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रांची के धुर्वा मोहल्ले में पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर

रांची के धुर्वा मोहल्ले में पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर

रांची के धुर्वा की स्थिति मार्च-अप्रैल आते ही पानी की घोर समस्या होने लगती है. लोग बूंद बूंद पानी के लिए तरसने लगते हैं. लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर का सफर करना पड़ता है. जिससे कई बार हादसे भी हो जाते हैं. लेकिन प्रशासन का इस ओर ध्यान ही नहीं है.
रांची: जिले के सबसे बड़े मोहल्ले में शुमार धुर्वा की स्थिति मार्च-अप्रैल आते ही बद से बदतर होने लगती है. यहां पर पानी की घोर समस्या होने लगती है. अच्छी खासी आबादी का यह मोहल्ला मार्च-अप्रैल में बूंद बूंद पानी के लिए तरसने लगता है. हालत इतनी बुरी हो जाती है कि लोग पानी के लिए अपने घरों से पांच से दस किलोमीटर तक की दूरी का सफर तय करते हैं. उसके बाद अपनी रोजमर्रा की जरूरत का पानी हासिल कर पाते हैं.
लोगों को अपने कपड़े धोने के लिए घरों से निकलकर लंबी दूरी तय करनी पड़ती है. अपने घर से कई किलोमीटर दूर कपड़ा धोने के लिए आयी ननकी देवी बताती हैं कि हर साल मार्च-अप्रैल के महीना आते ही पानी की समस्या से जूझना पड़ता है. घर में छोटे-छोटे बच्चों के कपड़े धोने के लिए घरों से दूर छोटे-मोटे तालाब या फिर कहीं पाइप के पानी का सहारा लेना पड़ता है. मौसी बारी की रहने वाली फूलो देवी बताती हैं कि बिना पानी का किसी भी व्यक्ति का गुजारा नहीं हो सकता है. लेकिन हम लोग ऐसे बदनसीब हैं जो सुबह उठते ही पानी की तलाश में निकल पड़ते हैं और घंटों तक सफर करने के बाद पानी मुहैया हो पाता है.
आदर्श नगर की रहने वाली श्रीपति देवी बताती हैं कि मार्च-अप्रैल के महीने में अगर हमारे यहां कोई अतिथि आता है तो हम भगवान से यही दुआ करते हैं कि जल्द से जल्द वह हमारे घर से चले जाए, क्योंकि उनके लिए पानी का इंतजाम करना हम घरवालों के लिए एक चुनौती होती है. देश में अतिथि देवो भव: के पाठ पढ़ाए जाते हैं. रांची के लोग अतिथि के आने से परेशान हो जाते हैं और उसका एकमात्र यही कारण है पानी की कमी. लाजमी है कि जल ही जीवन की बात कही जाती है. लेकिन राजधानी के धुर्वा इलाके में जीवन चलाने के लिए जल की कोई व्यवस्था नहीं है.
अरुण कुमार बताते हैं कि घर के मर्दों का काम सिर्फ कमाना नहीं है बल्कि शाम होते ही घर की महिलाओं और बच्चों के लिए पानी का इंतजाम करना भी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है. उन्होंने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि कई बार पानी लाने के दौरान लोग घायल भी हो जाते हैं और उन्हें गंभीर चोटें भी आती हैं. पानी की भारी भारी बाल्टी या डब्बा उठाकर लाने के दौरान अक्सर हादसे होते रहते हैं.
झारखण्ड वाणी संवाददाता की टीम ने धुर्वा इलाके के विभिन्न जगहों का जायजा लिया तो देखा कि कई ऐसे चापाकल हैं, जो सूखे पड़े हैं. लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर तक का सफर तय करना पड़ता है. वहीं स्थानीय प्रतिनिधि के लिए दिन प्रतिदिन मोहल्ले में हो रही पानी की किल्लत एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. निगम की तरफ से जितना पानी का व्यवस्था कराया जाता है उससे ज्यादा मोहल्ले के लोगों की ओर से पानी का खर्च है. ऐसे में टैंकर से उपलब्ध कराया जाने वाला पानी भी पर्याप्त नहीं हो पाता है.
धुर्वा मोहल्ला में हाई कोर्ट, विधानसभा, मंत्रालय जैसे भवन हैं. जिसके लिए जगह-जगह डीप बोरिंग की गई है. इस वजह से भी मोहल्ले का वाटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है. जिस कारण से मोहल्ले के कई चापाकल सूख गए हैं.
इस संबंध में रांची के नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने बताया कि पानी की समस्या को कम करने के लिए निगम की ओर से नए टैंकर खरीदे जा रहे हैं ताकि जिस क्षेत्र में पानी की कमी से लोग जूझ रहे हैं वहां पर पानी को ट्रांसपोर्ट के माध्यम से भेजा जा सके. वहीं उन्होंने बताया कि राजधानी के विभिन्न इलाकों में लगाए गए चापाकलों का निरीक्षण किया जाएगा और देखा जाएगा कि कौन से चापाकल गर्मी के मौसम में सूख रहे हैं, वहां पर वाटर लेवल को कैसे बढ़ाया जाए इस पर भी विचार किया जाएगा.
रांची के धुर्वा इलाका में लाखों की आबादी रहती है और वहां पर सभी सरकारी विभागों के कार्यालय भी मौजूद हैं. इसके बावजूद भी इन इलाकों में पानी की समस्या सरकार और निगम के कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है. जरूरत है विभाग के इन क्षेत्र के लोगों के लिए जल्द से जल्द पानी का इंतजाम कराए ताकि लोगों का जीवन सुचारू रूप से चल सके और हर साल आने वाली समस्या से निजात मिल सके.