झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

वतन पे भी इनायत हो

वतन पे भी इनायत हो
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जहाँ शासन की भाषा में किसी से भी हिकारत हो
वहाँ प्यारे बता कैसे, अमन की फिर सियासत हो

किया जो काम शासक ने करो केवल वही चर्चा
नहीं कर बात जहरीली, वतन पे भी इनायत हो

हुए आजाद हम कैसे, तू कर ले याद कुर्बानी
रहे सब अपनी सीमा में, सभी को ये हिदायत हो

सभी रहते जहाँ मिलजुल, वहीं से देश बढ़ता है
नहीं मज़हब, नहीं भाषा, ना जाति में अदावत हो

उठाओ बात भी अपनी, अगर बहरी हुई सत्ता
अमन से ही चमन बनता सुमन से क्यों शिकायत हो

श्यामल सुमन