सत्रह वर्षों से बिना नियमावली के चल रहा है झारखंड राज्य मेडिकल पर्षद! तीस अक्टूबर की बैठक में लिया जाएगा अहम फैसला
झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल के कार्यकारिणी की तीस अक्टूबर को बैठक होने वाली है. इस बैठक में नियमावली पर चर्चा होगी. सरकार ने काउंसिल से नियमावली का प्रस्ताव भेजने को कहा है.
रांची: बिहार से अलग होकर झारखंड बने दो दशक यानि बीस वर्ष से अधिक का समय हो गए हैं. अभी तक झारखंड में एलोपैथिक डॉक्टरों के निबंधन करने वाली संस्था झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल की अपनी नियमावली तक नहीं बन पाई है. जबकि काउंसिल 2003-04 में ही अस्तित्व में आ गया था.
तीस अक्टूबर को स्टेट मेडिकल काउंसिल कार्यकारिणी की बैठक करीब सत्रह साल बाद सरकार जागी है और उसने कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर जल्द से जल्द अपनी नियमावली का प्रस्ताव भेजने को कहा है. सरकार के इसी आदेश के आलोक में तीस अक्टूबर को रांची में झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल की कार्यकारिणी सदस्यों की बैठक बुलाई गई है.
झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल के रजिस्ट्रार और सचिव डॉ बिमलेश सिंह ने तीस अक्टूबर को होने वाली बैठक की जानकारी देते हुए कहा कि इस बैठक में पर्षद की नियमावली, कार्यकारिणी सदस्यों के लिए एक महिला सहित रिक्त तीन पदों के लिए चुनाव को लेकर फैसला लिया जाएगा. इसके साथ-साथ पर्षद के अति महत्वपूर्ण एथिकल कमिटी को लेकर भी चर्चा होगी और फैसले लिए जाएंगे.
“ये हैं झारखंड स्टेट मेडिकल पर्षद के कार्यकारिणी की सूची”
“डॉ साहिर पाल, अध्यक्ष”
“डॉ बिमलेश कुमार सिंह, निबंधक सह सचिव”
“डॉ प्रदीप कुमार सिंह कोषाध्यक्ष”
“डॉ बासुदेव दास निदेशक सीआईपी- सदस्य”
“डॉ प्रवीण चंद्रा पूर्व निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य निदेशालय सदस्य”
“डॉ विवेक कश्यप अधीक्षक रिम्स- सदस्य”
“डॉ सुशील कुमार सिंह प्राचार्य, हजारीबाग मेडिकल कॉलेज सदस्य”
झारखंड स्टेट मेडिकल काउंसिल राज्य से एमबीबीएस/एमडी/डीएम/एमसीएच जैसे डिग्री करने वाले प्रोफेशन का निबंधन करता है. वहीं इसकी एथिकल कमिटी डॉक्टरों के एथिकल मामले को भी देखती है.
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