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बिहार के गया जिले से आए मुस्लिम कारीगरों ने 70 फिट का ‘रावण’, 65 फिट का कुंभकर्ण और 60 फिट का मेघनाद का पुतला बनाया है

बिहार के गया जिले से आए मुस्लिम कारीगरों ने 70 फिट का ‘रावण’, 65 फिट का कुंभकर्ण और 60 फिट का मेघनाद का पुतला बनाया है. पिछले 21 दिनों से कुल 14 कारीगर मिलकर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले के निर्माण में लगे हुए थे. लगातार बारिश के व्यवधान डालने के बावजूद बेहतरीन तरीके से तीनों पुतलों का निर्माण पूर्ण कर लिया गया है. मंगलवार शाम तक यह पुतला आयोजन स्थल पर पहुंचा दिया जाएगा और बुधवार को जलाया जाएगा. गया से कारीगरों ने बताया कि पुतला बनाने के लिए पंजाबी हिंदू बिरादरी के लोगों ने जगह दिया था. वहां पुतला तैयार करने के बाद दशहरा रावण दहन कार्यक्रम स्थल पर ट्रेलर से लाया जाता है.
मोरहाबादी में दशहरा कार्यक्रम के आयोजक अरुण चावला के मुताबिक उनकी संस्था 1948 से यह कार्यक्रम कर रही है. पहले जिला अस्पताल में यह कार्यक्रम होता था. अब मोरहाबादी मैदान में रावण का पुतला जलाया जाता है. वहीं अरगोड़ा दुर्गापूजा समिति के सचिव चन्दन कुमार का कहना है कि वे एक सामुदायिक भवन में पुतला बनवाते हैं.
रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों में शिवकाशी और प. बंगाल से मंगाए गए पटाखों का इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए प. बंगाल से बेहतरीन कारीगर रांची पहुंचे हैं. कारीगर यह बताते हैं कि भले ही रावण कुंभकर्ण, मेघनाद के पुतले वाटर प्रूफ बनाए गए हैं लेकिन यह फायर प्रूफ नहीं है. भारी बारिश के बावजूद ये बड़े ही मजे के साथ जलेंगे
राजधानी रांची में हर साल की तरह चार स्थानों पर रावण दहन का कार्यक्रम होना है. मुख्य समारोह रांची के मोरहाबादी मैदान में, जबकि इसके अलावा अरगोड़ा, टाटीसिलवे और शालीमार मैदान धुर्वा में भी रावण के पुतले का दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मोरहाबादी और अरगोड़ा में होने वाले रावण दहन कार्यक्रम में शिरकत करेंगे. अरगोड़ा, टाटीसिलवे और शालीमार मैदान धुर्वा में भी वाटरप्रूफ पुतलों का ही निर्माण किया गया है. यहां भी गया से आए मुस्लिम कारीगरों ने ही पुतलों को तैयार किया है.