तुझे भजन की फिकर लगी
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हमसब भोजन खातिर तरसें, तुझे भजन की फिकर लगी
तुझको अपना सुख है प्यारा, हमें वतन की फिकर लगी
आसानी से दिन कट जाते, गर मिल्लत हो आपस में
जहर बाँटते तुम नफरत के, हमें अमन की फिकर लगी
मंगल ग्रह पर घर की बातें, तुम करते हो महलों से
धरती पर अंधियारा पसरा, तुझे गगन की फिकर लगी
जनता के जलते सवाल पर, तुम आखिर क्यूँ गुर्राते
हक सबको जीने का प्यारे, तुझे दमन की फिकर लगी
बिना काम के अगर बागबां, बस केवल भाषण देता
खस्ता हाल बगीचे का तब, हमें सुमन की फिकर लगी
श्यामल सुमन
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