झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

ओवरस्पीड बन रही है मौत की बड़ी वजह

*सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए बनेगी वॉलेन्टियर्स की टीम*

*रांची -सड़क दुर्घटना में 18 से 35 वर्ष के बीच के युवा जान गवां रहें हैं। यह चिंतनीय है। हमें इसपर ध्यान केंद्रित करना है और इसका समाधान ढूंढना है। ओवरस्पीड पर विराम आवश्यक है सड़क हादसों को रोकने में मददगार बनें। गति सीमा पर विशेष ध्यान दें। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने राज्य सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में प्रस्तुत आंकड़ों पर मंथन के दौरान उपरोक्त बातें कही।
राज्य सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा प्राप्त आंकड़ों के अनुसार झारखण्ड में सड़क दुर्घटना में प्रतिदिन औसतन 10 लोग जान गंवाते हैं। जान गंवाने वालों में से 10 प्रतिशत पैदल चलने वाले और सात प्रतिशत साइकिल सवार हैं। वर्ष 2020 की स्थिति पर गौर करें तो कुल 4377 सड़क दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 3303 लोग घायल हुए और 3044 लोगों ने जान गवाई है। 92 प्रतिशत दुर्घटना सिर्फ ओवर स्पीड की वजह से हुईं। दो प्रतिशत दुर्घटनाएं नशे में, गलत दिशा में वाहन चलाने से चार प्रतिशत, वाहन चलाते समय मोबाईल का उपयोग करने और लाल बत्ती क्रॉस करने पर एक प्रतिशत लोग हादसे के शिकार हुए हैं। वर्ष 2020 में सड़क दुर्घटना के मामले में खूंटी पहला, रांची दूसरा और गुमला तीसरा स्थान रखता है, जबकि गोड्डा, पाकुड़ और साहिबगंज में सबसे कम सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।

अकसर देखा जाता है कि एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की रफ्तार काफी तेज होती है और सड़क दुर्घटना की आशंका अधिक बढ़ जाती हैं। लेकिन वर्ष 2020 में मात्र एक प्रतिशत हादसे एक्सप्रेस-वे पर हुए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग में 39 प्रतिशत, राज्य उच्च पथ पर 18 प्रतिशत दुर्घटनाएं दर्ज की गयी। अन्य सड़कों पर हुई क्षेत्रवार हादसों का विश्लेषण किया जाए तो रेजिडेंशियल क्षेत्र में 24 प्रतिशत, शैक्षणिक क्षेत्र में दो प्रतिशत, मार्केट एरिया में 19 प्रतिशत और सर्वाधिक 55 प्रतिशत हादसे अन्य क्षेत्र में हुई। सबसे अधिक 63 प्रतिशत हादसे सीधी सड़कों पर हुए हैं। वर्ष 2020 में दो पहिया वाहन के 39 प्रतिशत मामले सामने आए हैं। कार, जीप, वैन और टैक्सी से 18 प्रतिशत और ट्रक से 16 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं।
जीवन सुरक्षा हेतु वाहन चलाते समय हेलमेट का उपयोग अवश्य करें। राज्य सड़क सुरक्षा परिषद द्वारा किये गए विश्लेषण के अनुसार सुरक्षा मानकों पर ध्यान दिया जाए तो हेलमेट पहनने के बाद दुर्घटना में जान गंवाने की संभावना 14 प्रतिशत ही रहती है, जबकि नहीं पहनने की स्थिति में 86 प्रतिशत जान गंवाने की संभावना रहती है। सीट बेल्ट लगाकर वाहन चलाने से 22 प्रतिशत मामलों में जान जाने और सीट बेल्ट नहीं लगाने पर 78 प्रतिशत जान जाने की संभावना होती है।
राज्य सरकार ने सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद पहुंचाने हेतु नेक नागरिक से संबंधित नीति काफी कारगर होगी। इसे लागू कराने से सम्बन्धित नियमावली को मंत्रिपरिषद से स्वीकृति प्राप्त है। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में हो रही सड़क दुर्घटनाओं में घायल व्यक्ति की सहायता के लिए नेक नागरिक वॉलेंटियर्स टीम का गठन किया जाना है। नेक नागरिक स्वंय सहायता समूह बनाकर प्रोत्साहन राशि भी उपलब्ध करायी जायेगी।

