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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने (टीका एक्सप्रेस) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने (टीका एक्सप्रेस) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज पुराना विधानसभा के बगल स्थित मैदान, धुर्वा, रांची से (टीका एक्सप्रेस) को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि राज्य में कोविड-19 टीकाकरण अभियान में तेजी लाने के उद्देश्य से आज 60 मोबाईल वैक्सीनेशन वैन को राज्य के विभिन्न जिलों में रवाना किया जा रहा है। यह सभी वैन “टीका एक्सप्रेस” के रूप में टीकाकरण अभियान को जन-जन तक पहुंचाने का काम करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से आने वाली संभावित चुनौती से निपटने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरी तैयारी की गयी है। राज्य के सभी जिलों में “टीका एक्सप्रेस” चलाकर छूटे हुए लोगों का वैक्सीनेशन कराने का काम आज से शुरू हो रहा है। इन “टीका एक्सप्रेसों” की मदद से लोगों को टीका लेने में सहूलियत होगी। लोगों को यह सुविधा उनके घरों पर ही उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि अब तक राज्य भर में 1 करोड़ 70 लाख से अधिक लोगों को कोविड-19 का टीका लग चुका है। लगभग 40 लाख लोगों को टीका का दूसरा डोज भी लग चुका है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अधिक से अधिक लोगों तक टीकाकरण अभियान पहुंचे इसी क्रम में आज राज्य में CARE India के सहयोग से “टीका एक्सप्रेस” का शुभारंभ हुआ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे पहले भी कोविड-19 संक्रमण काल में राज्य सरकार ने टीकाकरण अभियान में गति लाने को लेकर नए-नए कार्यक्रमों के जरिए लोगों तक पहुंचने का काम किया है।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण से बचने का बहुत ही सीमित औषधियां देश और दुनिया में उपलब्ध है। वैज्ञानिकों ने इस संक्रमण से बचने के लिए कोविड-19 वैक्सीन का खोज किया है। हम सभी लोग वैक्सीन लगाकर कोविड-19 से सुरक्षा तो पाएंगे ही साथ-साथ स्वयं की समझदारी और विवेक का उपयोग करके भी संक्रमण से बचा जा सकता है। हम हर हाल में अपने समझदारी का उपयोग करें और खुद के साथ-साथ अपने परिवार को भी इस संक्रमण से बचाएं।
मुख्यमंत्री ने राज्यवासियों से अपील किया कि कोविड-19 संक्रमण से बचने के लिए जरूरी सुरक्षा अवश्य बरतें। संक्रमण का खतरा अभी टला नहीं है। संक्रमण को हल्के में लेने की भूल नहीं करें। अतएव आवश्यक है कि सरकार के दिशा-निर्देशों का पालन हर हाल में किया जाए। फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, हाथो को सैनिटाइज करना इत्यादि जरूरी बचाव के उपाय को अपनी दिनचर्या में अवश्य शामिल करें।
इस अवसर पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता अपर मुख्य सचिव-सह-स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव अरुण कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे, मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अभिषेक प्रसाद, मुख्यमंत्री के वरीय आप्त सचिव सुनील श्रीवास्तव, CARE India के राज्य कार्यक्रम प्रबंधक अभय कुमार भगत, राष्ट्रीय सलाहकार सी.के.भगत सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
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मुख्यमंत्री की पहल पर चौदह वर्ष से लापता जयंती पहुंची अपने घर

रांचीः मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के आदेश के बाद गुमला के किताम गांव निवासी जयंती लकड़ा चौदह वर्ष तक लापता रहने के बाद मंगलवार को अपने गांव वापस पहुंच गई है। जयंती एक दशक पूर्व चैनपुर से लापता हो गई थी। कुछ समय पहले पता चला कि वह पंजाब में है। इसके बाद मुख्यमन्त्री के निर्देश पर श्रम विभाग के राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष की कोशिशों से उसे पंजाब से दिल्ली होते हुए रांची लाया गया। मंगलवार को उसे परिजनों के साथ गुमला स्थित उसके गांव भेज दिया गया।
जयंती गुमला के डुमरी प्रखंड स्थित किताम गांव की निवासी है। वह संत अन्ना चैनपुर में खाना बनाने का काम करती थी। परिजनों के मुताबिक वह करीब 14 साल पहले लापता हो गई थी। लापता हो जाने के बाद वह पंजाब में मिली, जहां उसे काफी भटकना पड़ा था। पंजाब में उसे गुरुनानक वृद्धा आश्रम में शरण मिली। यह मामला नौ सितंबर 2021 को राज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के पास पहुंचा। मुख्यमन्त्री हेमन्त सोरेन को जब मामले की जानकारी मिली, तो उन्होंने जयंती को वापस झारखंड उसके परिजनों के पास पहुंचाने का निर्देश दिया। जयंती लकड़ा के परिवार और पंजाब स्थित गुरुनानक वृद्ध आश्रम से लगातार बात कर उसे रांची तक लाने की व्यवस्था की गई।
