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दलालों के चंगुल में बचपन, पलामू के मनातू से लापता हैं कई बच्चे

अनलॉक की प्रक्रिया में पलामू के मनातू के इलाके से बड़े पैमाने पर बाल मजदूरों की तस्करी शुरू हुई है. इस इलाके से बिहार, बंगाल, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और राजस्थान के इलाके में बच्चों की तस्करी की जा रही है. इस इलाके में बड़ा नेटवर्क सक्रिय है जो बच्चों को बहला फुसला कर ले जा रहा है.
पलामूः बच्चे देश और समाज का भविष्य है लेकिन इनके बचपन पर दलालों की नजर लग गई है. दलाल अपना दायरा बढ़ा रहे हैं और इन बच्चों पर शिकंजा कसते जा रहे हैं. 90 के दशक तक जिला के मनातू पूरे भारत में बंधुआ मजदूरी के लिए चर्चित रहा. 90 के बाद यह इलाका नक्सल हिंसा के लिए चर्चित हुआ, अब यह इलाका बाल मजदूरों के तस्करी का केंद्र बन गया है. मनातू का इलाका पिछड़ा हुआ है, जिन परिवारों के बच्चे बाल मजदूरी के लिए पलायन कर रहे है वे बेहद गरीब और लाचार हैं लॉकडाउन के बाद मनातू इलाके से बड़े पैमाने पर पलायन शुरू हुआ है. दलाल गाड़ी लेकर मनातू के इलाके या उससे सटे हुए इलाकों में पंहुच रहे हैं और बच्चों को लेकर जा रहे हैं. कई मामलों में माता-पिता तीन से पांच हजार रुपए में बच्चों को दलालों के हांथो में सौंप रहे हैं. मनातू के डुमरी के रहने वाले तेतर भुइयां का 14 वर्षीय बच्चा भी मजदूरी के लिए गया है. उसकी मां घर मे किराना दुकान चला कर पेट पाल रही. तेतर भूइयां की पत्नी बताती है कि वह सिर्फ इतना जानती है कि बेटा आधार कार्ड लेने के बहाने घर में आया और जब बाहर निकली तो देखी एक टेंपो में 14-15 बच्चे सवार थे और सभी मजदूरी के लिए जा रहे थे. इसी तरह डुमरी के ही मंगर भुइयां, कपील भुइयां, काजल भुइयां,
मनराज भुइयां का बेटा अखिलेश भुइयां, बंगाली भुइयां, अकलू भुइयां, वृक्ष भुइयां का बेटा मजदूरी के लिए चला गया. मनातू के दलदलिया, डुमरी, साहद, नागद, मिटार, उरुर, जगराहा, बंसी खुर्द समेत कई गांव में दलालों के नेटवर्क है. दलाल आदिम जनजाति और दलित परिवार के बच्चो को अधिक निशाना पर ले रहे है.
लापता मुखिया के बारे में मांगी जानकारी
झारखण्ड वाणी संवाददाता ने कुछ दिनों पहले बाल तस्करी से मुक्त हुए बच्चों की खबर दिखाई थी. जिस पर सीएम ने संज्ञान लिया था और मुक्त हुए बच्चों को प्रशासन ने कई सुविधा उपलब्ध करवाई थीं. पलामू बाल संरक्षण पदाधिकारी ने मनातू के सभी मुखिया को पत्र लिखा है, पत्र के माध्यम से यह जानकारी मांगी गई है कि उनके पंचायत में कितने बच्चे लापता हैं. पलामू जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश कुमार बताते हैं कि मामले में प्रशासनिक टीम कार्रवाई कर रही है, मुखिया के रिपोर्ट मिलने के बाद बच्चों को रिकवर करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.
मानव तस्करी का शिकार हुए बच्चियों को उज्ज्वला योजना के तहत पुनर्वास किया जाना है. मानव तस्करी के खिलाफ काम कर रहे ग्रामीण समाज कल्याण विकास मंच के मो. हशमत रब्बानी बताते हैं कि मामले में वे एक सर्वे करवाने वाले हैं, इसकी पूरी जानकारी आहातू थाना और सीआईडी को दी जाएगी. मामले में चाइल्ड लाइन का भी सहयोग लिया जाना है. पलामू बाल संरक्षण आयोग में सदस्य धीरेंद्र किशोर बताते हैं कि मामले में बेहतर पहल की जरूरत है ताकि बच्चों को दलालों के चंगुल से बचाया जा सके.