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पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त के आदेश पर नियुक्त कार्यपालक दंडाधिकारी  नरेंद्र कुमार शर्मा द्वारा किये गए जाँच प्रतिवेदन दिनांक 15.07.2005 की कॉपी भी अदालत में पेश किये जिसमें उक्त कार्यपालक दंडाधिकारी ने आर बी सिंह और स्वर्गीय ए के घोष पर ₹३४,११,४२,९४० रूपये गबन  करने का आरोप सिद्ध किया है

प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट जमशेदपुर  ज्योत्सना पांडेय की अदालत ने कमला मिल्स लिमिटेड के निदेशक और उस कंपनी के 100% शेयरधारक रमेश घमंडी राम गोवानी और उसके सहयोगियों वाई आर कोरी, महेंद्र बख्तावर शाह, केसरी नारीमन अमारिया, सभी इंकैब कंपनी के निदेशक और पूर्व लिक्विडेटर (परिसमापक) शशि अग्रवाल के खिलाफ इंकैब कंपनी में जालसाज़ी और अमानत में खयानत करने के आरोप को सही पाते हुए उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता, १८६० की धाराओं ४०३ और ४१७ के तहत 28.06.2023 के अपने आदेश द्वारा संज्ञान लिया है। ज्ञातव्य है कि इंकैब कंपनी के मजदूरों के प्रतिनिधि शम्भू शरण पांडेय ने उपरोक्त आरोपियों के साथ अन्य १९ – लीडर यूनिवर्सल, उसके प्रबंध निदेशक, कमला मिल्स लिमिटेड, आर आर केबल प्राइवेट लिमिटेड, फसका इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड, टेड लिऊक कोन, पेगासस एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, सुरेंद्र टुटेजा कुमार, पेगासस एसेट्स के प्रबंध निदेशक, मनीष गुप्ता, पेगासस एसेट्स के निदेशक, ट्रॉपिकल वेंचर्स कंपनी लिमिटेड और इसके प्रबंध निदेशक, सिटी बैंक और इसके प्रबंध निदेशक, आई सी आई सी आई बैंक लिमिटेड और इसके प्रबंध निदेशक, एक्सिस बैंक और इसके प्रबंध निदेशक, स्वर्गीय काशी राम तापुरिया के उत्तराधिकारी, रेसोलुशन प्रोफेशनल पंकज टिबरेवाल और आर बी सिंह के खिलाफ इंकैब कंपनी कि परिसम्पत्तियों को हड़पने और जालसाजी करने का एक शिकायतवाद दर्ज कराया था। उक्त शिकायत पर शिकायतकर्ता और अन्य गवाहों की गवाही के आधार पर अदालत ने यह संज्ञान लिया है। शिकायतकर्ता  शम्भू शरण पांडेय ने अपने शिकायतवाद में यह आरोप लगाया है कि यूनिवर्सल लीडर जो इंकैब कंपनी में ५२% का शेयर धारक था उसके निदेशकों ने इंकैब कंपनी को २००० में गैरकानूनी तरीके से बेसहारा छोड़ दिया, निदेशकों और शेयरधारकों की बैठकें और वार्षिक आम बैठकें नहीं की और इस प्रकार कंपनी कानून, १९५६ की धाराएं २७४ और २८३ के अनुसार इसके निदेशक इंकैब कंपनी के निदेशक नहीं रहे थे। परन्तु लगभग आठ वर्षों के बाद २२-०९-२००८ को अचानक यूनिवर्सल लीडर कंपनी के निदेशकों ने कानून का उल्लंघन कर धोखाधड़ी से रमेश घमंडी राम गोवानी के तीन लोगों वाई आर कोरी, महेंद्र बख्तावर शाह, केसरी नारीमन अमारिया को इंकैब कंपनी में निदेशक बना दिया। फिर धोखाधड़ी से रमेश घमंडी राम गोवानी भी इंकैब कंपनी में निदेशक बनाया गया और कंपनी की सारी मशीनें, तैयार माल का स्टॉक, अर्ध-तैयार माल का स्टॉक, अन्य चल संपत्तियां,कंपनी के पुणे स्थित मूल्यवान फ्लैट आदि बेच दिये और उसके सारे पैसे हड़प लिए। इसके अलावा कंपनी की परीसम्पत्तियों से होने वाली आय, किराया, ब्याज आदि पिछले २० सालों से स्वीकृत गबन करता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इन २० सालों में कंपनी के मजदूरों को कोई पैसा नहीं मिला है यहाँ तक कि मजदूरों का पीएफ का पैसा भी आरोपी खा गये। शिकायतकर्ता ने बैंकों पर धोखाधड़ी कर कंपनी की गैर-निष्पादित अस्तियों (नॉन परफार्मिंग एसेट्स) को रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के गाइडलाइन्स के खिलाफ जाकर कमला मिल्स लिमिटेड, आर आर केबल प्राइवेट लिमिटेड, फसका इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड जो रमेश घमंडी राम गोवानी की कम्पनियाँ हैं और पेगासस एसेट्स रिकंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को बेचने का भी आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि यूनिवर्सल लीडर उसके निदेशकों और बैंकों तथा उसके निदेशकों के फर्जीवाड़े के चलते रमेश घमंडी राम गोवानी और उसके लोग जो शेयर धारक नहीं भी थे इंकैब कंपनी पर गैरकानूनी तरीक़े से काबिज हो गए और इंकैब कंपनी को लूट लिया जिससे मजदूर तबाह हो गए। शिकायतकर्ता ने अपने आरोपों को प्रमाणित करने के लिए बीआइएफआर, दिल्ली उच्च नन्यायालय, एनसीएलटी, एनसीएलएटी तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अलावे बहुत से दस्तावेजों के साथ पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त के आदेश पर नियुक्त कार्यपालक दंडाधिकारी  नरेंद्र कुमार शर्मा द्वारा किये गए जाँच प्रतिवेदन दिनांक 15.07.2005 की कॉपी भी अदालत में पेश किये जिसमें उक्त कार्यपालक दंडाधिकारी ने आर बी सिंह और स्वर्गीय ए के घोष पर ₹३४,११,४२,९४० रूपये गबन  करने का आरोप सिद्ध किया है

शिकायतकर्ता के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि चुकी माननीय न्यायालय ने बाकी के आरोपियों पर कोई संज्ञान नहीं लिया है अतः वे इस आदेश के खिलाफ revision पिटीशन दायर करेंगें। शिकायतकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव, अमिताभ कुमार, मंजरी सिन्हा और निर्मल घोष ने इस केस में पैरवी की।