झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

कलम, सुमन ने थाम लिया

कलम, सुमन ने थाम लिया
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सब कहते कि इस जीवन का,
परिवर्तन से नाता है।
कल तो आता कभी नहीं पर,
कभी आज क्या जाता है??

बीते कल से सीख सीखकर,
खुद को सभी बढ़ाते हैं।
फिर दूजे की उसी सीख को,
लोग गलत ठहराते हैं।

जो हम करते वही सही है,
तर्क हमेशा गढ़ना क्यों?
कह देते पूर्वज की गलती,
दोष उन्हीं पर मढ़ना क्यों??

कितने दिन तक इसी तरह से,
खुद को यूँ भरमाओगे?
सब कुछ जान रही है पब्लिक,
कल सचमुच पछताओगे।

अलख जगाते कलमकार ही,
इसीलिए यह काम लिया।
बेहतर से बेहतर समाज हित,
कलम सुमन ने थाम लिया।

श्यामल सुमन