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लोहरदगा में हाथियों का आंतक डर के साये में ग्रामीण

लोहरदगा में हाथियों का आंतक डर के साये में ग्रामीण
लोहरदगा में हाथियों का आंतक जारी है. जिला में गजराज का आतंक ऐसा है कि ग्रामीण डरे सहमे हुए हैं. जिला के भंडरा सेन्हा समेत कई प्रखंडों में पिछले दिनों जंगली हाथियों का उत्पात देखा गया. जिसकी वजह से प्रशासन और वन विभाग की टीम भी सकते में है.
लोहरदगा: आपने वह कहानी तो सुनी होगी, जिसमें गांव में हर दिन यह अफवाह उड़ती है कि भेड़िया आया, भेड़िया है. लोग भेड़िया के डर से सचेत हो जाते हैं, पर भेड़िया नहीं आता. कई बार इसी तरह से अफवाह उड़ाई जाती है, फिर एक दिन ऐसा आता है जब भेड़िया सचमुच आता है और कोई इसे गंभीरता से नहीं लेता. लोहरदगा में हाथी के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है. हाथी का डर न सिर्फ ग्रामीणों को नहीं बल्कि प्रशासन की नींद भी उड़ा रहा है.
लोहरदगा जिला में विगत दिनों हाथी का कुछ ऐसा उत्पात नजर आया कि उसका डर आज भी लोगों को सोने नहीं दे रहा है. जिला के कुड़ू प्रखंड के मसियातु गांव और उसके बाद भंडरा प्रखंड के अंबेरा सहित अन्य गांव में हाथी ने कुल पांच लोगों की जान ले ली. इसके बाद यह हाथी रांची जिला के इटकी में भी उत्पात मचाने पहुंच गया था, जहां पांच ग्रामीणों की जान चली गयी. अब ग्रामीणों को हर दिन कहीं ना कहीं शाम होते ही हाथी दिखाई देता है.
हालांकि हकीकत में ऐसा कुछ नहीं होता. ग्रामीण वन विभाग और जिला प्रशासन को सूचना देते हैं कि कभी लोहरदगा के मनहों तो कभी भंडरा तो कभी सेन्हा में हाथियों का झुंड आ गया है. जब प्रशासन और वन विभाग की टीम वहां पहुंचती है तो वहां कुछ नहीं मिलता. हालांकि प्रशासन भी ग्रामीणों को खुलकर यह नहीं कह पा रही है कि लोग अफवाह पर ध्यान नहीं दें. क्योंकि पिछली बार हाथी ने पांच लोगों को मौत के घाट उतार दिया. जिसके बाद से प्रशासन भी कोई रिस्क लेना नहीं चाहती है. यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जिला प्रशासन द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. जिससे ग्रामीण हाथी के आने पर सतर्कता बरत सकें और अपने आप को सुरक्षित रख सकें.

लोहरदगा में हाथी के डर ने प्रशासन और ग्रामीणों की नींद उड़ा कर रख दी है. हर दिन हाथी आने की अफवाह ने ग्रामीणों को रात रात भर जागने पर मजबूर कर दिया है. शाम होते ही कहीं ना कहीं से हाथी के आने की अफवाह उड़ती है. प्रशासन और वन विभाग की टीम रात-रात भर सूचना के सत्यापन में लग जाती है. हाथी के उत्पाद का असर ऐसा हुआ है कि ग्रामीण चैन से सो भी नहीं पा रहे हैं