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एमजीएम अस्पताल में गुड समरितन पॉलिसी व विक्टिम कम्पन्सेशन पर कार्यक्रम आयोजित न्यायायिक दंडाधिकारी ने दी जानकारी

एमजीएम अस्पताल में गुड समरितन पॉलिसी व विक्टिम कम्पन्सेशन पर कार्यक्रम आयोजित न्यायायिक दंडाधिकारी ने दी जानकारी

जमशेदपुर । झालसा के निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार सिविल कोर्ट जमशेदपुर द्वारा रविवार को एमजीएम अस्पताल के कॉन्फ्रेंस हॉल में विधिक जागरुकता कार्यक्रम आयोजित किया गया , जिसमें गुड समरितन पॉलिसी ऑफ झारखंड एवं विक्टिम कम्पन्सेशन विषय पर परिचर्चा किया गया । इस कार्यक्रम में मौजूद सिविल कोर्ट जमशेदपुर के प्रथम श्रेणी न्यायायिक दंडाधिकारी श्री आदित्या एवं श्री प्रशांत कुमार ने गुड समरितन पॉलिसी एवं विक्टिम कम्पन्सेशन के बारे में विस्तार से जानकारी दिया । साथ ही पीड़ित एवं जरूरतमंद लोगों को निःशुल्क एवं त्वरित न्याय मिले इसके लिए कानून के विभिन्न पहलुओं को उन्होंने बारीकी ढंग से समझाया डालसा के रिमांड और पैनल अधिवक्ता शमशाद खान ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए डालसा के कार्य और उदेश्य से लोगों को अवगत कराया कार्यक्रम की अध्यक्षता एमजीएम अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अरुण कुमार ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन वाईस सुपरिटेंडेंट डॉक्टर नकुल चौधरी ने दी इस मौके पर डालसा के पीएलवी नागेन्द्र कुमार,जोबारानी बास्के, संजय तिवारी जयंत कुमार सहित काफी संख्या में अस्पताल की नर्से , गार्ड , स्वीपर आदि अन्य लोग कार्यक्रम में मौजूद थे ।
जागरूकता कार्यक्रम में न्यायायिक दंडाधिकारी ने कहा राज्य में हर वर्ष सड़क दुर्घटना में तीन हजार से अधिक लोग मरते हैं
न्यायायिक पदाधिकारी ने कहा कि झारखंड में हर साल पांच हजार से अधिक सड़क दुर्घटनाएं होती हैं और तीन हजार से अधिक लोगों की मौतें होती हैं । दुघर्टना में अधिकांश मौत युवाओं की हो रही है । इसको लेकर सरकार संवेदनशील है । सरकार ने संवेदनशीलता का परिचय देते हुए ही झारखंड गुड समरितन पॉलिसी को स्वीकृति दी है , ताकि सड़क हादसे में घायलों की मदद हेतु लोग आगे आएं और किसी के जीवन की रक्षा हो सके । अब सरकार घायलों को अस्पताल पहुंचाने वालों को प्रोत्साहन राशि देकर सम्मानित भी करेगी ।
ना रहा पुलिस के सवालों का डर, बेफिक्र होकर करें मदद
गुड समरितन पॉलिसी क्या है और कब लागू हुआ : —
झारखंड में गुड समरितन (नेक दिल आदमी) पाॅलिसी-2020, फरवरी 2021 में लागू की गयी है । इसका मकसद सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को गोल्डेन आवर (प्रथम 60 मिनट) में अस्पताल तक पहुंचाने वाले मददगारों को सम्मान के साथ आर्थिक लाभ देना है , जिससे घायलों की समय रहते जान बचाने में सफलता मिल सके । इस कार्य में अब कोई भी आम आदमी गुड समरितन की भूमिका निभा सकता है । इसके एवज में मदद करने वालों को सम्मान स्वरूप प्रोत्साहन राशि देने के साथ पुलिस द्वारा परेशान नहीं करने का प्रावधान किया गया है । इसके तहत पुलिस घायलों के मददगारों को अब परेशान नहीं करेगी । साथ ही दुर्घटना से संबंधित जानकारी लेने की स्थिति में पुलिस को हर पूछताछ के लिए मदद करने वाले नेक नागरिक के बैंक एकाउंट में एक हजार रुपये डालने होंगे । यदि गवाह बनने के बाद वह व्यक्ति कोर्ट जाता है, तो हर सुनवाई पर उस व्यक्ति के खाता में एक हजार रुपये मिलेंगे सरकारी कर्मी और जन प्रतिनिधियों पर भी सड़क दुर्घटना में घायलों को मदद करने की जिम्मेदारी होगी । दुर्घटना के एक घंटे यानी गोल्डेन आवर में घायल को अस्पताल पहुंचाने पर मददगार को दो हजार रुपये दिये जायेंगे
