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सिंहभूम चैम्बर में टैक्स क्लिनिक एवं उद्योग उपसमिति की संयुक्त बैठक में जीएसटी एवं उद्योग से संबंधित विषयों पर हुई चर्चा

सिंहभूम चैम्बर में टैक्स क्लिनिक एवं उद्योग उपसमिति की संयुक्त बैठक में जीएसटी एवं उद्योग से संबंधित विषयों पर हुई चर्चा

सिंहभूम चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री में आज टैक्स क्लिनिक का आयोजन किया गया।  टैक्स क्लिनिक में जीएसटी काउंसिल की पचासवीं बैठक में लिये गये निर्णयों पर की गई चर्चा।  सचिव वित्त एवं कराधान अधिवक्ता पीयूष चौधरी ने बताया कि जीएसटी काउंसिल की पचासवीं बैठक में पचास महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।  प्रमुख रूप से विभिन्न सामानों जैसे कि बिना तले/पके हुये स्नैक्स, सिनेमाघरों में मिलने वाले खाद्य सामग्रियों, स्लैग इत्यादि पर जीएसटी की दर को घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया गया है।  विभिन्न प्रकार की जीवन रक्षक दवाओं खासकर कैंसर से लड़ने वाली दवाओं के निजी आयात पर जीएसटी में छूट देने का घोषणा किया गया है।  सरलीकरण की दिशाओं में भी विभिन्न निर्णय लिये गये हैं जिनसे जुड़े अधिसूचना आने वाले दिनों में केन्द्र द्वारा जारी किया जा सकता है।  चैम्बर की वर्षों पुरानी जीएसटी ट्रिब्यूनल की मांग को भी जीएसटी काउंसिल ने हरी झंडी दिखा दी है।  1 अगस्त,2023 से पहले इससे संबंधित अधिसूचना जारी करने का निर्णय लिया गया है।  चैम्बर ने केन्द्र सरकार से आग्रह किया था कि सर्कुलर संख्या-183 को 2019-20 एवं 2020-21 वित्तीय वर्षों के लिये भी लागू किया जाना चाहिए।  इस पर भी काउंसिल की उक्त बैठक में निर्णय लिया गया है।  सर्कुलर-183 के मुताबिक किसी क्रेता व्यवसायी के द्वारा अपनी विवरणी मेें लिये गये इनपुट यदि विक्रेता के आउटपुट से मिलान नहीं होता है तो भी क्रेता को उसका उचित इनपुट दिया जाना चाहिए बशर्ते कि उसके पास अपनी खरीददारी के पर्याप्त साक्ष्य उपलब्घ हों।  काउंसिल में वित्तीय वर्ष 2021-22 की वार्षिक विवरणी भरने के लिये उपलब्ध विभिन्न प्रकार के छूट को वर्ष 2022-23 के लिये भी जारी रखा गया है।  दो करोड़ टर्नओवर तक के व्यवसायियों को इस वर्ष भी वार्षिक विवरणी दाखिल करने की बाध्यता से मुक्त रखा गया है।  जीएसटी काउंसिल ने जीएसटी की एकमुश्त समाधान योजना को भी 21 अगस्त, 2023 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।  इसके तहत कोई भी व्यवसायी जिसका पूर्व की अवधियों का जीएसटीआर-4, जीएसटीआर-9 एवं जीएसटीआर-10 इत्यादि रिटर्न नहीं भरा गया है वह इस योजना का लाभ उठाकर एकमुश्त राशि पेनाल्टी स्वरूप जमा कराकर अपना पूर्व का रिटर्न दाखिल कर सकता है।  पूर्व में रद्द की गई निबंधन को भी इस योजना के तहत वापस शुरू कराया जा सकता है।

एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुये जीएसटी काउंसिल ने यह अब तय किया है कि अब प्रत्येक माह व्यवसायियों को जीएसटीआर-1 एवं जीएसटीआर-3बी के कर में यदि कोई अंतर है तो उसका कारण विवरणी के साथ-साथ दाखिल करना पड़ेगा।  अन्यथा अंतर राशि को जमा करने के लिये स्वतः नोटिस चला जायेगा।  कुछ सेवाओं जैसे कि विभिन्न प्रकार के ऑनलाईन गेमिंग पर जीएसटी दर समान रूप से 28 प्रतिषत कर दिया गया है।  निबंधित ट्रांसपोर्टरों को अब प्रत्येक वर्ष यह डिक्लियरेषन देने की बाध्यता से मुक्त कर दिया गया है कि वे अगले वित्त वर्ष में फारवर्ड चार्ज एवं रिवर्स चार्ज किस सिस्टम में अपना व्यवसाय करेंगे।

