जय जवान और जय किसान इक बात पुरानी है।
क्यों जवान मारे किसान को क्या मनमानी है??
सीमा पर लड़ता जवान है।
खेतों में लड़ता किसान है।
मिहनत जब मजदूर करे तो,
फिर भारत बनता महान है।
इन सब में जो भेद कराते ये नादानी है।
क्यों जवान मारे —–
रोज प्रेम को तोड़ रहे हो।
नया शिगूफा छोड़ रहे हो।
कैसे मिल्लत टूटे सबकी,
दिशा-दशा को मोड़ रहे हो।
लोकतंत्र है या कोई शासन सुल्तानी है?
क्यों जवान मारे —–
बुरे हाल का तुम कारण हो।
राम वेष में क्या रावण हो?
सावधान! बेबस लोगों के,
कष्टों का भी निर्धारण हो।
सुमन जानती जनता तेरी कारस्तानी है।
क्यों जवान मारे —–
श्यामल सुमन
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