झारखण्ड वाणी

सच सोच और समाधान

क्या जनमत की बात सुनी है?

जनमानस में आग लगी है, चेत जरा
हवा मनचली अभी बही है, चेत जरा

शासक की मनमर्जी कितने दिन चलती
यह विरोध की सिर्फ कली है, चेत जरा

कब सेवक से अधिनायक तुम बन बैठे
जनता में खलबली मची है, चेत जरा

जबरन सबको सुना रहे मन की बातें
क्या जनमत की बात सुनी है, चेत जरा

अपनों ने तुझको बैलून बना रक्खा
समय समय पर हवा भरी है, चेत जरा

बेहतर से बेहतर समाज और देश बने
फर्ज निभाने कलम उठी है, चेत जरा

नहीं दुश्मनी तुझसे अपनी है सांई
बात पते की सुमन कही है, चेत जरा

श्यामल सुमन