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झारखंड उच्च न्यायालय में पिटीशनर अफसर जावेद द्वारा दायर रिट पिटीशन (WPL 1616/ 2023) की सुनवाई न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में हुई

आज झारखंड उच्च न्यायालय में पिटीशनर अफसर जावेद द्वारा दायर रिट पिटीशन (WPL 1616/ 2023) की सुनवाई न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में हुई

पिटीशनर के अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने अदालत को बताया कि टाटा मोटर्स पिछले तीन दशकों से अनुचित श्रम अभ्यास (unfair labour practice) में संलग्न है। यह कंपनी स्थायी प्रकृति के कार्य में फर्जीवाड़ा कर मजदूरों को काम पर लगाती है और उन्हें वर्षों तक अस्थायी मजदूर बनाये रखती है, स्थायी मजदूरों के मुकाबले कम वेतन भत्ते देती है और इस प्रकार न केवल मजदूरों का शोषण करती है बल्कि औधोगिक विवाद अधिनियम की धाराओं का घोर उल्लंघन भी कर रही है। उन्होंने अदालत को बताया कि उन्होंने उपश्रमायुक्त से शिकायत की उन्हें लीगल नोटिस भी दिया पर उन्होंने टाटा मोटर्स के खिलाफ कोई कारवाई करने से इंकार कर दिया। उन्होंने आगे बताया कि मुम्बई उच्च न्यायालय ने रिट पिटीशन नंबर 5588/2017 में दिये गये आदेश में यह कहा है कि टाटा मोटर्स न केवल अनुचित श्रम अभ्यास (unfair labour practice) में संलग्न है बल्कि यह औधोगिक विवाद अधिनियम की धाराओं का भी घोर उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि उनका मसला सदृश है और मुम्बई उच्च न्यायालय के आदेश और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टाटा मोटर्स की अपील निरस्त किये जाने के बाद अधिनिर्णीत है अतः उपश्रमायुक्त को कहा जाय कि वे हमारे मुवक्किल और दूसरे अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करवायें और उन तमाम मजदूरों को उनकी पूरी मजदूरी 240 दिन की पूर्णता के बाद से गणना करवा कर दिलवायें
अदालत ने कहा कि आप ट्रेड युनियन नहीं हैं और सिर्फ अपना प्रतिनिधित्व कर रहे हैं अतः अदालत उपश्रमायुक्त को आदेश देती है कि वे आपके आवेदन पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद तय करें कि यह मसला मुम्बई उच न्यायालय के आदेशानुसार सीधे अमल में लाया जा सकता है या इसे औधोगिक विवाद अधिनियम की धाराओं के अनुसार अगर तथ्य भिन्न हैं तो रेफरेंस में भेजे जाने लायक है। अदालत ने दोनों पक्षों को उपश्रमायुक्त के समक्ष 30.06.2023 को पेश होने के आदेश के साथ रिट पिटीशन का निबटारा कर दिया।
ज्ञातव्य है कि अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने टाटा मोटर्स लिमिटेड और जिला श्रम आयुक्त को टाटा मोटर्स पुणे के लगभग 52 अस्थायी कर्मचारियों द्वारा दायर रिट पिटिशन 5588/ 2017 (शंकर भीमराव कदम और अन्य बनाम टाटा मोटर्स और अन्य) तथा अन्य 51 पिटिशनों की सुनवाई के बाद मुम्बई उच्च न्यायालय द्वारा टाटा मोटर्स को दिये गये निर्देशों को टाटा मोटर्स द्वारा जान बूझ कर टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट के अस्थायी कर्मचारियों के लिए अब तक लागू नहीं करने के लिए और जिला श्रम आयुक्त की टाटा मोटर्स के मैनेजमेंट के साथ संलिप्तता की वजह से उनके द्वारा उक्त आदेश को लागू कराने में उनकी विफलता के खिलाफ टाटा मोटर्स के एक अस्थायी कर्मचारी अफसर जावेद की तरफ से एक कानूनी नोटिस दिया था।
ज्ञातव्य यह भी है कि टाटा मोटर्स अपने पिठ्ठू ट्रेड यूनियन के नेताओं की मदद से लगभग तीन दशकों से टाटा मोटर्स के पूर्व कर्मचारियों के पुत्रों और पुत्रियों से स्थायी स्वरूप के कार्य में अस्थायी कर्मचारियों के रूप में काम करवाती आ रही है जिन्हें स्थायी कर्मचारियों को दी जाने वाली वेतन भत्ते आदि के मुकाबले महज 25-30% वेतन भत्ते ही दिये जाते हैं।
यह भी ज्ञातव्य है कि टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में लगभग 3500 से अधिक कर्मचारी बंधुआ मजदूर की तरह काम करते हैं जो संविधान का अनुच्छेद 23 का सीधा उल्लंघन है। टाटा मोटर्स के इस अनफेयर लेबर प्रैक्टिस के चलते दर्जनों कर्मचारी दो दशकों से अधिक वर्षों तक काम करने के बाद भी स्थायी कर्मचारी नहीं बनाये गये और रिटायर हो गये।
ज्ञातव्य है कि पुणे प्लांट के कर्मचारियों द्वारा टाटा मोटर्स के अनफेयर लेबर प्रैक्टिस के खिलाफ दायर रिट पिटिशनों की सुनवाई के बाद मुम्बई उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए टाटा मोटर्स को अनफेयर लेबर प्रैक्टिस का दोषी पाया है और टाटा मोटर्स को उन तमाम अस्थायी कर्मचारियों को उनके 240 दिन पूरे होने के बाद स्थायी कर्मचारियों के वेतनमान के अनुसार उनका बैक वेज की गणना कर उन्हें पूरा वेतन देने का निर्देश दिया है साथ में उन्हें 240 दिन के बाद स्थायी कर्मचारी मानने का भी निर्देश दिया है।
ज्ञातव्य है कि मुम्बई उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के बाद भी न तो टाटा मोटर्स ने उन निर्देशों को जमशेदपुर प्लांट के अस्थायी कर्मचारियों के लिए न तो लागू किया है न ही जिला श्रम आयुक्त ने उन निर्देशों को लागू करने का निर्देश टाटा मोटर्स को दिया था।
अधिवक्ता अखिलेश ने जिला श्रम आयुक्त को कानूनी नोटिस द्वारा यह निर्देश दिया था कि वे मुम्बई उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार सारे अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के वेतनमान के अनुसार 240 दिन काम करने के बाद प्रत्येक अस्थायी कर्मचारी को पूरा बकाया वेतन बैक वेज की गणना करवा कर तत्काल दिलवायें और इन कर्मचारियों को स्थायी घोषित करवायें अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कारवाई करनी पड़ेगी। अधिवक्ता अखिलेश ने ऐसा ही निर्देश टाटा मोटर्स मैनेजमेंट को भी दिया था।
आज की सुनवाई में अखिलेश श्रीवास्तव और रोहित सिंहा शामिल थे।