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संघर्षशील जगरनाथ महतो के टाइगर बनने की कहानी

संघर्षशील जगरनाथ महतो के टाइगर बनने की कहानी

झारखंड आंदोलन से उपजे नेताओं में से एक थे जगरनाथ महतो. वह जनता से जुड़े नेता थे. उनकी जीवटता की प्रशंसा उनके विरोधी भी करते हैं
रांचीः जगरनाथ महतो जेएमएम के तेज-तर्रार नेता थे. अपने क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ थी. उनकी छवि जमीन से जुड़े नेता की है. उनका जन्म जनवरी 1967 में बोकारो के अलारगो में हुआ. पिछले कुछ दिनों से वह बीमार चल रहे थे. उन्हें 14 मार्च को ही चेन्नई इलाज के लिए ले जाया गया था. जहां आज उन्होंने अंतिम सांस ली.
जगरनाथ महतो को झारखंड की राजनीति में टाइगर कहा जाता था. वह झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से थे. उनकी अपनी एक अलग पहचान है. वह अपने जुझारूपन की वजह से टाइगर कहे जाते थे. फिलहाल वह झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार में शिक्षा मंत्री थे. कोरोनाकाल में वह कोरोना से ग्रसित हो गए थे. उनका इलाज चेन्नई के अपोलो अस्पताल में चल रहा था.
जगरनाथ महतो झारखंड आंदोलन से उपजे नेता थे. अपनी आंदोलनकारी छवि की वजह से कई बार जेल जा चुके थे. उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई की थी. साल 2000 में वह पहली बार डुमरी सीट से विधानसभा चुनाव लड़े. लेकिन वह लालचंद महतो से हार गए. 2005 में वह दूसरी बार विधानसभा चुनाव लड़े. इस बार उन्हें जीत हासिल हुई. वह पहली बार विधायक बने. 2009 विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर जीत हासिल हुई. 2014 लोकसभा चुनाव में जेएमएम उन्हें गिरिडीह से लोकसभा का टिकट दिया. वह दूसरे स्थान पर रहे. 2014 विधानसभा चुनाव में वह फिर डुमरी से लड़े. उन्होंने जीत की हैट्रिक लगाई. 2019 में वह फिर गिरिडीह सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े लेकिन इस बार भी वह चुनाव हार गए. 2019 विधानसभा चुनाव में वह फिर डुमरी विधासभा सीट से जीते. जीतने के बाद उन्हें हेमंत मंत्रिमंडल में जगह मिली. वो शिक्षा मंत्री बने