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शिक्षा को पूर्ण रूप से वेसरकारी करण न करें सरकार शिक्षा का करें सुधार- सुनील कुमार दे

अपनी राय शिक्षा को पूर्ण रूप से वेसरकारी करण न करें सरकार शिक्षा का करें सुधार- सुनील कुमार दे

पोटका- चाहे केंद्र सरकार हो अथवा राज्य सरकार सरकारी स्कूलों में आजकल लोग अपने बच्चे को भेजना नहीं चाहते हैं, पढ़ाने नहीं चाहते हैं।इसके पीछे अनेक कारण है।सरकारी स्कूलों में ठीक से पढ़ाई नहीं होता हैं, सरकार शिक्षकों से दूसरे दूसरे काम लेते हैं जिसके कारण शिक्षक बच्चों को समय नहीं दे पाते हैं।विद्यालयों में शिक्षकों की कमी भी एक कारण है।सरकारी शिक्षा व्यवस्था में भ्रष्टाचार और उदासीनता भी एक कारण है।इसके अलावे इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने का एक फैशन भी चल रहा है चाहे स्कूल का गुण और भाग जो भी हो लोगों की धारणा बन गई है कि इंग्लिश मीडियम में नहीं पढ़ने से केरियर नहीं बनेगा।
जो आर्थिक रूप से सबसे कमजोर है उसी का बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते हैं।इसलिए सरकार सरकारी स्कूल को ऐसा मजबूत करें कि कोई बेसरकारी स्कूलों में भेजना पसंद न करें।सरकार बच्चे को सही शिक्षा दें ताकि बच्चे का केरियर और कैरेक्टर दोनों बन सके।अगर प्राइवेट स्कूल चलाने का सरकार किसी को अनुमति देती है तो उनपर अंकुश लगाने का भी जरूरत है ताकि वे लोग मनमानी नहीं कर सकें।सरकार का नियंत्रण उनके ऊपर होना चाहिए।सरकारी और बेसरकारी दोनों विद्यालयों में मातृभाषा में शिक्षा कम से कम एक बिषय अनिवार्य होना चाहिए।इसके अलावे नैतिक शिक्षा को भी अनिवार्य करना चाहिए ताकि बच्चे का चरित्र का निर्माण हो सके यह मेरा निजी विचार है।देश के बच्चे राष्ट्रीय संपत्ति हैं इसलिए किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।एक देश एक शिक्षा होना चाहिए।मै केंद्र और राज्य दोनों सरकार से आवेदन और निवेदन करना चाहता हूं कि कृपया शिक्षा को देश में सर्वोपरी रखा जाय और शिक्षा व्यवस्था में जो भी कमी और विसंगतियां है उसको दूर करने का कोशिश किया जाय।कारण आदमी का मूल भुत आधार शिक्षा ही है।जिस देश की शिक्षा जितना मजबूत होगी वह देश और राष्ट्र उतना ही मजबूत और सुंदर होगा।