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प्रवासी कामगारों के लिए झारखंड सरकार नई श्रम नीति बनाएगी, जानें क्या होगा बदलाव

जमशेदपुर:सरकार एक नई श्रम नीति बनाने जा रही है। कामगारों के अधिकारों, सुरक्षा और सुविधाओं को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस नीति को अमलीजामा पहनाया जाएगा। सरकार के पास कोरोना कंट्रोल रूम और झारखंड सहायता ऐप की मदद से 10 लाख से अधिक प्रवासी कामगारों का डाटा उपलब्ध हो गया है। उनके कौशल के आधार पर मैपिंग भी की गई है।

सबसे अधिक निर्माण क्षेत्र के श्रमिक झारखंड से दूसरे राज्यों में पलायन करते हैं। इन्हें राज्य में ही काम देने के अलावा दूसरे राज्यों में जाने की स्थिति में संस्थागत तरीके से भेजने का प्रावधान सरकार की नई श्रम नीति में शामिल किया जाएगा।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन के साथ सीधी नियुक्ति के माध्यम से भारत-चीन सीमा पर गए संताली मजदूरों की तरह एमओयू की शर्तों को और विस्तृत रूप में नई श्रम नीति में शामिल करने के लिए कहा है। एक छोटी टीम नई श्रम नीति के फ्रेम वर्क में जुटी है। विचार-विमर्श जारी है। स्टेट माइग्रेंट वर्कमेन एक्ट 1979 के तहत मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के साथ-साथ उन्हें प्रावधानित कल्याण लाभ भी सुनिश्चित कराया जाएगा। पंजीकरण के बाद जाने वाले कामगारों को कार्य स्थल पर उनके बच्चों की शिक्षा से लेकर उनकी खुद की परिवार की सुरक्षा, आवास लाभ, स्वास्थ्य और यात्रा भत्ता आदि के अलावा भोजन की सुविधा दिलाने का प्रावधान भी नई श्रम नीति में किया जा रहा है। नई श्रम नीति में एक ऐसी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया जा रहा है जो नियोक्ता और श्रमिक के बीच सीधा संपर्क स्थापित करेगी।

वेबसाइट पर पारदर्शी व्यवस्था होगी : सरकार श्रमिकों को संस्थागत रूप से दूसरे राज्यों में भेजेगी ताकि कामगारों का पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध रहे। श्रम विभाग के पोर्टल को भी बेहतर बनाया जाएगा। ताकि कामगारों का पूरा विवरण पारदर्शी रूप से उपलब्ध हो। श्रमिक अपनी बात सीधे विभाग के आला अधिकारियों तक पहुंचा सकें। दूसरी ओर रिस्पांसिबल माइग्रेशन फेसिलेशन सिस्टम हर जिले में प्रस्तावित है।

कोरोना की वजह से अपने राज्य में परिवार के साथ लौटे प्रवासी कामगारों के बच्चों का सरकारी स्कूलों में नामांकन सुनिश्चित होगा। इसके लिए प्रखंड स्तर पर आए ऐसे प्रवासी कामगारों के बच्चों की संख्या की मांग की गई है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय की ओर से रिपोर्ट मांगने पर झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद ने सभी जिलों को इसके प्रखंड वार रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। प्रखंडों को अपनी रिपोर्ट में बाहर से लौटे अप्रवासी कामगारों के बच्चों के साथ साथ वैसे बच्चे जो पिछले वर्ष तक वहां थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद दूसरी जगह चले गए हैं, उनका भी आंकड़ा देना होगा। इस काम के लिए प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को लगाया गया है। वे प्रखंड क्षेत्र से बाहर जाने वाले और बाहर से आने वाले अप्रवासी छात्र-छात्राओं की पूरी रिपोर्ट देंगे। इसमें श्रम विभाग से मदद लेने को भी कहा गया है।