पूर्व अध्यक्ष सुरेष सोंथालिया ने बैठक की अध्यक्षता करते हुये जीएसटी काउंसिल द्वारा लिये गये साकारात्मक निर्णयों पर खुषी जाहिर की।

खाद्यान्न व्यवसायी पवन नरेडी ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के मुताबिक ईडी विभाग के दायरे में अब जीएसटीएन को भी लाया गया है जिसकी वजह से व्यापारियों में भय का माहौल है।  इस पर श्री सोंथालिया ने बताया कि उक्त अधिसूचना को गलत ढंग से सोशल मीडिया में फैलाया जा रहा है।  ईडी केन्द्र सरकार का एक विशिष्ट शक्ति प्राप्त विभाग है जो केवल उच्च स्तरीय वित्तीय अनियमितताओं को देखता है एवं इसी कड़ी में जीएसटी नेटवर्क को ईडी विभाग के कार्यक्षेत्र में लाया गया है। अतः किसी भी ईमानदार व्यवसायी को उक्त अधिसूचना से डरने की बिल्कुल भी आवश्यकता नहीं है।  मानद महासचिव अधिवक्ता मानव केडिया एवं अधिवक्ता राजीव अग्रवाल ने भी उक्त कथन का समर्थन किया।

सचिव, उद्योग सांवरमल शर्मा ने टाटा स्टील द्वारा प्रस्तावित बिजली दर बढ़ोतरी के विरूद्ध चैम्बर द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर प्रकाश डाला।  इस कड़ी में आज इलेक्ट्रीसिटी नियमों के अनुभवी कृष्णचन्द्र झा ने चैम्बर सदस्यों को संबोधित किया।  उन्होंने समझाया कि किस प्रकार बिजली वितरण कंपनियां उपभोक्ताओं से ली गई जमा राशि से अतिरिक्त मुनाफा कमाती है।  उद्यमी सुधीर सिंह ने कहा कि यह सर्वविदित सत्य है कि टीएसयूआईएल (जुस्को) प्रत्येक वर्ष अच्छा मुनाफा कमा रही है ऐसे में बिजली दरों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव न्यायोचित नहीं है।  अतः इसका हर स्तर पर विरोध होना चाहिए।  पूर्व महासचिव भरत वसानी, सत्यनारायण अग्रवाल, उद्यमी विनोद शर्मा, श्रवण देबुका एवं मनोज अग्रवाल ने भी उक्त कथन का पुरजोर समर्थन किया।  अधिवक्ता सतीश सिंह ने उद्यमियों एवं चैम्बर की एक बड़ी बैठक इस विषय पर बुलाने का सुझाव दिया।

टैक्स एवं उद्योग संबंधित आये सभी सुझावों को चैम्बर द्वारा उचित स्तर पर आगे भी उठाये जाने का चैम्बर पदाधिकारियों ने आश्वासन दिया।  विवेक कुमार, राज जयसवाल, परिचय भालोटिया, अधिवक्ता निर्मया मुखी ने टैक्स संबंधित विभिन्न सवाल किये जिनका की आज की टैक्स क्लिनिक मेें उनके सवालों का एक्सपर्ट्स द्वारा जवाब दिया गया।

आज की टैक्स क्लिनिक में  पूर्व अध्यक्ष सुरेश सोंथालिया, मानद महासचिव मानव केडिया, पूर्व महासचिव भरत वसानी, सचिव पीयूष चौधरी, सांवर मल शर्मा, कोषाध्यक्ष किशोर गोलछा, कॉ-ऑप्टेड सदस्य राजीव अग्रवाल, सत्यनारायण अग्रवाल, बिनोद शर्मा, पवन नरेडी, श्रवण देबुका, सुधीर सिंह, मनोज अग्रवाल, विवेक कुमार, राज जयसवाल परिचय भालोटिया, के सी झा, निर्मया मुखी के अलावा अन्य व्यापारी एवं उद्यमी ने भाग लिया