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मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना से लाभान्वित हो रहे युवा

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना से लाभान्वित हो रहे युवा

रांची। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत ऋण की सुविधा अब राज्य के जरूरतमंद युवाओं की आजीविका का वाहक बन रहा है। कोरोना संक्रमण काल में बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों से लौटे प्रवासियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पूर्व से चली आ रही ऋण सह अनुदान योजना में मुख्यमंत्री  हेमन्त सोरेन द्वारा संशोधन का निर्णय युवाओं के लिए स्वरोजगार के मार्ग को प्रशस्त कर दिया है। यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2,551 युवाओं को योजना का लाभ मिला और वे स्वरोजगार अपनाकर आत्मनिर्भर बने।

मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना का सबसे अधिक लाभ अनुसूचित जनजाति के युवाओं ने लिया है। निगम प्रमंडलीय शाखा के आकंड़ों को देखें तो रांची शाखा में 372, हजारीबाग शाखा में 79, दुमका शाखा में 324, चाईबासा शाखा में 146 और डाल्टेनगंज शाखा में 23 अनुसूचित जनजाति के युवाओं को योजना से अच्छादित किया गया है। वहीं अनुसूचित जाति के 648 युवा, पिछड़ा वर्ग के 657, अल्पसंख्यक वर्ग के 249 एवं 53 दिव्यांग युवा लाभान्वित हुए हैं। इसके तहत अनुसूचित जनजाति के युवाओं को लोन के तौर पर 22 करोड़ 19 लाख 47 हजार 271 रुपये, अनुसूचित जाति के युवाओं को ऋण के रूप में 42 करोड़ 54 लाख आठ हजार 377 रुपये, पिछड़ा वर्ग को 11 करोड़ 38 लाख, 89 हजार 928 रुपये, अल्पसंख्यक वर्ग के बीच 5 करोड़ 28 लाख 46 हजार 784 रुपये और दिव्यांग युवाओं के बीच 56 लाख 43 हजार 422 रुपये का लोन स्वरोजगार हेतु उपलब्ध कराया गया है।

योजना के तहत दुमका के अनुसूचित जनजाति के 143, सिमडेगा के 134, रांची के 133, पश्चिमी सिंहभूम के 118 युवाओं ने योजना का लाभ लिया। पलामू में निवास करने वाले 228 अनुसूचित जाति वर्ग के, पिछड़ा वर्ग में सबसे अधिक हजारीबाग के 112, अल्पसंख्यक वर्ग में रांची के 43 एवं रांची के ही सबसे अधिक 13 दिव्यांग युवाओं ने आगे बढ़कर योजना से आच्छादित हुए।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के युवाओं को मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना से अच्छादित करने की प्रक्रिया आरम्भ कर दी गई है। अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक, पिछड़ा वर्ग एवं दिव्यांग युवाओं को रोजगार से जोड़ने एवं उद्यमिता विकास हेतु झारखण्ड राज्य आदिवासी सहकारी निगम, झारखण्ड राज्य अनुसूचित जाति सहकारिता विकास निगम, झारखण्ड राज्य पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम और झारखण्ड राज्य अल्पसंख्यक वित्त एवं विकास निगम से ऋण लेने की प्रक्रिया को लचीला बनाया गया है। ऐसे युवाओं को अधिक अनुदान भी प्राप्त हो रहा है। ऋण की सुविधा सिर्फ आर्थिक गतिविधियों के विकास के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। ऋण सह अनुदान राशि में संशोधन के फलस्वरूप स्वरोजगार के लिए अब 40 % की अनुदान राशि प्राप्त हो रही है। पूर्व में यह 25 % एवं अधिकतम ढाई लाख रुपये था। संशोधन के उपरांत 40% अनुदान या अधिकतम 5 लाख रुपये तक का अनुदान युवा प्राप्त कर रहे हैं। इस तरह झारखण्ड के युवाओं को स्वरोजगार के साधन यथा ट्रेडिंग, मैनुफैक्चरिंग और वाहन उपलब्ध कराने में योजना सहायक हो रहा है और युवा राज्य के विकास में अपनी भूमिका का निर्वहन करने की दिशा में अग्रसर हैं।
*=========================**=========================*नारी हूं मैं इस युग की, अलग पहचान बनाऊंगी

गुड़ाबांदा प्रखंड के महेशपुर गांव की रहने वाली पानमुनी हेम्ब्रम ने जब पितृसत्तामक समाज की रूढ़ीवादी सोच को चुनौती देने की ठानी तो सबसे पहले उनके घरवाले ही उनकी ऊंची उड़ान की राह में रोड़ा बने। जेएसएलपीएस  द्वारा पानमुनी हेम्ब्रम का चयन ‘डिजी पे सखी’ के रूप में होने से पहले वे भी अपने घर तक सिमट कर गृहणी के रूप में जीवनयापन कर रही थीं। पानमुनी बताती हैं कि मेरे पति बैधनाथ हेम्ब्रम गांव में मजदूरी करते हैं। ‘डिजी पे सखी’ बनने से पहले तक लगता था कि पुरूष ही काम कर सकते हैं, महिला भी काम कर सकती हैं इसको लेकर जागरूकता नहीं थी। महिला समूह से जुड़ने के लिए मेरे परिवार के लोग सहमत नहीं थे । चूंकि महिलाओं को घर से बाहर निकलना मना था इसके बावजूद मेरे पति ने मेरा सहयोग किया, उन्होंने मुझे समूह में जुड़ने के लिए परिवार से बात किया  आज मैं अपने स्तर से महिलाओं को समूह में जुड़ने के लिए प्रेरित कर रही हूँ तथा उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की दिशा में प्रयासरत हूं।

पानमुनी हेम्ब्रम बताती हैं कि मेरे गांव में जिला से महिला समूह गठन के लिए आईसीआरपी  टीम पहुंची थी। समूह से जुड़ने का लाभ बताते हुए दस महिलाओं के साथ समूह में जोड़ा गया तभी से धीरे-धीरे घर और गांव से बाहर जाने का अवसर मिला। समूह गठन के पश्चात प्रशिक्षण के दौरान ही मुझे जानकारी मिली की आज के दौर में महिलायें भी अपने परिवार के लिए आजीविका से जुड़कर परिवार चलाने में सहयोग कर सकती हैं। प्रशिक्षण के उपरांत मुझे समूह की देख रेख के लिए सक्रिय महिला के रूप में चुना गया ।

सक्रिय महिला के रूप में काम करते हुए पानमुनी का चयन डिजी पे सखी के रूप में हुआ था। समूह से ही 50,000 रू. का ऋण लेकर उन्होने पंचिंग मशीन तथा स्मार्ट फोन खरीद कर डिजीटली लेन-देन करना शुरू किया। इस कार्य से पानमुनी हेम्ब्रम को हर महीने 3000 से 4000 रूपया तक आय होती है जिससे वे अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहयोग करने में सफल हुई हैं । पानमुनी हेम्ब्रम बताती हैं कि आगे की योजना रूप में मैंने सोचा है कि गांव में डिजी पे के तहत एक ग्राहक सेवा केंन्द्र खोलूंगी और उसमें जेरॉक्स, स्टेशनरी तथा इंटरनेट की सुविधायें दूंगी जिससे मेरी आय और बढ़ेगी ।*=========================*