सड़क सुरक्षा विषय को छठी, सातवीं और आठवीं के पाठ्यक्रम में अनिवार्य रूप से सम्मिलित करने पर सरकार विचार कर रही है। साथ ही, मध्य विद्यालयों, उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थानों एवं उच्च विद्यालयों में एक सड़क सुरक्षा नोडल शिक्षक की प्रतिनियुक्ति करने की योजना है। लोगों को सड़क दुर्घटना से बचाने एवं जागरूकता हेतु 16913 साइन बोर्ड, 4271 गति सीमा एवं 75996 सूचनाओं से संबंधित साइनऐज लगाया जा चुका है। एनएच, राज्य पथ और जिलों की सड़कों से मिलने वाले जंक्शन पर 188 पीला ब्लिंकर स्टैंड लगाए जा चुके हैं। 260 जगहों पर पीला ब्लिंकर स्टैंड लगाने की प्रक्रिया जारी है।

झारखण्ड के सभी जिलों में कम से कम एक ट्रॉमा सेंटर के निर्माण पर सरकार विचार कर रही है। वर्तमान में रिम्स रांची में लेवल-1 का, हजारीबाग गढ़वा का नगर उंटारी, पूर्वी सिंहभूम स्थित बहरागोड़ा और एसडीएच बरही में लेवल तीन का ट्रॉमा सेंटर कार्य कर रहा है, जबकि लेबल तीन के ट्रॉमा सेंटर कोडरमा, लोहरदगा स्थित कुडू, एसडीएच घाटशिला में निर्माणाधीन है।

यातायात के दबाव वाले जिलों में सरकार विशेष ध्यान दे रही है। रांची, जमशेदपुर, सरायकेला, हजारीबाग, रामगढ़, गिरिडीह, धनबाद, बोकारो और देवघर में 88 हाईवे पेट्रोल्स और 168 पीसीआर वैन की तैनाती की गई है। ताकि किसी तरह का हादसा होने पर एम्फोर्समेंट टीम मदद करे।

*मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास में आज कामदेव पान ने मुलाकात की।*

*मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सरायकेला-खरसवां जिला के बासुरदा गांव के निवासी कामदेव पान के द्वारा निर्मित की गई बैटरी वाली बाइक की प्रशंसा करते हुए कहा कि झारखंड के युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। राज्य के युवा वर्ग को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। राज्य के युवाओं को सही दिशा देने का हर संभव प्रयास हमारी सरकार कर रही है।
कामदेव पान ने मुख्यमंत्री के समक्ष बैटरी से चलने वाली इस बाइक की फीचर्स से संबंधित पूरी जानकारी रखी। कामदेव पान ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि उनके द्वारा निर्मित की गई यह बाइक फुल चार्ज होने पर 50 से 60 किलोमीटर की माइलेज देती है। यह बाइक पूरी तरह आधुनिक है। पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी यह बाइक काफी अनुकूल है। यह बाइक ध्वनि एवं धुआं रहित है। बैटरी डिस्चार्ज होने पर पैडल से भी इस बाइक को चलाया जा सकता है।

*राज्य में बेहतर शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना प्राथमिकता*

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व्यवस्था स्थापित करना राज्य सरकार की प्राथमिकता है। शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए प्रतिबद्धता के साथ कार्य किये जा रहे हैं। संविदाधारी शिक्षाकर्मियों के समस्याओं के समाधान के लिए हमारी सरकार गंभीर है। “समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाइटी” के नीति का लाभ सदस्यों को मिलना प्रारंभ हो यह हमारी प्राथमिकता है। उक्त बातें मुख्यमंत्री ने आज झारखंड मंत्रालय में झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, रांची के द्वारा आयोजित “समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाईटी” की आमसभा की पहली बैठक में कहीं।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि समग्र शिक्षा के अधीन कार्यरत संविदाधारी कर्मी वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों के लिए कल्याण कोष का गठन किया गया है। एकीकृत और अन्य पारा शिक्षकों, केजीवीवी, बीआरपी-सीआरपी कर्मियों को अब पांच लाख बीमा राशि का लाभ मिल सकेगा मुख्यमंत्री ने कहा कि कल्याण कोष नीति के तहत एकीकृत और अन्य पारा शिक्षकों, केजीवीवी, बीआरपी-सीआरपी संविदाधारी कर्मियों के कार्यकाल के दौरान समान्य मृत्यु होने पर उनके आश्रित पति/पत्नी अथवा नाबालिक बच्चे और आश्रित माता-पिता को सहायता प्रदान किया जाना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब सामान्य मृत्यु की स्थिति में भी पांच लाख यह बीमा राशि उपलब्ध कराई जा सकेगी। उन्होंने इस निमित्त बीमा हेतु निविदा प्रस्ताव तैयार करने का निर्देश दिया। इस निमित्त ग्रुप इंश्योरेंस एक्सीडेंटल बीमा योजना के तहत पांच लाख तक का लाभ अधिकतम 80 रुपए प्रति व्यक्ति वार्षिक प्रीमियम राशि पर दिए जाने का प्रावधान किया गया है। बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष शिक्षा सचिव राहुल शर्मा द्वारा जानकारी दी गई कि इस नीति के तहत दुर्घटना में मृत्यु होने तथा स्थायी रूप से दिव्यांगता पर पांच लाख रुपए राशि की बीमा तथा अस्थायी दिव्यांगता की स्थिति में दो लाख पचास हजार तक की राशि का कवरेज दिए जाने का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस आलोक में निविदा प्रकाशित कर दर निर्धारण के पश्चात राशि उपलब्धता के आधार पर निर्णय लिए जाने का निर्देश दिया। शिक्षा सचिव ने बताया कि सामान्य दिव्यांगता की स्थिति में असैनिक शल्य चिकित्सक की अनुशंसा पर दिव्यांगता प्रतिशत के आधार पर बीमा राशि तय करने का प्रावधान किया गया है।

