उड़ान
*****
जिन्दगी है तो सपने भी होंगे
और सपनों में उड़ान भी।
लेकिन उड़ान की दिशा दशा,
हमें खुद तय करना होगा।
चिड़ियाँ कोशिश करतीं हैं
अपने पंखों और
हौसले से उड़ान भरतीं हैं।
बीच बीच में रुककर,
खुले आकाश में अपनी
मर्जी से ही उड़तीं हैं।
लेकिन बैलून!
जिसकी कोई मर्जी नहीं।
उसमें हाइड्रोजन भरकर,
एक बार,
हाँ! बस एक ही बार,
उड़ने के लिए
विवश किया जाता है
और बैलून आकाश में,
खास ऊचाई पर फट जाता है।
अब हमें तय करना है कि
हम कैसे अपनी उड़ान भरें?
उन्मुक्त चिड़ियों की तरह
या बैलून की तरह?
श्यामल सुमन
सम्बंधित समाचार
मारवाड़ी युवा मंच स्टील सिटी शाखा ने अठारह कृत्रिम अंग एवं पांच श्रवण यंत्र वितरण किया
*झारखण्ड स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय विधेयक राज्य की जनता को तौहफा: मंत्री बन्ना गुप्ता*
*जेंडर आधारित हिंसा को रोकने के लिए रांची में युवा की राज्य स्तरीय कार्यशाला*