए ढाल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं। मैं भवदीय के माध्यम से स्वनामधन्य मंत्री श्री बन्ना गुप्ता जी से पूछना चाहता हूँ कि वे कृपया सदन को बता दें कि 2015-19 के बीच मेरे मंत्री रहते समय जितने स्थानांतरण/पदस्थापन/ प्रतिनियुक्ति हुए उसमें मेरे स्तर से कितने मामलों में मान्य नियमों का उल्लंघन हुआ है। मेरे मंत्रित्व काल में संबंधित विभाग में कार्यरत एक पदाधिकारी फ़िलहाल स्वास्थ्य विभाग में महत्वपूर्ण पद पर हैं। मंत्री जी चाहें तो उनसे भी इस बारे में जानकारी ले लें और सदन को बता दें।

3.जब मैं झारखंड सरकार में मंत्री था तब साल में दो बार स्थानांतरण/पदस्थापन विभाग स्तर पर हुआ करते थे। एक दिसंबर के महीना में और दूसरा जून के महीना में। फ़िलहाल केवल एक बार जून-जुलाई में ही विभाग स्तर पर स्थानांतरण/ पदस्थापन होता है। इसके लिए विभागीय सचिव एक स्थापना समिति गठित करते हैं। स्थापना समिति स्थानांतरण/पदस्थापन के लिये मार्गदर्शिका बनाती है। स्वास्थ्य मंत्री जी बता दें कि मेरे मंत्री रहते समय विभागीय स्थापना समिति ने मार्गदर्शिका के आधार पर स्थानांतरण/पदस्थापन का जो निर्णय लिया उसमें मंत्री के नाते मैंने कितना बदलाव/हस्तक्षेप किया। स्वास्थ्य मंत्री जी मेरे मंत्री कार्यकाल के जो दस्तावेज सदन में लहरा रहे थे कृपाकर भवदीय द्वारा उस दस्तावेज को सदन पटल पर रखने का निर्देश उन्हें दिया जाय अथवा उस विभाग के वर्तमान मंत्री महोदय से मेरे मंत्री कार्यकाल के पाँच वर्षों की स्थानांतरण/पदस्थापन संबंधी संचिका मंगाकर अवलोकन कर लिया जाय ताकि स्वास्थ्य मंत्री के ग़लतबयानी का पर्दाफ़ाश हो सके।

4.साथ ही स्वास्थ्य मंत्री को यह भी बताने के लिए निर्देश देने की कृपा की जाय कि मेरे मंत्रित्व काल के पाँच वर्षों में जून से दिसंबर और दिसंबर से जून के बीच हर वर्ष मेरे निर्देश से कितने स्थानांतरण/पदस्थापन हुए हैं ? यदि कोई हुआ है तो माननीय मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बिना हुआ है या नहीं ? महोदय, स्वास्थ्य मंत्री ने अपनी अनियमितता और अपने ग़लत आचरण को सही ठहराने के लिए मेरे मंत्री कार्यकाल का उदाहरण दिया है तो प्रकारांतर से उन्होंने अपनी गलती मान लिया है। अब उन्हें वे दस्तावेज सदन के हवाले करना चाहिए जिसका इस्तेमाल वे मेरे विरूद्ध सदन के समक्ष कर रहे हैं। मैं भवदीय को और भवदीय के माध्यम से सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मेरे मंत्री कार्यकाल में हर वर्ष जून और दिसंबर में जो भी स्थानांतरण/पदस्थापन हुए हैं वे पूरी तरह विभागीय स्थापना समिति के निर्णय और गठित मार्गदर्शिका के अनुरूप हुए हैं तथा जून-दिसंबर अथवा दिसंबर-जून के बीच या तो स्थानांतरण/पदस्थापन नहीं हुए हैं और यदि एका-दुका कोई हुआ भी होगा तो मुख्य मंत्री के अनुमदनोपरांत ही हुआ होगा। यह मैं डंके की चोट पर कह रहा हूँ। इसकी आड़ में अपनी गलती छिपाने और सदन में ग़लतबयानी करने वाले मंत्री जी से पूछा जाना चाहिए कि क्या उन्होंने अपने कार्यकाल में अबतक जून-जुलाई में जो स्थानांतरण/पदस्थापन किया है उसके लिए विभागीय स्थापना समिति गठित किया है और स्थापना समिति ने इसके लिए कोई मार्गदर्शिका बनाया है और जो स्थानांतरण/पदस्थापन हुए हैं वे इस मार्गदर्शिका के अनुरूप हुए हैं ?

5.महोदय, स्वास्थ्य विभाग ने गत जुलाई 2022 में जो ट्रांसफ़र-पोस्टिंग किया है उसमें स्थापना समिति एवं मार्गदर्शिका के निर्णय का पालन नहीं हुआ है। समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है कि जो चिकित्सक एक स्थान पर 9 वर्ष से अधिक समय तक हैं उनका स्थानांतरण होगा। पर 9 साल से कम समय तक एक जगह पर रहे चिकित्सक स्थानांतरित हो गए, 18-20 वर्ष तक एक जगह जमे लोगों को छुआ तक नहीं गया। पति-पत्नी को अलग-अलग दूरस्थ स्थान पर पदस्थापित कर दिया। इसके पहले और बाद में थोक में दर्जनों बार हुए स्थानांतरण/पदस्थापन/ प्रतिनियुक्ति बिना मुख्यमंत्री के अनुमोदन से हुए। इस बारे में अनियमितताओं के उदाहरण सहित राज्य के प्रमुख समाचार पत्रों ने विस्तार से खबर छापा है, जिसका खंडन मंत्री जी ने नहीं किया है। मैंने कल सदन में भी इस बारे में मंत्री जी से पूछा तो वे निरूत्तर हो गये। सदन में मंत्री महोदय ने सफ़ेद झूठ बोल दिया। भवदीय का नियमन हुआ कि विभाग संबंधित संचिकाएँ माननीय मुख्यमंत्री को भेजंे, पर समय सीमा का निर्धारण नहीं हुआ।

महोदय, माननीय मुख्यमंत्री के पास यदि स्वास्थ्य विभाग की स्थानांतरण/ पदस्थापन/प्रतिनियुक्ति की संचिकाएँ पहंुचती है तो इन्हें देखकर वे जो भी विधिसम्मत कारवाई करें। परन्तु अनुरोध है कि सदन में ग़लतबयानी के लिए स्वास्थ्य मंत्री के विरूद्ध सदन की अवमानना की कारवाई चलाने का निर्णय भवदीय लेना चाहेंगे।