बैठक में मुख्यमंत्री के समक्ष यह बताया गया कि कल्याण कोष के सदस्यों को प्रदान किए जाने वाले लाभों में ऋण सहायता की भी व्यवस्था की गई है। इस हेतु राज्य सरकार द्वारा दस करोड़ की कॉरपस फंड सूद की उपलब्ध संपूर्ण राशि पर ऋण देने का निर्णय लिया गया। सदस्य के पुत्र एवं पुत्री की उच्च शिक्षा हेतु तथा पुत्री के विवाह के लिए 50 हजार से अधिकतम दो लाख रुपए के ऋण का प्रावधान किया गया है। इसी तरह राज्य सरकार द्वारा घोषित असाध्य रोग के इलाज के लिए भी कल्याण कोष नीति में ऋण प्रावधान किया गया है। लाभार्थियों के पांच वर्ष तक सेवा अवधि रहने पर 25 हजार रुपए , 5 वर्ष से अधिक तथा 10 वर्ष तक सेवा अवधि रहने पर 50 हजार रुपए, 10 वर्ष से अधिक 15 वर्ष तक सेवा अवधि रहने पर 75 हजार रुपए तथा 15 वर्ष से अधिक सेवा अवधि रहने पर एक लाख रुपए की राशि ऋण स्वरूप प्रदान किए जाने की व्यवस्था प्रावधानित है। बैठक में शिक्षा सचिव ने मुख्यमंत्री को अवगत कराया कि ऋण स्वीकृति में प्राप्त आवेदनों में शादी के अधिकतम उम्र के बच्ची से संबंधित आवेदन, उच्चतम शैक्षणिक अहर्ता हासिल करने हेतु आवेदन तथा प्राप्त आवेदनों में से गंभीरतम असाध्य रोग के इलाज की प्राथमिकता पर विचार करते हुए स्वीकृति दी जाएगी। मुख्य सचिव ने पहले आवेदन करने वाले को भी प्राथमिकता दिए जाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री ने आवेदनों का निष्पादन तीव्र गति से करने हेतु ऑनलाइन पोर्टल का निर्माण कर उस के माध्यम से आवेदन प्राप्त करते हुए मामले के निष्पादन को पन्द्रह दिनों के अंदर पूर्ण करने का प्रावधान करने का निर्देश दिया।

