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मेडिकल कचरे पर कार्रवाई न करने में फंसे पूर्व सिविल सर्जन

जमशेदपुर: जिला के पूर्व सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद द्वारा मेडिकल कचरा मामले में कार्रवाई नहीं करने की जांच शुरू हो गई। राज्य के उप स्वास्थ्य निदेशक ने प्रदूषण मामले की जांच का आदेश दिया है। सिविल सर्जन डॉ. आरएन झा ने जिला के तीन डॉक्टरों की टीम बनाई है। आरटीआई कार्यकर्ता दर्श चौधरी ने पूर्व सिविल सर्जन के खिलाफ केंद्रीय वन पर्यावरण व जलवायु मंत्रालय में पत्र भेजकर मानगो के एक पैथोलॉजी पर साक्ष्य मिलने पर भी कोई कार्रवाई न करने की सूचना दी थी। इससे राज्य स्वास्थ्य विभाग में जांच कराने का पत्र आया था और अब जिला में जांच टीम का गठन हुआ है। आरटीआई कार्यकर्ता दर्श चौधरी ने आरोप लगाया कि पूर्व सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद ने जिला के कई निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम एवं पैथोलॉजी लैब के बायो मेडिकल वेस्ट (कचरा) के माध्यम से पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय में शिकायत के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली ने संज्ञान लेकर अप्रैल 2020 में ही राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (झारखंड) को कार्रवाई करने का आदेश दिया था, लेकिन लॉकडाउन के कारण किसी तरह की जांच नहीं हो पाई। अब नए सीरे से जांच का आदेश आया है। इधर, पूर्व सिविल सर्जन डॉ. महेश्वर प्रसाद ने कहा कि किसी जांच का पत्र मुझे नहीं मिला है और न ही विभाग से सूचना दी गई है। आरटीआई कार्यकर्ता के अनुसार पूर्व सिविल सर्जन ने मार्च 2020 में बिष्टूपुर स्थित एक निजी अस्पताल के निरीक्षण में खुद बायो मेडिकल वेस्ट को नाली से बहते देखा था। फरवरी में मानगो के एक पैथोलॉजी लैब के बायो मेडिकल वेस्ट के मामले में कार्रवाई न होने से केंद्रीय वन पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय में पत्र भेजा था।