दो व्यक्ति अगर किसी घायल को नजदीकी अस्पताल पहुंचाते हैं, तो दोनों को दो-दो हजार दिया जायेगा ।
दो से अधिक लोग किसी घायल को अस्पताल पहुंचाते हैं, तो सरकार पांच हजार रुपये देगी, उक्त राशि सभी के बीच समान रूप से बांटी जायेगी । मददगार द्वारा मरीज को अस्पताल में पहुंचाने के बाद उन्हें अनावश्यक रोका नहीं जायेगा । अस्पताल के कर्मी भी उनसे पूछताछ नहीं कर सकते । सवाल जवाब के क्रम में पुलिस द्वारा संज्ञान नही लिया जायेगा । गवाही हेतु विशेष परिस्थिति में ही तथा न्यूनतम बार उन्हें सम्मन जा सकेगा ।
विक्टिम कम्पन्सेशन स्कीम के तहत विभिन्न आपराधिक वारदातों के पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजा राशि :
जागरूकता कार्यक्रम के दौरान बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट के दिनांक 11-05-2018 एवं 25-07-2018 (निपुण सक्सेना बनाम भारत सरकार) में दिए गए पीड़ितों की मुआवजा राशि में बढ़ोतरी से जुड़े महत्वपूर्ण आदेश के बाद झारखंड सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना निर्गत किया है जिसमें सुप्रीमकोर्ट का मानना है कि किसी परिवार के साथ कोई अपराधिक घटना होती है तो उसकी आर्थिक स्थिति के साथ साथ मानसिक स्थिति पर भी असर पड़ता है। पीड़ितों को मुआवजा देने का उद्देश्य उनके दर्द को बांटना है और पीड़ित इस मुआवजा राशि से अपना जीवन अच्छे से जी सकें। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गृह कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग झारखंड सरकार (अधिसूचना संख्या 4052 दिनांक 307 2019 ) द्वारा हत्या गैंगरेप समेत अन्य मामलों में पीड़ितों को मिलने वाले मुआवजा राशि में बढ़ोतरी की गई है। राज्य सरकार द्वारा अब हत्या एवं गैंग रेप पीड़ितों को 10 लाख रूपया तक मुआवजा दिया जा सकेगा। इसी तरह दुष्कर्म एवं अप्राकृतिक यौनाचार पीड़ितों को अब 7 लाख रुपये तक मुआवजा दिया जा सकेगा । अंग भंग होने पर 4 लाख, 20% दिव्यांग होने पर 2 लाख रुपए, गंभीर चोट इत्यादि पर दो लाख रुपए तक मुआवजा दिया जा सकेगा। पहले यह राशि एक लाख रुपए थी। इसी तरह गर्भपात होने पर 3 लाख रुपया, एसिड अटैक में 8 लाख रुपए तक का मुआवजा राशि तय किया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में झारखंड सरकार द्वारा मुआवजे की राशि में बढ़ोतरी की अधिसूचना 30 जुलाई 2019 से प्रभावी है। अधिसूचना के द्वारा झारखंड पीड़ित प्रतिकर (संशोधन) स्कीम 2019 को लागू किया गया है। जागरुकता कार्यक्रम के दौरान महिलायें और गरीब लोगों को बताया गया कि कोई भी दलित , पीड़ित , जरूरतमंद लोग निःशुल्क न्याय पाने के लिए व्यवहार न्यायालय स्थित न्याय सदन में आकर जिला विधिक सेवा प्राधिकार के कार्यालय में अपनी समस्याओं से सम्बंधित आवेदन कर सकते है । अथवा एमजीएम अस्पताल स्थित लीगल ऐड क्लीनिक में भी सम्पर्क कर अपनी समस्या से निजात पा सकते हैं ।