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भाजपा जमशेदपुर महानगर ने मनाई विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, संगोष्ठी आयोजित कर विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया नमन

भाजपा जमशेदपुर महानगर ने मनाई विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस, संगोष्ठी आयोजित कर विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर किया नमन, बंटवारे का दंश झेलने वाले नागरिकों ने बताई आपबीती।

● बोले पूर्व सीएम रघुवर दास- एक ओर जहां देश को आज़ादी मिली वहीं दूसरी ओर मुस्लिम लीग की घोर साम्प्रदायिक एवं पृथकतावादी राजनीति के कारण देश का हुआ विभाजन।

जमशेदपुर। भारतीय जनता पार्टी ने देश के विभाजन के दर्द को याद करते हुए 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ मनाया। सोमवार को जमशेदपुर महानगर अंतर्गत सीतारामडेरा मंडल के ईस्ट बंगाल कॉलोनी में भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव की अध्यक्षता में आयोजित विभाजन विभीषिका विषयक संगोष्ठी में भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास, सांसद विद्युत वरण महतो सरदार गुरविंदर सिंह सेठी, सीतारामडेरा मंडल अध्यक्ष सुरेश शर्मा, गोलमुरी मंडल अध्यक्ष अजय सिंह मुख्यरूप से शामिल हुए। इस दौरान विस्थापित हुए ईस्ट बंगाल कॉलोनी, सिंधी कॉलोनी एवं रिफ्यूजी कॉलोनी के सैकड़ों लोगों की मौजदूगी में भाजपा नेताओं ने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले नागरिकों को श्रद्धांजलि अर्पित कर नमन किया। वहीं, यातना एवं वेदना सहने वाले नागरिकों के कष्ट और संघर्षों को स्मरण किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा कि विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस उन भारत वासियों को श्रद्धापूर्वक स्मरण करने का अवसर है, जिनका जीवन देश के बंटवारे की बलि चढ़ गया। इसके साथ ही यह दिन उन लोगों के कष्ट और संघर्ष की भी याद दिलाता है, जिन्हें विस्थापन का दंश झेलने को मजबूर होना पड़ा।
विभाजन विभीषिका विषयक संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने देश बंटवारे की बलि चढ़े सपूतों को नमन करते हुए कहा कि विदेशी शासन से मुक्ति के लिए जिन ज्ञात- अज्ञात लोगों ने भारी कीमत चुकायी थी, देश उन्हें कभी भूला नही सकता हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां देश को आज़ादी मिली वहीं दूसरी ओर मुस्लिम लीग की घोर साम्प्रदायिक एवं प्रथकतावादी राजनीति के कारण देश का विभाजन हुआ। इसकी पीड़ा अत्यंत पीड़ादायी हैं। लाखों लोगों को विभाजन का जुल्म अपने प्राण गंवाकर चुकानी पड़ी थी। करोड़ो लोगों को अपने पूर्वजों की जमीन से उजड़कर दूर-दराज के स्थानों में पलायन करना पड़ा था। विभाजन के दौरान करोड़ों महिला , बच्चे एवं बुज़ुर्गों को भयंकर त्रासदी पीड़ा एवं मानसिक वेदना से गुजरना पड़ा। यह मानव इतिहास की सबसे बड़ी विभीषिका थी।

पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बताया कि विगत वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का आह्वान किया था। इस भयावह त्रासदी को स्मरण करने के लिए नहीं, बल्कि विभाजन के दुखदायी इतिहास से सीख लेने के लिए भी। अपनी आजादी का जश्न मनाते हुए यह कृतज्ञ राष्ट्र मातृभूमि के उन बहनों एवं भाइयों को शत शत नमन करता हैं जो विभाजन की बलि बेदी पर शहीद हो गये। उन्होंने संगोष्ठी सभा में बैठे ईस्ट बंगाल कोलोनी, सिंधी कॉलोनी और पंजाबी रिफ्यूजी कोलोनी से मुखातिब होते हुए कहा हम देश के बंटवारे के दर्द को कभी भुला नहीं सकते हैं। नफरत और हिंसा की वजह से हमारे लाखों बहनों-भाइयों को विस्थापित होना पड़ा और अपनी जान गवानी पड़ी। हम भारतीयों को इस दिन को याद रखने की जरूरत है, क्योंकि हमारी लाखों बहनें और भाई विस्थापित हो गए थे और कई लोगों ने बेवजह नफरत के कारण अपनी जान गवां दी थी।

सांसद विद्युत वरण महतो ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि 14 अगस्त, 1947 भारत के इतिहास का वह दिन है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। एक तरफ जहां दशकों की गुलामी के बाद देश आजादी का सूरज देखने को बेकरार था, तो वहीं दूसरी तरफ देश के दो टुकड़े हो रहे थे। धर्म के नाम पर लोगों को बांट दिया गया। देश के बंटवारे में लाखों लोगों ने अपनों को खोया, घर-बार छूटा। बंटवारे का दंश झेलने वाले देशवासियों को श्रद्धांजलि देने के लिए आज पूरा देश विभाजन विभीषिका दिवस मना रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि बंटवारे के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 14 अगस्त भारतीय इतिहास काला दिवस था। भारत के इतिहास में यह एक ऐसा दुर्भाग्यशाली दिन था। जिस दिन भारत के भूगोल, समाज, संस्कृति सभी का बंटवारा हो गया।

सरदार गुरविंदर सिंह सेठी ने कहा कि अखंड भारत के आजादी के इतिहास में 14 अगस्त की तारीख को आंसुओं से लिखकर रक्तरंजित कर दी गई। देश का विभाजन हो गया। हर भारतीय को यह दिन याद रखना चाहिए। इयह दिन भारत के इतिहास में यह एक ऐसा दुर्भाग्यशाली दिन था। जिस दिन भारत के भूगोल, समाज, संस्कृति सभी का बंटवारा हो गया है। नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और उन्हें यातनापूर्ण व्यवहार और हिंसा का सामना करना पड़ा था। कहा कि विभाजन का दर्द और उस दौरान हुई हिंसा देश की स्मृति में आज भी गहराई से अंकित है। श्री सेठी ने कहा कि नफरत और हिंसा ने लाखों लोगों को अपने घर से विस्थापित किया और लाखों की संख्या में लोगों को जान गंवानी पड़ी।

चरनजीत लाल एवं अवतार सिंह ने बताई बंटवारे की आपबीती: बंटवारे के दौरान विस्थापित हुए चरनजीत लाल एवं अवतार सिंह ने भारत विभाजन की आपबीती बताई। उन्होंने कहा कि उनके दिलो-दिमाग पर छाई विभाजन की त्रासदी आज भी झकझोर देती है। जहां कदम-कदम पर साजिश थी और हर पल मौत का खौफ था।

कार्यक्रम के दौरान मंच संचालन जिला मंत्री सह विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के प्रभारी मंजीत सिंह ने किया।
संगोष्ठी के दौरान चंद्रशेखर मिश्रा, अनिल मोदी, मंजीत सिंह, साहेब सिंह, सुरेश शर्मा, अजय सिंह, आदर्श मेहंदी, सतीश शर्मा, सतवीर सिंह सोमू, मनीष सचदेव, सुशील कुमार, संजय नंदी, मिथुन चक्रवर्ती, अमृतपाल सिंह, अमृत सिंह, डॉ पी के दास, शंकर दास, जोयत्री राय, प्रशांतो दास, हरविलास दास, श्रीनू राव, कामेश्वर साहू समेत अन्य कई लोग उपस्थित थे।