झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

नीरो फिर बंसी बजा रहा है

मेरा भारत महान
सड़कों पर अन्नदाता किसान
ठिठुरती रात, परिवारों के साथ
किसान आन्दोलन चला रहा है,
और राजधानी में,
नीरो बंसी बजा रहा है।

अब हो गया है नीरो चालाक,
बेख़ौफ़ और बेबाक,
ऊपर से मीठी-मीठी बातें करता है,
लेकिन जनमत की जरूरत छोड़,
अपनी जिद्द पे अड़ता है।
अपने पक्ष में, पद पैसे के दम पर,
नकली संगठनों को जुटा रहा है,
और नीरो फिर बंसी बजा रहा है।

पर जनता तो है हमेशा जनार्दन,
हर बुराईयों का करती परिमार्जन,
जाड़े की बारिश और तूफान,
फिर भी अडिग सड़कों पे किसान,
इस बार नीरो की बंसी को,
तोड़ने की योजना बना रहा है,
लेकिन तब तक नीरो बंसी बजा रहा है।

श्यामल सुमन