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डायन के नाम पर आदिवासी महिला की हत्या की उच्चस्तरीय जांच और रोकथाम के लिए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राज्यपाल को लिखा पत्र

डायन के नाम पर आदिवासी महिला की हत्या की उच्चस्तरीय जांच और रोकथाम के लिए पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने राज्यपाल को लिखा पत्र

जमशेदपुर-: पूर्व सांसद सह आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को पत्र लिखकर कोवाली में रुपी सोरेन की डायन के नाम पर हुई हत्या के मामले की जांच कराने और इस तरह की घटनाओं की रोकथाम करने की मांग की है. झारखंड प्रदेश के पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका प्रखंड कोवाली थाना क्षेत्र के हरिणा पंचायत के  मंगड़ू गांव की रूपी मुर्मू (55 वर्ष) को डायन बताकर 27 अक्टूबर की रात दो सिरफिरे युवकों ने हत्या कर दी थी. पुलिस के अनुसार युवकों ने पहले रूपी मुर्मू  की लाठी से जमकर पिटाई की. फिर नग्न कर उसे बैलगाड़ी पर गांव में घुमाया गया था. उसके बाद महिला को उसके घर के पीछे छोड़ दिया. पति चंदु मुर्मू किसी प्रकार भाग कर अपनी जान बचा सके, अगले दिन 28 अक्टूबर की सुबह चंदु मुर्मू घर पहुंचा तो देखा कि उसकी पत्नी का शव निर्वस्त्र अवस्था में घर के पीछे पड़ा है. यह हृदयविदारक घटना केवल अंधविश्वास का कोई प्रतिफल नहीं है. बल्कि संविधान-कानून नियंत्रित मानव समाज के गाल पर एक जोरदार तमाचा है. आदिवासी समाज और बाकी सबके सामने एक खतरनाक चुनौती है. हैवानियत की इस घटना को एक दुर्घटना मानकर भूल जाना हैवानियत को जिंदा रखने के बराबर है. अंधविश्वास, प्रथा, परम्परा आदि के नाम पर किसी निर्दोष व्यक्ति और समाज के ऊपर अन्याय, अत्याचार, शोषण का अधिकार किसी को नहीं है.
झारखंड प्रदेश में डायन के नाम पर हिंसा, हत्या और प्रताड़ना की घटनाएं प्रतिदिन हो रहे है. इससे खासकर आदिवासी जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है. मगर डायन निवारण कानून और पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी का इसके रोकथाम में ज्यादा कोई असर अब तक नहीं दिखा है. डायन के नाम पर हत्या जैसी घटनाएं केवल समाचार पत्रों की सुर्खियां बटोर पता है. तत्पश्चात कहानी खत्म. डायन हत्या, हिंसा और प्रताड़ना के मामलों पर झारखंड हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लेते हुए गंभीर टिप्पणी की है, मगर झारखंड सरकार अबतक उदासीन प्रतीत होती है.
कोवाली थाना में हुई इस हैवानियत की घटना पर उच्चस्तरीय जांच समिति  का गठन किया जाना चाहिए. ताकि इसके पीछे के कारणों का विस्तृत और गहराई से जानकारी हासिल कर ऐसी घटनाओं की रोकथाम का ठोस उपाय और क्रियान्वयन का रास्ता अख्तियार किया जा सके. फिलहाल इस हैवानियत की घटना को अंजाम देने में पूरे गांव के लोग, आदिवासी स्वशासन के प्रमुख (माझी-परगना) और जनप्रतिनिधि (ग्राम पंचायत) आदि भी अप्रत्यक्ष रूप से दोषी प्रतीत होते हैं. चूकि मृत महिला रूपी मुर्मू के साथ डायन के नाम पर गांव में पहले भी मारपीट की गई थी. ग्रामीणों ने गांव में महिला को नग्न घुमाने का प्रतिरोध नहीं किया. अतएव भविष्य में ऐसे लापरवाह ग्रामीणों पर सामूहिक जुर्माना और अन्य दंडात्मक प्रावधानों को जोड़ा जा सकता है. आदिवासी स्वशासन के प्रमुखों को भी जिम्मेदार बनाया जाए तथा ऐसी दुर्घटनाओं को होने से पूर्व रोकने के लिए सूचनातंत्र, जिम्मेदारी और क्रियान्वयन की मिशनरी तय की जाए.
डायन हिंसा, हत्या और प्रताड़ना मानवीय जनजीवन पर आतंकवादी हमला से कम बर्बरतापूर्ण और चिंताजनक नहीं है. किसी निर्दोष महिला को जान से मारना और नंगा कर गांव में घुमाना तथा उसके साथ दुष्कर्म करना आदि मानवता के लिए अभिशाप है. शर्मनाक है. मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है. उम्मीद है आप इस घटना पर त्वरित कार्रवाई करेंगे और भविष्य में इसकी रोकथाम के लिए ठोस उपाय बनाने का प्रयास करेंगे.