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कथामृत उत्सव सप्तम दिन माताजी आश्रम में आयोजित भगवान का नाम लेने का कोई उम्र और समय नहीं है-सुनील कुमार दे माताजी आश्रम आज आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है-बादल मामा

कथामृत उत्सव सप्तम दिन माताजी आश्रम में आयोजित
भगवान का नाम लेने का कोई उम्र और समय नहीं है-सुनील कुमार दे
माताजी आश्रम आज आध्यात्मिक केंद्र बन चुका है-बादल मामा
माताजी आश्रम हाता द्वारा आयोजित आठ दिवसीय रामकृष्ण कथामृत उत्सव का सप्तम दिन आज  माताजी आश्रम हाता में आयोजन किया गया।इसका आयोजन आश्रम के भक्तजनों ने किया।अपराह्न 4 बजे ठाकुर,माँ और स्वामीजी की बिशेष पूजा की गई।उसके बाद भक्ति संगीत का कार्य क्रम हुआ जिसमें सहदेव मंडल,लोचना मंडल,बीथिका मंडल,पतित पावन दास, प्रवीर दास, देसाई सोरेन,बादल मामा, सुनील कुमार दे,तड़ित मंडल,मुकुल मंडल,कमल मिश्र,रेवा गोस्वामी,करुणा मंडल आदि ने भाग लिया।उसके बाद रेवा गोस्वामी शारदा मां की जीवनी और असित मंडल ने स्वामी विवेकानंद  की जीवनी का पाठ किया गया। संध्या 6.30 बजे ठाकुर जी की संध्या आरती की गई आरती पंडित सुधांशु मिश्र ने की।उसके बाद सुनील कुमार दे ने कहा हमारे समाज में यह धारणा है की सारे प्रकार का धर्म कर्म तीर्थ पर्यटन और भगवान का नाम बुढ़ापा में करना है।लेकिन भगवान का नाम बचपन से ही करना है।जैसे बचपन में सोलहो आना मन अपने पास रहता है शादी के बाद मन बंट जाता है।इसके अलावे बुढ़ापा में दस प्रकार की बीमारी आ जाता है इसलिए भगवान का भजन नहीं हो पाता है।इसलिए भगवान का नाम लेने का कोई उम्र और समय नहीं है उसके बाद शंकर चंद्र गोप ने महेंद्र गुप्त की महान जीवनी पर प्रकाश डाला और कहा महेंद्र गुप्त कथामृत लिखकर हम संसारी लोगों के लिए बड़ा ही उपकार किया है।इस पुस्तक ने हमारे अंदर भगवत भक्ति को जागृत करते हैं, हमे शांति और आनंद का मार्ग दिखाते हैं।उसके बाद बादल मामा ने रामकृष्ण कथामृत पाठ किया।उन्होंने कहा,,भगवान रामकृष्ण जगत गुरु है।उन्होंने सभी प्रकार का अंधकार को दूर करने के लिए अवतरित हुए थे। उसके बाद रामकृष्ण कथामृत को लेकर एक प्रश्न उत्तर कार्यक्रम हुआ जिसका संचालन कमल कांति घोष ने किया।सही उत्तर देने वालों को वर्ण परिचय पुस्तक दिया गया।
उसके बाद हरिनाम संकीर्तन और हरिलुट हुआ।अंत मे धन्यवाद ज्ञापन कृष्ण पद मंडल ने किया।कार्यक्रम का संचालन राज कुमार साहू ने किया।इस अवसर पर डॉक्टर अरविंद कुमार लाल,पूर्व विधायक मेनका सरदार,हीरालाल दे,दुलाल मुखर्जी, पद्मावती कुंडु,सुधांशु शेखर मिश्र, लोचना मंडल, बन्दना मंडल,तपन कुमार मंडल,तरुणदे,स्वपन दे,सावित्री गोप,समीर मंडल,कृष्ण गोप,सहदेव मंडल,तपन कुमार मंडल,झरना साहू,बुलु रानी मंडल,रुपाली गोप,काजल मंडल,आतशी गोप,मृत्युंजय गोप,बलराम गोप,मोहितोष गोप,हेम चंद्र पात्र, तापस मंडल,तरुण मंडल,शक्ति ठाकुर,शिशिर मंडल,अर्जुन मोदी,सुदीप मंडल,अमित मंडल,बीरेन मंडल,बुलु रानी मंडल,सुबोध मंडल,प्रशांत मंडल,मंजुश्री सरकार,दिलीप महतो,तपन मंडल,तपन दे,सनातन महतो,हिरन महतो,स्वपन मंडल ,मधुसूदन भट्टाचार्य, नारायण चटर्जी,महितोष मंडल,अंजलि मंडल,सुजाता मरल,बिमल मंडल,ब्रह्म पद मरल,अमल बिस्वास,मोनी पाल, अजित सरदार,रामकृष्ण सरदार,संजीव साह के अलावे विभिन्न गांव के काफी संख्या में भक्त और महिलाएं उपस्थित थे।