झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

श्री श्री आनंद मुर्ति के दर्शन, विज्ञान, नीतिशास्त्र, अर्थशास्त्र एवं साहित्य विषयों पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया

आनन्द मार्ग प्रचारक संघ का बौद्धिक शाखा रेनासा युनिवर्सल के संयुक्त तत्वाधान में आनन्द मार्ग के प्रवर्तक श्री श्री आनन्दमूर्ति उर्फ प्रभात रेजन सरकार के दर्शन, विज्ञान, नीतिशास्र, अर्थशास्त्र और साहित्य विषयों पर दो दिवसीय 26-27 नवम्बर राष्टृीय वेबिनार  का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में प्रथम दिन के मुख्य अतिथि कोल्हान विश्वविद्यालय, झारखण्ड के कुलपति प्रो. गंगाधर पण्डा वेबिनार का उदघाटन कियेे। सम्मानीय अतिथि जे.एन.यू के वैज्ञानिक और बायोटेक्नोलाॅजी विभाग के भूतपूर्व डीन प्रो.उत्तम पति राष्टृीय वेबिनार में जुड़े। प्रो गंगाधर पण्डा, कुलपति ने श्री श्री आनन्दमूर्तिजी के अवदानों के बारे में बोलते हुए कहा कि आनन्द मार्ग का मुख्य उद्देश्य आत्म मोक्षार्थम जगत हितायच है यानि आत्मा की मुक्ति मोक्ष के समाज का कल्याण करना है। जबकि आनन्द मार्ग का दर्शन तीन भागों में विभक्त हैः आध्यात्कि साधना, नव्य मानवतावाद दर्शन और सामाजिक अर्थनैतिक सिद्धांतं। आध्यात्मिक साधना के द्वारा मानसिक विस्तार होता है। मानसिक विस्तार होने वृहत के प्रति मन आकर्षित होता हैं। नव्य मानवतावाद दर्शन में सभी जीवों और निर्जीवों के प्रति कल्याण की भावना जाग्रत होता है। यह दर्शन मानवतावाद से विश्वभ्रातृत्व का बोध जगाता है। इस दर्शन में भक्ति बहुमूल्य सम्नदा है। जबकि अर्थनैतिक सिद्धांत प्रउत सभी को न्यूनतम आवश्यकतायें जैसे भोजन, आवास, वस्त्र, चिकित्सा और शिक्षा की सुविधा की ब्ववस्था की बात करता है। कुलपति प्रो. गंगाधर पण्डा अपने वक्तब्य में कहा कि श्री श्री आनन्दमूतिजी एक महान दार्शनिक और महान धर्मगुरु के रुप मे अनवरत अवदान मानव के हित के लिए किये है। जो सर्वविदित है। उनके दर्शनों में मौलिक चिंतन का भण्डार है। जिसके माध्यम से समाज के हर समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। राॅंची विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के एसोसियेट प्रो और  विभागाध्यक्ष डाॅ. सुरेन्द्र पांडेय ने कहा कि श्री श्री आनन्दूर्तिजी के दर्शन में सामाजिक न्याय स्पष्ट रुप से झलकता है। जबकि प्रथम दिन डाॅ. सुरेन्द्र मोहन मिश्र, निदेशक भारतरत्न गुलजारी लाल नन्दा केन्द्र, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय वेबिनार का अध्यक्षता किये। राजस्थन विश्वविद्यालय के दर्शन विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. अरविन्द विक्रम सिंह स्वागत भाषण दिये।विभागाध्यक्ष डाॅ. अरविन्द विक्रम सिंह बोलते हुए कहा कि उन्होंने मानवता के कल्याण हंेतु 500 पुस्तके लिखे हैं। जो आध्यात्मिक दर्शन से लेकर, शिक्षा, अर्थनैतिक सिद्धांत, समाजशास्त्र, विज्ञान, भाषा विज्ञान, मनोविज्ञान, कृषि विज्ञान आदि अन्य विषयों पर मौलिक कार्य किये हैं। जो शोध का विषय है। । मुख्य वक्ता के रुप में मुम्बई विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के डाॅ. मनीषा कुलकर्णी तीन प्रभात संगीत गाकर कार्यक्रम की शुरुआत की और संगीत के बारे में अपना वक्तब्य रखी । रेनासा युनिवर्सल के केन्द्रीय सचिव आचार्य दिव्यचेतनानन्द अवधूत,  जवाहर लाल नेहरु विश्वविधलय, दिल्ली के संस्कृत विभाग के प्रो. राम नाथ झा, संस्कृत विभाग, राजस्थान विश्वविद्यालय के प्रो. वीणा अग्रवाल और महात्मा गाॅंधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय  मोतिहारी के संस्कृत विभाग के एसोसियेट प्रो अनिल प्रताप गिरि श्री श्री आनन्दमूर्तिजी के दर्शन आनन्द सूत्रम पर विस्तारित चर्चा किये। आचार्य दिव्यचेतनानन्द अवधूत ने कहा कि उनके आध्यात्मिक दर्शन भौतिक जगत के साथ संतुतन बनाये रखकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। रिजनल इन्सटिच्युट आॅफ एडुकेशन विभाग, भुवनेश्वर के शिक्षा विभाग के प्रो. रामाकान्त मोहालिक ने कहा कि यह नव्य मानवतावादी शिक्षा भोतिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्तर में संतुलन बनाये रखने की बात करता है। सिद्धो कान्हो बिरसा विश्वविद्यालय  संस्कृत विभाग पुरुलिया के विभागाध्यक्ष प्रो. अजीत कुमार मंडल श्री प्रभात रंजन सरकार के भाषा विज्ञान पर बोले