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कोल्हान विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संग्रहालय का विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उदघाटन के अवसर पर राज्यपाल का सम्बोधन:

राँची विश्वविद्यालय से वर्ष 2009 में विभाजित होकर झारखंड राज्य में एक नये विश्वविद्यालय के रूप में सृजित कोल्हान विश्वविद्यालय के जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा संग्रहालय के उदघाटन समारोह के अवसर पर आप सभी के बीच विडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से जुड़कर मुझे अपार प्रसन्नता हो रही है।
प्राकृतिक एवं विभिन्न खनिज संपदा से परिपूर्ण इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जनजाति प्राचीन काल से निवास करते आ रहे हैं। उनकी कला, संस्कृति, लोक साहित्य, परम्परा एवं रीति-रिवाज अत्यन्त समृद्ध है और इसकी विश्व स्तर पर पहचान है।
जनजातीय गीत एवं नृत्य बहुत मनमोहक है। जनजातीय समुदाय प्रकृति प्रेमी होते हैं। इसकी झलक उनके पर्व-त्यौहारों में भी दिखती है। विभिन्न अवसरों पर देखा जाता है कि इनके गायन और नृत्य इनके समुदाय तक ही सीमित नहीं है, बल्कि औरों को भी उस पर झूमने के लिए मजबूर कर देती है।
यह प्रसन्नता का विषय है कि कोल्हान क्षेत्र में निवास करने वाले जनजाति समाज के साथ-साथ अन्य समुदाय के लोग आरंभ से ही प्रकृति प्रेमी रहे हैं। प्रकृति ईश्वर की सबसे अनुपम देन है। इसके साथ चलने से और इसे बचाये रखने से ही हम मनुष्य भी बचे रह सकते हैं। आदिवासी समाज की चेतना में प्रकृति के साथ घनिष्टता की भावना एक विराट जीवन दृष्टि की प्रतीक है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि इस क्षेत्र की भाषा एवं संस्कृति की महत्व को देखते हुए वर्ष 2011 में विश्वविद्यालय द्वारा जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग नाम से एक अलग स्वतंत्र विभाग की स्थापना की गई है जिसके अर्न्तगत वर्त्तमान स्नातकोत्तर स्तर में तीन भाषाएँ हो, संथाली एवं कुड़माली की पढ़ाई होती है तथा स्नातक स्तर में विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में हो, संथाली एवं कुड़माली के अलावे कुड़ुख एवं मुंडारी की भी पढ़ाई होती है।
आदिवासी भाषा, साहित्य और संस्कृति का व्यवस्थित अध्ययन के साथ-साथ इनसे जुड़े तमाम उपकरणों को संरक्षित करना अत्यंत आवश्यक है। प्रसन्नता है कि इसी कडी़ में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग द्वारा यहाँ की परम्परागत भाषा एवं संस्कृति को संरक्षित एवं इसे बढा़वा देने के लिए एक संग्रहालय की स्थापना की गई है।
मुझे अवगत कराया गया कि संग्रहालय में प्रयुक्त सभी समानों का नाम अपनी-अपनी भाषा हो, संथाली एवं कुड़माली में लिखी गई है। इसकी स्थापना में जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मैं उन सभी शिक्षकों एवं विद्यार्थियों को बधाई व शुभकामनाएँ देता हूँ।
हमारे समाज के लोगों में भिन्न-भिन्न प्रकार की कला निहित है, वे विभिन्न कलाकृतियों में निपुण हैं। चाहे वह बाँस या मिट्टी से बनी सामग्री हो या हस्तकरघा, वे हर क्षेत्र में दक्ष हैं। हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनकी विशिष्ट कलाकृति को देखते हुए “वोकल फॉर लोकल” का आह्वान किया है। मैं आप सभी से आह्वान करता हूँ कि आपलोग इस मुहिम में जुटे तथा समाज एवं राष्ट्र के सशक्तिकरण में अपनी सक्रिय भूमिका अदा करें।
ऐसे व्यक्तियों को कौशल विकास से जोड़कर उनका सामाजिक एवं आर्थिक उन्नयन किया जा सकता है। इसके साथ ही हमें लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित करने की दिशा में भी कार्य करना चाहिए। जनजातियों की मौलिक सांस्कृतिक आधार को समझने के लिए उनके द्वारा हस्त-निर्मित वस्तुओं को संग्रह करना चाहिए। उनकी कला-संस्कृति को संरक्षण प्रदान तथा उसका प्रचार-प्रसार करना हम सभी का दायित्व होना चाहिए।
इस अवसर पर मैं यह भी कहना चाहूँगा कि अधिक-से-अधिक युवा उच्च शिक्षा प्राप्त करें, आपके विश्वविद्यालय का ऐसा प्रयास हो। साथ ही हमारे शिक्षण संस्थान गुणात्मक शिक्षा प्रदान करने की दिशा में सदैव समर्पित रहे। सर्वत्र ज्ञान का माहौल हो, हमें ऐसा प्रयास करना चाहिए।