झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

उड़ान

उड़ान
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जिन्दगी है तो सपने भी होंगे
और सपनों में उड़ान भी।
लेकिन उड़ान की दिशा दशा,
हमें खुद तय करना होगा।

चिड़ियाँ कोशिश करतीं हैं
अपने पंखों और
हौसले से उड़ान भरतीं हैं।
बीच बीच में रुककर,
खुले आकाश में अपनी
मर्जी से ही उड़तीं हैं।

लेकिन बैलून!
जिसकी कोई मर्जी नहीं।
उसमें हाइड्रोजन भरकर,
एक बार,
हाँ! बस एक ही बार,
उड़ने के लिए
विवश किया जाता है
और बैलून आकाश में,
खास ऊचाई पर फट जाता है।

अब हमें तय करना है कि
हम कैसे अपनी उड़ान भरें?
उन्मुक्त चिड़ियों की तरह
या बैलून की तरह?

श्यामल सुमन