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पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत में महिला सशक्तिकरण से हटकर महिला नेतृत्व विकास की ओर दृष्टिकोण परिवर्तन किया गया – अरिमर्दन सिंह

*जब भी अवसर प्रदान किया गया है, भारत में महिलाओं ने हमेशा खुद को साबित किया है और राष्ट्र को गौरवान्वित किया है -प्रो0 कामिनी कुमार*

*अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2021- नारी शक्ति का जश्न’ विषय पर वेबिनार का आयोजन*

रांची: पत्र सूचना कार्यालय, रीजनल आउटरीच ब्यूरो, रांची और फील्ड आउटरीच ब्यूरो, गुमला के संयुक्त तत्वावधान में ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021: नारी शक्ति का जश्न’ विषय पर आज वेबिनार परिचर्चा का आयोजन किया गया। सरकार इस वर्ष भी आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर भारतीय महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मना रही है।

वेबिनार परिचर्चा की शुरुआत करते हुए अपर महानिदेशक पीआईबी- आरओबी, रांची अरिमर्दन सिंह ने कहा कि जहां कहीं भी महिलाओं को मौका दिया गया है, उन्होंने अपने आप को साबित किया है । प्राचीन काल से आज तक वह पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं, पर फिर भी यह सोचने की बात है कि हमें महिलाओं के हक और सम्मान के लिए अलग से एक दिन मनाना पड़ रहा है, जबकि हर समय हम देख रहे हैं कि महिलाओं को जब भी मौका दिया जाता है उन्होंने अपनी काबिलियत सिद्ध की है।

वेबिनार की मुख्य वक्ता प्रोफेसर कामिनी कुमार, वाइस चांसलर (एक्टिंग), रांची यूनिवर्सिटी ने कहा कि आज नारी के सम्मान का दिन है। हर क्षेत्र में नारी के योगदान को अगर हम देखें तो युद्ध के क्षेत्र में झांसी की रानी, स्पेस में कल्पना चावला, रेलवे में सुरेखा यादव जो कि एशिया की पहली रेल गाड़ी चलाने वाली महिला थी, एडमिनिस्ट्रेशन के क्षेत्र में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का नाम बरबस ही याद आता है। अगर हम झारखंड के परिप्रेक्ष्य में देखें तो 2015 से राज्य को एक महिला गवर्नर मिली है जिन्होंने शिक्षा के विस्तार पर बहुत ही ध्यान दिया है। मां के रूप में नारी धरती का सबसे पवित्रतम रूप है जो समाज को बांध कर रखती है । महिला एवं पुरुष परिवार के दो पहिए हैं और दोनों को एक दूसरे का सम्मान करते हुए एक साथ आगे चलना होगा।
डॉ आरती ज्योति, कंसल्टेंट गायनेकोलॉजिस्ट, मां रामप्यारी सुपर स्पेशियल्टी हॉस्पिटल ने कहा कि आज की महिला का सशक्तिकरण तभी होगा जब महिलाएं अपने स्वास्थ पर ध्यान देंगी। पैंतालीस की उम्र के बाद महिलाओं में आने वाले मेनोपॉज से संबंधित उन्हें काउंसलिंग की जरूरत पड़ सकती है और साथ ही किसी हॉबी या फिर योगा, मेडिटेशन का सहारा लेना चाहिए। साथ ही पेट का अल्ट्रासाउंड तथा मैमोग्राफी भी साल में एक बार कराना चाहिए।

कैप्टन डॉ. प्रिया श्रीवास्तव, सहायक प्रोफेसर, जूलॉजी, सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची ने वेबिनार में कहा कि हम शहरों में देख रहे हैं कि महिलाएं काफी सशक्त हो रही हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण की जरूरत है। जैसे परिवार नियोजन की स्वतंत्रता महिलाओं को मिलनी चाहिए, अभी भी ऐसी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत सी महिलाएं हैं जिनके पास यह हक नहीं है कि वह निर्णय लें कि परिवार नियोजन कब करना है या कैसे करना है । दूसरा पहलू वित्तीय साक्षरता का है क्योंकि आज भी पढ़ी-लिखी या वर्किंग औरतें भी अपने वित्तीय फैसले आजादी से नहीं ले पाती हैं और उन्हें इसके लिए घर के पुरुषों पर निर्भर होना पड़ता है।

एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी आन लीगल इनीशिएटिव्स की झारखंड प्रोजेक्ट हेड सुश्री रेशमा सिंह ने कहा कि हमें इतिहास में जा कर उन महिलाओं को याद करना चाहिए जिनके संघर्ष से हम सभी को यह अवसर मिल रहा है। 18 वीं सदी में रुकमा बाई का बाल विवाह के खिलाफ संघर्ष औरतों की शादी के लिए ‘एज ऑफ कंसेंट’ 10 से 12 वर्ष तक बढ़ाने में बहुत ही अहम था l वहीं 1992 में भंवरी देवी का 9 महीने की बच्ची की शादी को रुकवाने में अहम रोल रहा। 2013 में आई विशाखा गाइडलाइंस भी लैंगिक हिंसा तथा कार्य स्थल पर होने वाली हिंसा को बहुत अच्छे से परिभाषित करता है और वर्किंग वूमेन के अधिकारों की सुरक्षा में एक अहम कड़ी है। आज के दिन हमें 19वीं सदी में दलित महिलाओं की शिक्षा के लिए किए गए सावित्री बाई फुले के कार्यों को भी तथा मुस्लिम महिलाओं के लिए फातिमा शेख के योगदान को भी याद करना जरूरी है।

वेबिनार का समन्वय एवं संचालन क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी महविश रहमान ने किया। क्षेत्रीय प्रचार अधिकारी ओंकार नाथ पांडेय एवं गौरव पुष्कर ने समन्वय में सहयोग दिया। वेबिनार में विशेषज्ञों के अलावा शोधार्थी, छात्र, पीआईबी, आरओबी, एफओबी, दूरदर्शन एवं आकाशवाणी के अधिकारी-कर्मचारियों तथा दूसरे राज्यों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया। गीत एवं नाटक विभाग के अंतर्गत कलाकार एवं सदस्य, आकाशवाणीy हुए। वेबिनार का यु-ट्यूब पर भी लाइव प्रसारण किया गया।