झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

सबके खाली झोले हैं

सबके खाली झोले हैं
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मुस्कानों में दर्द दिखे वो बिन मौसम के ओले हैं
आह कहीं बर्फीली है तो कहीं दहकते शोले हैं

अपने सपने छूट रहे हैं जब वो सपने दिखलाते
सपने यूँ बिखरे हाथों में सबके खाली झोले हैं

बार बार आँसू दिखलाकर कौन भूल जो छिपा रहे
पर सच मानो उन आँसू ने राज तुम्हारे खोले हैं

कब फकीर,योगी बन जाते कब अभियंता, वैज्ञानिक
लोग समझने लगे आपके, सारे नकली चोले हैं

भूख, गरीबी कम लगती है जब आपस में मिल्लत हो
उस मिल्लत में नित नफरत के जहर आप ही घोले हैं

कई देश के नायक देखा, उनको जाना, महसूसा
पर वो नायक नहीं मिला है जो इतने बड़बोले हैं

बैर नहीं है सुमन किसी से पर भारत से प्यार सदा
कद्र कलम की नहीं करे बस, वो सिंहासन डोले हैं

श्यामल सुमन