बैठक में शिक्षा सचिव राहुल शर्मा ने मुख्यमंत्री के समक्ष जानकारी दी कि झारखंड राज्य असाध्य रोग उपचार योजना के तहत अधिकतम पांच लाख के उपचार की सुविधा का लाभ पूर्व से ही प्रदत है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार के वित्त पोषण से संचालित असाध्य रोग उपचार योजना के तहत असाध्य रोगों के लिए पांच लाख रुपए तक के उपचार हेतु राज्य सरकार द्वारा राशि प्रदान की जाती है। चूंकि लाभुक सभी कर्मियों की वार्षिक आय आठ लाख रुपये से कम है अतः यह सभी इससे लाभान्वित हो सकेंगे। इस योजना के तहत इलाज के लिए पांच लाख रुपए तक की राशि इलाज करने वाले अस्पताल को आरटीजीएस अथवा बैंक ड्राफ्ट के द्वारा भुगतान की जाती है।
बैठक में राज्य परियोजना निदेशक शैलेश चौरसिया ने मुख्यमंत्री के समक्ष यह जानकारी दी कि कल्याण कोष नीति में लाभुक सदस्यों के परिवारजनों के लिए आयुष्मान भारत गोल्डन कार्ड योजना के तहत वैकल्पिक आच्छादान की व्यवस्था की जा रही है। यह लाभ पूर्णता वैकल्पिक होगा। इसे वही लाभुक सदस्य प्राप्त कर सकेंगे जो इस हेतु अपना विकल्प देते हुए आवेदन करेंगे। आवेदन करने वाले लाभुक सदस्य की वार्षिक अनुदान से संभावित 900 रुपए प्रतिवर्ष यह राशि बीमा प्रीमियम की राशि के रूप में जमा करनी होगी। यह योजना प्रस्तावित सितंबर 2021 में सरकार द्वारा स्वीकृति प्रदान किए जाने पर ही लागू की जा सकेगी। बैठक में सदस्यों के सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त लाभ से संबंधित निर्णय भी लिया गया। इसके तहत लाभार्थी सदस्यों के पांच लाख रुपए न्यूनतम बीमा विकल्प के लिए निविदा प्रकाशित कर राशि उपलब्धता के आधार पर निर्णय लेने का निर्देश दिया गया तथा अन्यथा की स्थिति में ही लाभुकों के अंशदान की कुल अवशेष राशि ब्याज सहित प्रदान करने की व्यवस्था करने पर विचार किया जाए।

बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य अनिवार्य रूप से इस से जुड़ेंगे तथा सदस्यता शुल्क संभित कर्मियों के मासिक मानदेय से सदस्य आवेदन प्राप्त होने पर कटौती कर कल्याण कोष में जमा करने हेतु राज्य परियोजना निदेशक को प्राधिकृत किया गया।

बैठक में लाभुक सदस्यों के कल्याण से संबंधित कई पहलुओं पर विचार-विमर्श किया गया तथा मुख्यमंत्री ने कई आवश्यक दिशा-निर्देश विभाग के पदाधिकारियों को दिया।

*बैठक में राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, विकास आयुक्त के के खंडेलवाल, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, शिक्षा सचिव राहुल शर्मा, वित्त सचिव हिमानी पांडे, राज्य परियोजना निदेशक शैलेश चौरसिया, प्राथमिक शिक्षा निदेशक भुवनेश प्रसाद सिंह, प्रसाशी पदाधिकारी जयंत मिश्रा, यूनिसेफ प्रतिनिधि पारुल शर्मा, एकीकृत एवं अन्य पारा शिक्षक के प्रतिनिधि, केजीवीपी, बीआरपी, सीआरपी के प्रतिनिधि एवं संबंधित विभाग के अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।*

*मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से कांके रोड रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास में आज बंगाली एसोसिएशन झारखंड के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से प्रतिनिधिमंडल ने राज्य अल्पसंख्यक आयोग में भाषाई अल्पसंख्यक बांग्ला कोटा से अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का चयन समिति के अनुशंसा पर किए जाने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के समक्ष कहा कि राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग ने दस जिलों में बांगला को प्रथम भाषा की स्वीकृति दिया है। प्रतिनिधिमंडल ने राज्य के सभी जिलों में बहुसंख्यक विद्यालयों में बांगला को प्रथम भाषा की स्वीकृति दिए जाने और शिक्षक तथा पाठ्यपुस्तक उपलब्ध कराने का आग्रह मुख्यमंत्री से किया है। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री के समक्ष कहा कि रांची स्थित झील में स्वामी विवेकानंद जी का भव्य प्रतिमा स्थापित किया गया है अतएव इस झील का नाम “विवेकानंद सरोवर” रखा जाए। मौके पर बंगाली एसोसिएशन झारखंड के मुख्य संरक्षक भास्कर दत्ता, अध्यक्ष श्यामल कुमार सरकार,महासचिव देवांशु साहा उपस्थित थे।*

