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जिला प्रशासन स्थानीय कला एवं कलाकारों के जीविकावर्धन के लिए कृत संकल्पित जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री ने देखी स्थानीय शिल्पकारों की कलाकृतियां

जिला प्रशासन स्थानीय कला एवं कलाकारों के जीविकावर्धन के लिए कृत संकल्पित जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री ने देखी स्थानीय शिल्पकारों की कलाकृतियां

पूर्वी सिंहभूम की रत्नगर्भा धरती कला, संस्कृति और शिल्पकारों की धरती भी है। यब बातें जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त मंजूनाथ भजन्त्री ने बिष्टुपुर स्थित कला मंदिर में स्थानीय शिल्पकारों द्वारा निर्मित कलाकृति जिसमें माटीकला, पायटकर पेंटिग, डोकरा, वाद्ययंत्र बानाम, ढोल, नगाड़ा, मांदर देखने के दौरान कही । उन्होने कहा कि यह सभी कलाकृतियां देखकर यह महसूस होता है कि स्थानीय शिल्पकारों में हुनर की कोई कमी नहीं है, जरूरत है तो सिर्फ उचित बाजार उपलब्ध कराने, कलाकृतियों के मार्केटिंग की जिससे इन सभी का उचित मूल्य शिल्पकारों को मिल सके । इस संबंध में जिला प्रशासन के पदाधिकारियों को कार्ययोजना बनाने का निर्देश दिया गया है। उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन इस दिशा में हर संभव प्रयास करेगा ताकि इन शिल्पकलाओं को संरक्षित एवं संवर्धित किया जा सके।
जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने इच्छा व्यक्त किया कि वे खुद शिल्पकारों के गांवों में जाकर उनकी समस्याओं को जानने का प्रयास करेंगे । बोड़ाम प्रखंड के अंधारझोर गांव जाने की बात कही, अंधारझोर ढोल, नगाड़ा, मांदर आदि वाद्ययंत्रों के निर्माण के लिए जाना जाता है । वहां कलाकारों से मिलकर उनकी समस्या को जानेंगे तथा उनके उत्पादों को बाजार दिलाने की दिशा में उचित पहल की जाएगी । साथ ही इस दिशा में जिला उद्यमी समन्वयक को हस्तशिल्प संवर्धन अधिकारी से बात कर हस्तशिल्पकारों के भी बढ़ावा के लिए उचित प्रयास किए जाने का निर्देश दिया गया।
जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त ने कहा कि यहां के शिल्पकार, नाटककार, कलाकार आदि को अपनी कलाओं के प्रदर्शन के लिए उचित स्थान मिल सके इस दिशा में भी प्रयास होगा। उन्होने कहा कि जमशेदपुर मिनी मुंबई है जहां देश के हरेक प्रांत के अलग-अलग संस्कृति के लोग रहते हैं, ऐसे में स्थानीय कलाकार अपनी कला के प्रदर्शन से देश के दूसरे कोने तक अपनी कला को पहुंचा सकते हैं