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राष्ट्रधर्म सर्वोपरि कैसे होगा? राष्ट्रधर्म का चुनाव से संबंध कैसे?

राष्ट्रधर्म सर्वोपरि कैसे होगा? राष्ट्रधर्म का चुनाव से संबंध कैसे?
हमलोग राष्ट्रधर्म सर्वोपरि के बारे में राष्ट्रवादी राजनीतिक दल और कई राष्ट्रवादी संगठन के माध्यम से सुनते हैं राष्ट्रधर्म सुनते ही देशभक्ति का मन में समावेश हो जाता है| 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन देश का हर कोना राष्ट्रधर्म के गीत संगीत और कार्यक्रम से एकसुर में ढल जाता है नेताजी , समाजसेवी, अन्य शासन और प्रशासन देश के बारे में बताते थकते नहीं हैं पिछले कुछ सालो में 15 अगस्त और 26 जनवरी का उत्साह राष्ट्रगान के साथ घर के अंदर भी प्रवेश किया है पहले ये नेताजी,स्कूल,कॉलेज,शासन,प्रशासन समाजसेवी तक ज्यादा सीमित था
राष्ट्रधर्म सर्वोपरि पर क्या 15 अगस्त और 26 जनवरी के लिए या बचे हुए 363 दिनों के लिए भी? बचे हुए 363 दिन में राष्ट्रधर्म कई राजनीतिक महत्वाकांक्षा और भाग दौड़ के जीवन शैली के कारण ठंडे बस्ते में आराम करने लगता है कुछ मुट्ठी भर लोग या संगठन यदा कदा कुछ अपरिहार्य कारणों से देश और समाज को राष्ट्रधर्म बताते नजर आते है
अब राष्ट्रधर्म के मार्ग की बाधा को समझना जरुरी होगा
राष्ट्रधर्म के मार्ग की सामाजिक बाधा:- गरीबी,महँगाई, बेरोजगारी , भ्रष्टाचार आजादी के बाद से ही उपरोक्त विषाक्त सामाजिक जीवन वाली चौकड़ी दैत्याकार रूप देश के हर कोने में खडी दिखती है गरीबी,महँगाई,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार
वाला दानव आम जनता को निगलते रहता है और इसको भगाने का दंभ भरने वाले नेता समूह को सुरक्षित रास्ता भी दे देता है और भव्य जीवन शैली भी| यह आम जनता के लिए बने हुए संविधान का सबसे बड़ा आश्चर्य है गरीबी, महँगाई ,बेरोजगारी , भ्रष्टाचार भागता या कम क्यों नहीं होता?
भारत का क्षेत्रफल 32,87,263 वर्ग कि. मी. है जो हिमाच्छादित हिमालय की ऊंचाइयों से शुरू होकर दक्षिण के विषुवतीय वर्षा वनों तक फैला हुआ है। 1947 में जब आजादी मिली थी तब भारत की जनसंख्या महज लगभग 34 करोड़ थी। साल 1951 में पहली बार जनगणना हुई तो जनसंख्या 36 करोड़ से कुछ अधिक हो गई। वर्त्तमान में भारत की जनसंख्या लगभग 140 से 150 करोड़ अनुमानित है | देश के धरती का क्षेत्रफल कम ही हुआ कुछ अप्रिय कारणों से जमीन का क्षेत्रफल कम हुआ और जनसंख्या चार गुना से ज्यादा इस जनसंख्या का फायदा अनगिनत राजनीतिक दल और परिवार को मिला इसी जनसंख्या के बल पर गरीबी , महँगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार वाला दानव अनगिनत राजनीतिक दल को सुरक्षित रास्ता देते रहा और आम जनता को अपने जरुरत के हिसाब से निगलते रहा अनगिनत राजनीतिक दल में से अधिकांश देश को देश नीति के मार्ग पर ले जाना ही नहीं चाहते कोई कोशिश भी करे तो एक महायुद्ध का घोषणा हो जाता है और देश नीति के करीब वाला दल या नेता भी कई बार मजबूर दिखता है आम जनता में भ्रमित बयान , मुफ्त की राजनीति , जातिवाद की राजनीति , धर्म आधारित सुविधा असुविधा से गरीबी , महँगाई , बेरोजगारी , भ्रष्टाचार वाला दानव को संजीवनी बूटी भरपूर खिलाया जाता है

सारांश :-
देश नीति से ही एक देश एक नियम बनेगा , जो सभी पर सामान रूप से लागू होगा देश नीति से ही सीमित जमीन संसाधन का उपयोग होगा देश नीति से ही जनसंख्या वृद्धि पर एक लगाम लगेगा| देश नीति से ही राजनीति होगी और तभी राष्ट्रधर्म सर्वोपरी होगा इसके बाद ही गरीब कम होंगे मेहनत करने वाले गरीबी रेखा को पीछे छोड़ पायेंगे महँगाई भी कम होगी , सरकारी रोजगार में समानता आ पाएगी और स्व -रोजगार से देश के अर्थव्यवस्था मजबूत होगी
इसके लिए हर गरीब , मध्यम वर्ग , उच्च वर्ग को घर से निकल मतदान करना होगा और देश नीति दल को तलाशना होगा देश नीति दल मजबूत होगा तो देश नीति विपक्ष भी बनेगा और अनगिनत विचारधारा वाले दल को एक दल में समाहित होने के लिए मजबूर करेगा
अलग अलग क्षेत्रीय दल ठीक उसी तरह से है जैसे पूर्व में अखंड भारत में अलग अलग प्रांत के राजा थे |सभी सनातनी थे,पर अलग सोच अखंड भारत को 1200 साल गुलाम बनाया | दिल पर हाथ रख सोचिये तो 40 से 50 पीढ़ी गुलाम थी अनगिनत प्रांत और राजा के कारण अनुज्योक्त लिखित 2024 अयोध्या श्री राम मन्दिर अतिउत्साह खोज ? में एक समुचित विश्लेषण उपलब्ध है| किताब का लिंक ASIAN PRESS BOOKS APP STORE , अमेज़न फ्लिप्कार्ट पर उपलब्ध है)
अलग अलग राग अलग अलग प्रलाप आज़ादी के बाद से ही राजनीतिक अस्थिरता दिया है देश अनगिनत विचार वाले दलों में मिलाप से कई दंश झेला है गरीबी , महँगाई , बेरोजगारी भ्रष्टाचार का कारण अनगिनत राजनीतिक दल का अस्थिरता रहा है और गरीबी , महँगाई , बेरोजगारी ,भ्रष्टाचार की राजनीति करने वाले नेता या परिवार सुख संपत्ति के मालिक बन जनता को आपस में लडवा कर इस्तेमाल करते रहे हैं देश नीति के बगैर न तो राष्ट्रधर्म होगा , न राष्ट्रनिर्माण होगा न हम सबके सर पर देश पगड़ी होगी , न गरीबी कम होगी न भ्रष्टाचार कम होगा , न महँगाई कम होगा , न बेरोजगारी कम होगी|