*लाह की खेती से लखपति बन रहीं महिला किसान*

*रांची – झारखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों की महिला किसान लाह एवं लाह की खेती के ज़रिये बेहतर आजीविका की ओर अग्रसर हो रही हैं। लाह की खेती से महिलाएं अपने गाँव में रहकर ही अच्छी आमदनी अर्जित कर राज्य में लाह उत्पादन के आंकड़ों में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं। राज्य सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाओं को लाह की वैज्ञानिक खेती से जोड़कर अत्याधुनिक प्रशिक्षण के जरिए आमदनी बढ़ोतरी के प्रयास किये जा रहे हैं। इस पहल से राज्य की 73 हजार से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को लाह की वैज्ञानिक खेती से जोड़ा गया है, जिनमें अधिकतर अति गरीब एवं सुदूरवर्ती क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण परिवार हैं। वर्ष 2020 में करीब दो हजार मीट्रिक टन लाह का उत्पादन ग्रामीण महिलाओं द्वारा किया गया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री लाह की खेती को कृषि का दर्जा देने में जुटे हैं, जिससे राज्य की ग्रामीण महिलाओं को वनोपज आधारित आजीविका से जोड़कर आमदनी बढ़ोतरी का कार्य हो सके। मुख्यमंत्री का मानना है कि भारत आत्मनिर्भर देश तभी बनेगा, जब ग्रामीण क्षेत्र का सशक्तिकरण होगा।
कल तक जिन महिलाओं का जीवन घर की चहारदिवारी में गुजरता था और खुद की पहचान बनाने से वह वंचित थी। राज्य सरकार इन महिलाओं को पारंपरिक पेशे में ही स्थानीय आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध करा रही है। इससे महिलाओं की वनोपज-उद्यमी के रूप में पहचान बन रही है। पश्चिमी सिंहभूम के गोईलकेरा प्रखंड के रूमकूट गांव की रंजीता देवी उन महिलाओं में से एक हैं जो लाह की खेती से सालाना तीन लाख रुपए तक की आमदनी प्राप्त कर रही हैं। रंजीता कहती हैं, दूरस्थ क्षेत्र होने के कारण उनकी आजीविका मुख्यतः जंगल और वनोपज पर निर्भर है। उनके परिवार में पहले भी लाह की खेती की जाती थी, लेकिन सरकार से प्रोत्साहन, वैज्ञानिक विधि से लाह की खेती करने, सही देख-रेख के साथ-साथ सही मात्रा में कीटनाशक के छिड़काव से उपज बढ़ाने के बारे में जानकारी मिली। जे.एस.एल.पी.एस के माध्यम से लाह की आधुनिक खेती से सम्बंधित प्रशिक्षण प्राप्त किया। सरकार की ओर से लाह का बीज भी उपलब्ध कराया गया। आज लाह की खेती में रंजीता देवी को लागत के रूप में नाममात्र खर्च करना पड़ता है, लेकिन उससे कई गुना ज्यादा उपज एवं मुनाफा प्राप्त हो रहा है। रंजीता साल भर में दो बार बिहन लाह की खेती करती हैं और लाह की खेती के ज़रिये उनकी आय साल दर साल बढ़ रही है। पिछले वर्ष रंजीता ने 300 किलो बिहन लाह बीज के रूप में लगाया, जिससे उन्हें 15 क्विंटल लाह की उपज प्राप्त हुई और उससे उन्हें तीन लाख रुपए की आमदनी हुई।
महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना के अंतर्गत महिला किसानों को लाह उत्पादन, तकनीकी जानकारी, प्रशिक्षण और बिक्री हेतु बाज़ार उपलब्ध कराया जा रहा है। महिला किसान उत्पादक समूहों के माध्यम से लाह की सामूहिक खेती एवं बिक्री कर रही हैं। महिलाओं को आवासीय प्रशिक्षण के जरिए लाह की उन्नत खेती के लिए प्रेरित और लाह की खेती कर रहे किसानों के अनुभवों से भी उन्हें अवगत कराया जाता है। किसानों को उचित बाज़ार उपलब्ध कराने के लिए राज्य भर में 460 संग्रहण केंद्र और 25 ग्रामीण सेवा केंद्र का परिचालन किया जा रहा है। ग्रामीण महिलाओं द्वारा संचालित इन संस्थाओं के माध्यम से लाह की खेती कर रहे किसान अपनी उपज को एक जगह इकठ्ठा करते है और फिर ग्रामीण सेवा केंद्र के माध्यम से एकत्रित उत्पाद की बिक्री की जाती है। इस तरह रंजीता जैसी हजारों ग्रामीण महिलाएं आज लाह की वैज्ञानिक खेती से जुड़कर अच्छी कमाई कर रही हैं। वर्तमान सरकार वन संपदा से समृध्द झारखण्ड में ग्रामीण परिवारों को वनोपज आधारित आजीविका से जोड़कर उनकी जीवनशैली में बदलाव लाकर आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

राज्य सरकार लाह की खेती को कृषि का दर्जा देगी। इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय करेगी। किसानों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना सरकार का संकल्प है। इस बाबत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके जरिए किसानों को अनुदान, ऋण और अन्य जरूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है *